अगली गणतंत्र दिवस परेड (2022 Republic Day parade) यानी 26 जनवरी, 2022 की परेड नए राजपथ (New Rajpath) से गुजरेगी. इसकी तैयारियां ज़ोर शोर से चल रही हैं. केंद्रीय आावास एवं शहरी विकास मंत्रालय के मुताबिक़ 4000 से ज़्यादा कर्मचारी इसे पूरा करने के लिए दिन रात काम कर रहे हैं. एक वरिष्ठ अधिकारी ने एनडीटीवी से कहा, “ये काम नवम्बर के अंत तक हो जाना चाहिए, इसीलिए कुछ दिन पहले क़रीब 600 मज़दूरों को और यहां काम पर लगाया गया था.” उनके मुताबिक़ अगले साल 26 जनवरी को राजधानी दिल्ली में गणतंत्र दिवस की परेड का नजारा बेहद अलग और खास होगा.
खुद केंद्रीय आवास और शहरी मामलों के मंत्री हरदीप सिंह पुरी भी कई बार कह चुके हैं कि अगले साल गणतंत्र दिवस की परेड पर लोगों को एक ऐसा नजारा देखने को मिलेगा जिस पर उन्हें गर्व होगा.
अधिकारियों के अनुसार राष्ट्रपति भवन से इंडिया गेट तक सेंट्रल विस्टा एवेन्यू के रिडिवेलपमेंट का काम खुद हरदीप पुरी हर हफ़्ते रिव्यू करते हैं. राष्ट्रपति भवन से इंडिया गेट का इलाक़ा तीन किलोमीटर का है. इसके आस-पास के लॉन और नहरें, पेड़ की कतारें, विजय चौक और इंडिया गेट प्लाजा शामिल हैं. एक अधिकारी ने समझाया कि “यह मूल रूप से ब्रिटिश राज के दौरान वायसराय हाउस के लिए एक भव्य जुलूस मार्ग के रूप में डिजाइन किया गया था. लेकिन अब इसे नया रूप दिया जा रहा है.”
सरकारी फ़ाइलों के मुताबिक़ नए राजपथ पर तालाबों पर 12 पुल बनाए जा रहे हैं, इसलिए बड़े पैमाने पर पत्थर का काम, अंडरपास का निर्माण, भूमिगत सुविधाएं, ब्लॉक, बागवानी कार्य और पार्किंग का काम बहुत तेज़ी से चल रहा है.
मंत्रालय के एक अधिकारी का कहना है, “हम ये भी सुनिश्चित करेंगे कि स्वतंत्रता के 75वें वर्ष के दौरान संसद का शीतकालीन सत्र नई संसद में आयोजित किया जाये.”
वैसे रविवार रात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सेंट्रल विस्टा की कंस्ट्रक्शन साइट पर पहुंचे, जहां पर उन्होंने नए संसद भवन के निर्माण कार्य का जायजा लिया.
सरकार द्वारा क्लीयर किए गए नक़्शे के मुताबिक़ सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास के हिस्से के रूप में, एक नया त्रिकोणीय संसद भवन होगा जिसमें एक आम केंद्रीय सचिवालय, नया प्रधानमंत्री निवास और पीएमओ, और उपराष्ट्रपति के लिए नया डिप्लमेटिक एन्क्लेव होगा.
सेंट्रल विस्टा परियोजना के तहत बनने वाली संसद भवन की नई इमारत करीब 65,400 स्क्वायर मीटर में बनाई जाएगी और यह भव्य कलाकृतियों से युक्त होगी. इमारत एक तिकोना ढांचा होगा और इसकी ऊंचाई पुरानी इमारत जितनी ही होगी. इसमें एक बड़ा संविधान हॉल, सांसदों के लिए एक लाउन्ज, एक लाइब्रेरी, कई कमेटियों के कमरे, डाइनिंग एरिया जैसे कई कम्पार्टमेंट होंगे. बता दें कि इसके लोकसभा चैंबर में 888 सदस्यों के बैठने की क्षमता होगी, जबकि राज्यसभा में 384 सीट होंगी.
लगभग 20,000 करोड़ रुपये की लागत वाली इस परियोजना को 2024 में पूरा करने की तैयारी है. जब से 2019 में इसकी घोषणा की गई, तब से यह भव्य परियोजना विवादास्पद रही है। समय पर सवाल उठाने के अलावा, पुनर्विकास कई विरासत पेड़ों को काटने पर भी विवाद में पड़ चुका है.