VVPAT पर्चियों की पूरी गिनती की मांग वाली याचिका पर SC ने चुनाव आयोग को जारी किया नोटिस

याचिका में कहा गया है कि 'चुनाव न केवल निष्पक्ष होना चाहिए बल्कि निष्पक्ष दिखना भी चाहिए क्योंकि सूचना के अधिकार को भारत के संविधान के आर्टिकल 19(1) (ए) और 21 के संदर्भ में भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार का हिस्सा माना गया है.

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फाइल फोटो
नई दिल्ली:

याचिकाकर्ता ने वीवीपैट पेपर पर्चियों के माध्यम से केवल 5 रैंडम रूप से चयनित ईवीएम के सत्यापन के मौजूदा चलन के विपरीत चुनावों में वीवीपैट पर्चियों की पूरी गिनती की मांग की है. सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका पर चुनाव आयोग को नोटिस जारी किया है. न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ ने चुनाव आयोग को नोटिस जारी किया और वकील और एक्टिविस्ट अरुण कुमार अग्रवाल द्वारा दायर याचिका को एक गैर सरकारी संगठन, एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) द्वारा दायर एक समान याचिका के साथ टैग किया, जिसमें समान मांग की गई थी.

याचिका में कहा गया है कि 'चुनाव न केवल निष्पक्ष होना चाहिए बल्कि निष्पक्ष दिखना भी चाहिए' क्योंकि सूचना के अधिकार को भारत के संविधान के आर्टिकल 19(1) (ए) और 21 के संदर्भ में भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार का हिस्सा माना गया है.

मतदाता को आर्टिकल 19 और 21 के तहत सुब्रमण्यम स्वामी बनाम भारत चुनाव आयोग (2013) में इस माननीय न्यायालय के निर्देशों के उद्देश्य के अनुसार अपने द्वारा डाले गए वोट और वीवीपीएटी के पेपर वोट द्वारा गिने गए वोट को सत्यापित करने का अधिकार है. याचिका में चुनाव आयोग को सभी वीवीपैट पेपर पर्चियों की गिनती करके वीवीपैट के माध्यम से मतदाता द्वारा 'डाले गए वोटों के रूप में दर्ज' किए गए वोटों के साथ अनिवार्य रूप से क्रॉस-सत्यापन करने के लिए ईसीआई को निर्देश देने की मांग की गई है.

याचिका में चुनाव आयोग को यह निर्देश देने की भी मांग की गई है कि मतदाता को वीवीपैट से निकली वीवीपैट पर्ची को मतपेटी में डालने की अनुमति दी जाए ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि मतदाता का मत 'रिकॉर्ड' के रूप में गिना गया है.

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