राजस्थान: 'राइट टू हेल्थ' बिल के खिलाफ डॉक्टरों की हड़ताल से मरीज परेशान, इलाज में हो रही है देरी

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का कहना है कि ‘‘राइट टू हेल्थ’ में चिकित्सकों के हितों का पूरा ध्यान रखा गया है. चिकित्सकों का हड़ताल पर जाना उचित नहीं है.

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हमें राइट टू हेल्थ बिल मंजूर नहीं है, बिल वापस लीजिए: चिकित्सक प्रतिनिधिमंडल

जयपुर:

राजस्थान सरकार द्वारा लाए गए 'राइट टू हेल्थ' बिल (Right To Health Bill) के खिलाफ निजी और सरकारी अस्पताल के डॉक्टरों की हड़ताल से मरीज खासा परेशान हो रहे हैं और इलाज के लिए भटक रहे हैं. डॉक्टर इस बिल को वापस लेने की मांग पर अड़े हुए हैं और हड़ताल पर चले गए हैं. अपनी मां का इलाज करवाने के लिए मथुरा से आए प्रदीप ने बताया कि 10 दिन पहले मां को अस्पताल से छुट्टी दी गई थी. डॉक्टरों ने टेस्ट लिखकर दिया था और रिपोर्ट दिखाने को कहा था. लेकिन अब रिपोर्ट दिखाने के लिए आए हैं, तो डॉक्टर ही नहीं है. काफी पेरशानी हो रही है.

राज्य के स्वास्थ मंत्री परसादी लाल मीणा ने NDTV से बात करते हुए डॉक्टरों से काम पर लौटने की अपील की है. उन्होंने कहा कि जो भी सुझाव उनके होंगे सरकार निश्चित रूप से उनको मानेगी, लेकिन बिल को सरकार वापस नहीं लेने वाली है. सरकारी डॉक्टरों का अवकाश कैंसिल कर दिया गया है. 

वार्ता रही विफल

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के निर्देश पर मुख्य सचिव, स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारियों और ‘राइट टू हेल्थ विधेयक' के विरोध में हड़ताल कर रहे चिकित्सकों के प्रतिनिधिमंडल के साथ रविवार को सचिवालय में आयोजित वार्ता विफल हो गई थी. बैठक में चिकित्सक प्रतिनिधिमंडल ने कहा, ‘‘हमें राइट टू हेल्थ बिल मंजूर नहीं है. बिल वापस लीजिए.'' इस मांग को सरकार ने माने से इंकार कर दिया था.

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इस मामले पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का कहना है कि ‘‘राइट टू हेल्थ' में चिकित्सकों के हितों का पूरा ध्यान रखा गया है. चिकित्सकों का हड़ताल पर जाना उचित नहीं है. पक्ष-विपक्ष ने सर्वसम्मति से यह बिल पास किया है.''

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