सुप्रीम कोर्ट ने सुपरटेक एमरेल्ड ट्विन टावर को गिराने की समय सीमा 28 अगस्त तक बढ़ाई

दरअसल, टावर गिराने वाली एजेंसी ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि तोड़फोड़ का काम जारी है. धमाका भी किया गया था तो पता चला कि टावर अनुमान से ज्यादा मजबूत हैं इसलिए तीन महीने का और वक्त दिया जाए. 

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सुपरटेक एमरेल्ड ट्विन टावर
नई दिल्ली:

सुपरटेक एमरेल्ड ट्विन टावर (Supertech Emerald Court Case) मामले में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने दोनों टावर गिराने की समय सीमा बढ़ाई. कोर्ट ने टावरों को ढहाने की डेडलाइन 28 अगस्त 2022 कर दी है. पहले 22 मई तक टावरों को पूरी तरह से गिराने का आदेश था.  दरअसल, टावर गिराने वाली एजेंसी ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि तोड़फोड़ का काम जारी है. धमाका भी किया गया था तो पता चला कि टावर अनुमान से ज्यादा मजबूत हैं इसलिए तीन महीने का और वक्त दिया जाए. 

पिछली सुनवाई में नोएडा अथॉरिटी ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि टावर ढहाने का काम शुरू हो गया है. SC ने नोएडा प्राधिकरण और सुपरटेक से नोएडा प्राधिकरण के हलफनामे में बताई गई समय-सीमा का पालन करने को कहा था. सुप्रीम कोर्ट ने नोएडा अथॉरिटी से 17 मई को अपडेटेड स्टेटस रिपोर्ट पेश करने को कहा था. जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की बेंच मामले की सुनवाई कर रही है. इससे पहले सात फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने दो हफ्ते में ट्विन टावर ढहाने का काम शुरू करने के आदेश दिए थे. अदालत ने टावरों को गिराने के लिए फाइनल प्लान बनाने और तोड़फोड़ करने की टाइमलाइन तैयार करने के लिए नोएडा के CEO को 72 घंटे में गेल समेत सभी विभागों के अफसरों के साथ मीटिंग करने के आदेश दिए थे.

पिछली सुनवाई में दोनों टावरों को गिराने के लिए नोएडा अथॉरिटी द्वारा प्रस्तावित कंपनी को सुप्रीम कोर्ट ने मंजूरी दी थी. सुप्रीम कोर्ट ने सुपरटेक को एक सप्ताह के भीतर डिमोलिशन एजेंसी- 'एडिफिस' के साथ कांट्रेक्ट साइन करने को कहा था और साथ ही सुपरटेक उन घर खरीदारों के लिए रिफंड प्रक्रिया शुरू करेगा जिनके फ्लैटों को तोड़ा जाएगा. 

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सुपरटेक ने सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया की घर खरीदारों से खाता विवरण मांगा था. मंगलवार सुबह से पैसे ट्रांसफर करना शुरू करेंगे. वहीं नोएडा प्राधिकरण ने तोड़फोड़ के लिए एजेंसी को अंतिम रूप देने की सूचना दी थी. सुपरटेक ने भी कहा कि वो नोएडा प्राधिकरण द्वारा अंतिम रूप दी गई एजेंसी से सहमत है. 

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पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने फ्लैट खरीदारों को भुगतान न करने पर सुपरटेक को फटकार लगाई थी. सुप्रीम कोर्ट ने सुपरटेक को 17 जनवरी तक घर खरीदारों को भुगतान करने का निर्देश दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने सुपरटेक को चेतावनी दी थी कि अगर रुपये नहीं लौटाए तो जेल भेज देंगे. अदालत ने नोएडा प्राधिकरण से उस एजेंसी के नाम पर फैसला करने को कहा था, जिसे सुपरटेक एमराल्ड कोर्ट हाउसिंग प्रोजेक्ट की ट्विन टावरों को गिराने का काम दिया जाएगा. SC ने प्राधिकरण को 17 जनवरी को जवाब देने का निर्देश दिया था.  सुनवाई के दौरान जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने सुपरटेक से कहा था 
कि अपने कार्यालय को क्रम में रखें और अदालती आदेश का पालन करें. हम आपके निर्देशकों को अभी जेल भेजेंगे, आप सुप्रीम कोर्ट के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं! .निवेश की वापसी पर ब्याज नहीं लगाया जा सकता है!

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कोर्ट के आदेश का पालन न करने के लिए आप तमाम तरह के कारण ढूंढ रहे हैं. सुनिश्चित करें कि भुगतान सोमवार तक किया  जाए अन्यथा परिणाम भुगतें. दरअसल, घर खरीदारों ने SC में अवमानना ​​याचिका दायर की है. उन्होंने कहा है कि
 सुपरटेक हमसे आकर पैसे लेने के लिए कहता है, लेकिन वहां जाने के बाद कहते हैं कि हम किश्तों में भुगतान करेंगे. नोएडा में 40 मंजिला ट्विन टावरों को 3 महीने में गिराने  की समय सीमा समाप्त हो गई है, लेकिन अभी ये नहीं किया गया है 

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31 अगस्त 2021 को सुपरटेक एमेराल्ड मामले  में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने बड़ा फैसला सुनाया था . कोर्ट ने नोएडा स्थित सुपरटेक एमेराल्ड के 40 मंजिला ट्विन टावर को तीन महीने में गिराने के आदेश दिए हैं.

जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एमआर शाह की बेंच ने यह फैसला दिया. जस्टिस चंद्रचूड ने फैसला सुनाते हुए कहा कि ये मामला नोएडा अथॉरिटी और डेवलपर के बीच मिलीभगत का एक उदाहरण है. इस मामले में सीधे-सीधे बिल्डिंग प्लान का उल्लंघन किया गया. नोएडा अथॉरिटी ने लोगों से प्लान शेयर भी नहीं किया. ऐसे में इलाहाबाद हाईकोर्ट का टावरों को गिराने का फैसला बिल्कुल सही था.

सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि दोनों टावरों को गिराने की कीमत सुपरटेक से वसूली जाए. साथ ही दूसरी इमारतों की सुरक्षा को ध्यान रखते हुए टावर गिराए जाएं . नोएडा अथॉरिटी विशेषज्ञों की मदद लें. जिन लोगों को रिफंड नहीं किया गया है उनको रिफंड दिया जाए. कोर्ट ने कहा था कि फ्लैट खरीदारों को दो महीने में पैसा रिफंड किया जाए. जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा था कि अनाधिकृत निर्माण में बेतहाशा वृद्धि हो रही है.

पर्यावरण की सुरक्षा और निवासियों की सुरक्षा पर भी विचार करना होगा. यह निर्माण सुरक्षा मानकों को कमजोर करता है. अवैधता से सख्ती से निपटना होगा. बिल्डरों और योजनाकारों के बीच अपवित्र गठजोड़ निवासियों को उस जानकारी से वंचित किया जाता है, जिसके वे हकदार हैं. न्यायालय ने कहा कि नोएडा प्राधिकरण द्वारा दी गई मंजूरी भवन नियमों का उल्लंघन है. टावरों के बीच न्यूनतम दूरी की आवश्यकताओं के खिलाफ है. भवन निर्माण के नियमों का पालन नहीं करने से अग्नि सुरक्षा मानकों का भी उल्लंघन हुआ है. टावरों के निर्माण के लिए हरित क्षेत्र का उल्लंघन किया गया था.

 शीर्ष अदालत ने कहा कि तोड़फोड़ का कार्य अपीलकर्ता द्वारा नोएडा के अधिकारियों की देखरेख में अपने खर्च पर किया जाएगा. नोएडा प्राधिकरण केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान रुड़की के विशेषज्ञों और अपने विशेषज्ञों से परामर्श करेगा. तोड़फोड़ का कार्य CBRI के समग्र पर्यवेक्षण में किया जाएगा. यदि CBRI ऐसा करने में अपनी असमर्थता व्यक्त करता है, तो नोएडा द्वारा एक अन्य विशेषज्ञ एजेंसी को नामित किया जाएगा. विशेषज्ञों को देय शुल्क सहित तोड़फोड़ की लागत और सभी प्रासंगिक खर्च सुपरटेक द्वारा वहन किए जाएंगे. जिनका रिफंड करना है दो महीने में 12 फीसदी ब्याज के साथ रिफंड हो. अपीलकर्ता इस फैसले की प्राप्ति से एक महीने में  RWA को  दो करोड़ रुपये रुपये बतौर हर्जाना देगा. 

सुप्रीम कोर्ट ने नोएडा अथॉरिटी और सुपरटेक के अधिकारियों पर कार्रवाई का फैसला भी बरकरार रखा है. सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर मुहर लगाते हुए कहा कि सक्षम प्राधिकरण कानून के मुताबिक कानूनी कार्रवाई की इजाजत दें. 2014 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दिए थे .

टावरों को गिराने के आदेश 

दरअसल, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 2014 में हाउसिंग सोसायटी में नियमों के उल्लंघन पर दोनों टावर गिराने के आदेश दिए थे. इसके साथ ही प्राधिकरण के अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई के निर्देश जारी किए थे. इसके बाद सुपरटेक की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाई थी. साथ ही NBCC को जांच कर रिपोर्ट दाखिल करने को कहा था.

आपके अंग-अंग से भ्रष्टाचार टपकता है : नोएडा प्राधिकरण को SC की फटकार
सुनवाई के दौरान बिल्डर का पक्ष लेने पर सुप्रीम कोर्ट ने नोएडा प्राधिकरण को जमकर फटकार लगाई थी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आप बिल्डर की भाषा बोल रहे हैं, आपके अंग-अंग से भ्रष्टाचार टपकता है. यह टिप्पणी सुप्रीम कोर्ट ने नोएडा एक्सप्रेसवे स्थित सुपरटेक एमराल्ड कोर्ट प्रोजेक्ट केस में नोएडा प्राधिकरण द्वारा अपने अधिकारियों का बचाव करने और फ्लैट बायर्स की कमियां बताने पर की.

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