राज्यसभा के इतिहास में कभी भी इतने सांसदों को सजा नहीं मिली, जानिए क्या है संसदीय रिकॉर्ड

उप सभापति हरिवंश की अनुमति से संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने इसको लेकर एक प्रस्ताव रखा, जिसे विपक्षी दलों के हंगामे के बीच सदन ने मंजूरी दे दी. जिन सदस्यों को निलंबित किया गया है.

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राज्यसभा के 12 सांसदों को संसद के शीतकालीन सत्र की बाकी अवधि के लिए निलंबित किया गया
नई दिल्ली:

संसद के शीतकालीन सत्र (Parliament winter Session) के पहले दिन राज्यसभा के 12 सांसदों को निलंबित करने का फैसला सामने आया. इन सदस्यों को पिछले मानसून सत्र के दौरान खराब व्यवहार के कारण शीतकालीन सत्र की बाकी की अवधि के लिए निलंबित किया गया है. उच्च सदन राज्यसभा के इतिहास में ऐसी सबसे बड़ी सजा है. उप सभापति हरिवंश की अनुमति से संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने इसको लेकर एक प्रस्ताव रखा, जिसे विपक्षी दलों के हंगामे के बीच सदन ने मंजूरी दे दी. जिन सदस्यों को निलंबित किया गया है.

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इनमें सीपीएम के इलामारम करीम, कांग्रेस की फूलो देवी नेताम, छाया वर्मा, रिपुन बोरा, राजमणि पटेल, सैयद नासिर हुसैन, अखिलेश प्रताप सिंह, तृणमूल कांग्रेस की डोला सेन और शांता छेत्री, शिव सेना की प्रियंका चतुर्वेदी और अनिल देसाई तथा सीपीआई के विनय विस्वम शामिल हैं.

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रिकॉर्ड रखने वाले अधिकारियों ने कहा कि यह राज्यसभा से सबसे बड़ी संख्या में सदस्यों का निलंबन है. इससे पहले 2020 में 8 सांसदों को निलंबित किया गया था, जो दूसरी सबसे ज्यादा संख्या थी. इनमें डेरेक ओ ब्रायन (टीएमसी), संजय सिंह (आम आदमी पार्टी), राजीव सातव (कांग्रेस), केके नागेश (सीपीएम), सैयद नासिर हुसैन (कांग्रेस), रिपुन बोरा (कांग्रेस), डोला सेन (तृणमूल कांग्रेस) और इलामारम करीम (सीपीएम) शामिल हैं.

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वर्ष 2010 में राज्यसभा से सात सदस्यों को निलंबित किया गया था. वरिष्ठ नेता एवं स्वतंत्रता सेनानी राज नारायण को राज्यसभा से चार बार सस्पेंड किया गया था. जबकि उपसभापति रहे गोदे मुहारी को दो बार राज्य सभा से निलंबित किया गया था. वहीं संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने सोमवार को राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू को पत्र लिखकर कहा कि इस शीतकालीन सत्र की शेष अवधि के लिए निलंबित किए गए उच्च सदन के 12 निलंबित सदस्यों ने सदन का अपमान किया है और उन्हें ऐसी सजा दी जाना चाहिए जो मिसाल बन सके और प्रतिरोध का काम करने के साथ संसद की विश्वसनीयता को भी बहाल कर सके.

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नायडू को लिखे पत्र में जोशी ने पिछले सत्र में हुए घटनाक्रम का जिक्र किया और कहा कि इन सदस्यों का व्यवहार गैरकानूनी, आपराधिक और अपमानजनक था. राज्यसभा के 254वें सत्र को निश्चित तौर पर हमारे संसदीय इतिहास का सबसे निंदनीय और शर्मनाक सत्र गिना जाएगा.
 

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