आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत (RSS chief Mohan Bhagwat) सहारनपुर के सरसावा में श्री कृष्ण ज्ञान मंदिर भूमि पूजन और संत समाग़म सम्मेलन में शामिल हुए. कार्यक्रम में महाराष्ट्र, उत्तराखंड, उत्तरप्रदेश, गुजरात के साथ ही कई प्रदेश से साधु संतों ने हिस्सा लिया. कार्यक्रम को संबोधित करते हुए आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि संतों का हृदय बड़ा विशाल होता है. संघ ने मुझे जो कुर्सी दी है उसके कुछ गुण हैं.
धर्म सबको जोड़ता है: मोहन भागवत
धर्म सबको जोड़ता है धर्म किसी को अलग नहीं करता है धर्म सबको सुख देता है धर्म सबको जोड़कर रखता है किसी को भी दुख नहीं देता है. समय बदलता रहता है, आचरण बोलता रहता है. शाश्वत धर्म कभी नहीं बदले. आचरण करने का धर्म बदलता है और संघ भी यही सिखाता है. सारी दुनिया का धर्म एक ही है धर्म किसी ने बनाया नहीं है. धर्म अलग-अलग लोगों को अलग-अलग समय में अलग-अलग प्रकार से बताया गया है. सब धर्म दिखाते अलग-अलग हैं लेकिन सब धर्म एक ही है उनका मकसद एक है हम सब एक हैं हम लोग दिखते अलग-अलग हैं हम लोग एक ही रहेंगे.
जो भगवान को नहीं मानते हैं वो भी भारतीय हैं: RSS प्रमुख
भारत में ऐसा भी संप्रदाय है जो भगवान को नहीं मानते हैं लेकिन वह भी भारतीय ही हैं. अंदर बाहर से पवित्र हो जाओ पंथ संप्रदाय कोई भी हो मुझे बुलाते हैं मैं जाता हूं, क्योंकि संतो के बुलाने पर मैं हमेशा हर जगह जाता हूं. मुझे बुलाने में किसी को लाभ होता है मुझे नहीं पता लेकिन मुझे संतों के पास जाने पर लाभ होता है.
भागवत ने कहा कि मैं कोई रोज पूजा भी नहीं करता लेकिन मुझे संत बुलाते हैं यह मेरा सौभाग्य है. भगवत गीता एक ऐसा ग्रंथ है जिसमें भारत के धर्म का सब निचोड़ है. गीता के अलग-अलग अध्याय अलग-अलग उपदेश देते हैं. जीवन में किसी परिस्थिति से भागना नहीं है. परिस्थिति आती जाती हैं हम लोगों को बने रहना चाहिए हम स्थिर हैं और अगर मर भी गए तो अमर हो गए. कर्तव्य अलग-अलग प्रकार से करना पड़ता है हमारी किसी से दुश्मनी नहीं है हमारी सबसे दोस्ती है. आज का भारत यह सारी दुनिया को भी दिख रहा है हमारा भारत सबको दिख रहा है कि हम इतने बल संपन्न है कि किसी के कुछ कहने से हमें फर्क़ नहीं पड़ता. हम सबको मदद करते हैं हम किसी के दुश्मन नहीं हैं.
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