- सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे, मुकुल रोहतगी और प्रशांत भूषण के बीच बुधवार को तीखी बहस हुई
- इंडियाबुल्स और प्रमोटरों की कथित वित्तीय अनियमितताओं की जांच की मांग वाली याचिका पर सुनवाई के दौरान ये बहस हुई
- प्रशांत भूषण बोले- हमें ब्लैकमेलर कहकर बीच में न रोकें. इस पर रोहतगी ने कहा- भूषण भी बार-बार लंदन-लंदन न कहें
सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को जस्टिस सूर्य कांत की अध्यक्षता वाली बेंच के सामने वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे, मुकुल रोहतगी और प्रशांत भूषण के बीच तीखी बहस हुई. सुप्रीम कोर्ट इंडियाबुल्स हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड और उसके प्रमोटरों द्वारा कथित वित्तीय अनियमितताओं और धन के दुरुपयोग की जांच की मांग वाली याचिका पर सुनवाई कर रहा था.
इंडियाबुल्स की जांच का मामला
जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस उज्ज्वल भुइयां और जस्टिस एनके सिंह की बेंच सिटीजन व्हिसल ब्लोअर फ़ोरम की ओर से पेश वकील प्रशांत भूषण की दलीलें सुन रही थी. इसी दौरान इंडियाबुल्स के संस्थापक और अध्यक्ष समीर गहलोत की ओर से पेश वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने याचिकाकर्ता संगठन पर सवाल उठाए और आरोप लगाया कि यह एक तरह से ब्लैकमेल का मुकदमा है. अगर जांच की जरूरत है तो इन गैर-सरकारी संगठनों की जांच होनी चाहिए. उन्होंने दावा किया कि सभी एजेंसियों ने हलफनामे दायर किए हैं और कुछ भी सामने नहीं आया है. यह किस तरह की विच हंटिंग है? यह (याचिकाकर्ता) अजनबी कौन है? हमें इस याचिका के सुनवाई योग्य होने पर आपत्ति है.
ब्लैकमेलर बताया तो मिला लंदन वाला जवाब
इस पर सिटीजन व्हिसल ब्लोअर फ़ोरम के वकील प्रशांत भूषण ने आपत्ति जताई और कहा कि वह (साल्वे) कह रहे हैं कि फोरम एक ब्लैकमेलर है, जिसके अध्यक्ष जस्टिस शाह हैं, पूर्व नौसेना प्रमुख, भारत सरकार के कई सचिव इसके ट्रस्टी हैं. सभी ने इसकी मंज़ूरी दी है. वे कह रहे हैं कि हम ब्लैकमेलर हैं.
साल्वे ने पलटवार करते हुए कहा- हां हम यह साबित करेंगे. तब भूषण ने जवाब दिया- लंदन में बैठे एक सज्जन की धृष्टता देखिए. साल्वे ने पलटवार किया- मैं कहां बैठता हूं, ये उनकी समस्या नहीं है. अगर भूषण को जलन हो रही है, तो वो लंदन भी जा सकते हैं.
इस बहस में मुकुल रोहतगी ने कूदते हुए कहा कि प्रशांत भूषण को भी अगली तारीख पर लंदन जाना चाहिए. आप दोनों लंदन से ही ऐसा करें. हम यहीं रहेंगे. साल्वे बोले, बिल्कुल. पिछली बार भी यह मुद्दा उठा था कि ये आरोप किसने लगाए थे.
हालांकि जस्टिस कांत ने हंसते हुए कहा कि हम इस सब पर कोई टिप्पणी नहीं करेंगे. हम 19 तारीख को सुनवाई करेंगे.
प्रशांत भूषण ने कहा कि एक व्यवस्थित सुनवाई होनी चाहिए. उन्हें ब्लैकमेलर-ब्लैकमेलर कहकर हमें बीच में नहीं रोकना चाहिए. इस पर रोहतगी ने कहा कि भूषण को भी बार-बार लंदन नहीं कहना चाहिए.
SC ने ईडी से पूछा रुख
सुप्रीम कोर्ट ने आदेश देते हुए कहा कि ईडी IHFL के मामलों की जांच जारी रख सकती है. हम जानना चाहते हैं कि इस पर ईडी का क्या रुख है. कोर्ट ने ASG एसवी राजू से कहा कि हम मूल रिपोर्ट देखना चाहेंगे. और यह भी जानना चाहेंगे कि आपने कितने मामलों में सैकड़ों आपत्तियों को बंद करने में इतनी उदारता दिखाई है. हम वह मूल रिपोर्ट देखना चाहेंगे.
'नेटवर्थ एक लाख की, लोन 1000 करोड़ का'
प्रशांत भूषण ने सुनवाई के दौरान आरोप लगाया कि इंडियाबुल्स, जिसे अब सम्मान कैपिटल के नाम से जाना जाता है, ने इनमें से कई कंपनियों को लगभग 400 करोड़ रुपये का ऋण दिया है. एक लाख की नेटवर्थ वाली एक कंपनी को 1000 करोड़ का लोन दिया गया. समीर गहलोत देश छोड़कर भाग गए और लंदन में रह रहे हैं. उन्होंने यस बैंक मामले में सीबीआई के जारी कई समन का भी जवाब नहीं दिया. उन्होंने आगे कहा कि सेबी के हलफनामे में दिए गए निष्कर्ष देखिए, वे चौंकाने वाले हैं. वे हमारे द्वारा लगाए गए आरोपों की पुष्टि करते हैं.
- साल्वे ने जवाब में कहा कि कोई निष्कर्ष नहीं है. यह सिर्फ़ एक कारण बताओ नोटिस है.
- इस पर भूषण ने कहा कि सैकड़ों उल्लंघन एक दिन में बढ़ रहे हैं. 37 करोड़ का जुर्माना लगाया गया था.
- साल्वे बोले, सबसे महत्वपूर्ण बात तो नियामक यानी आरबीआई है, जिसने हलफनामा दायर करके कहा है कि इनमें से किसी भी लोन में कुछ भी गलत नहीं था.
- भूषण ने जवाब में कहा कि साल्वे को तो हलफनामे क्या होते हैं, यह भी नहीं पता. वह लंदन में बैठे हैं.
- साल्वे ने जवाब दिया कि आप जिस भी शहर में बैठे हों, आप सरल अंग्रेजी में लिखा हलफनामा पढ़ सकते हैं.
- भूषण बोले- सेबी और ईडी ने साफ-साफ कहा है.
- रोहतगी ने बीच में कहा कि सेबी ने कुछ नहीं कहा. जहां तक ईडी का सवाल है, वह विवाद बॉम्बे में था. फैसले आए और वे उसी पर काम कर रहे हैं. बॉम्बे में किसी ब्लैकमेलर ने शिकायत दर्ज कराई थी.
- इस पर भूषण ने कहा कि तो वे कह रहे हैं कि नागरिक व्हिसलब्लोअर फोरम एक ब्लैकमेलर है.