राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने शुक्रवार को कहा कि ‘‘रामजी (भगवान राम) के नाम से नहीं, रामजी के काम से मनुष्य ऊपर उठता है. हां इतना जरूर हैं कि रामजी के काम करते हुए रामजी का नाम लेना पड़ता हैं.'' यहां मकर संक्रांति पर्व के सिलसिले में शुक्रवार को आयोजित एक समारोह को संबोधित करते हुए आरएसएस पदाधिकारी ने कहा कि सिर्फ भारत माता की जय बोलने से देश भक्ति नहीं होती, इसके लिए निःस्वार्थ सेवा जरूरी है.
अपने दो दिवसीय प्रवास के दौरान शुक्रवार को स्वयंसेवकों को सम्बोधित करते हुए दत्तात्रेय ने कहा कि यदि श्रीकृष्ण की महानता, श्रीराम की श्रेष्ठता को अपने जीवन में स्थान नहीं देना है तो केवल रामजी की श्रेष्ठता बताने से कुछ नहीं होगा, जैसे भारत माता की जय बोलने से देश भक्ति नहीं होती. उन्होंने कहा कि भारत माता के जयकारे के लिए जीवन में प्रामाणिता से निस्वार्थ सेवा जरूरी है, तभी भारत माता की जय बोलने के लिए नैतिक अधिकार मिलेगा.
उन्होंने कहा कि हमने एक हजार वर्ष के संघर्ष से कई प्रकार के अनुभव खोये, अपमान सहन किये, दमन चक्र चला, गुलाम बनकर रहें; हमारे पूर्वजों ने कितने प्रकार के कष्ट को सहन किया, त्याग और बलिदान करके इस देश को स्वतंत्र बनाने के लिए प्रयत्न किया.
होसबाले ने आजादी के नायकों के सपनों को समझने की नसीहत देते हुए कहा कि उस सपने को हम समझे, उसको साकार करने के लिए आवश्यक प्रयत्न जीवन में करके दिखाएं.
उन्होंने कहा कि भारत के अन्दर बुद्धि, प्रतिभा की कमी नहीं है बल्कि अपने लोगों में उत्साह भरने व चेतना जागृत करने के लिए हमारे देश के महापुरुषों की मालिका (माला) दुनिया के किसी भी देश की सभ्यता से सौ गुना अधिक है.
इसके पहले बृहस्पतिवार को यहां पहुंचने पर होसबाले ने कहा कि देश में जब भी संकट आया संघ के स्वयंसेवकों ने आगे बढ़कर पीड़ितों की सेवा की.
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