राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के 'गद्दार' वाले बयान पर सचिन पायलट ने प्रतिक्रिया दी है. प्रदेश के पूर्व उपमुख्यमंत्री पायलट ने NDTV से कहा कि इस टिप्पणी से वो दुखी और आहत हुए हैं, लेकिन इससे आगे बढ़ना होगा. कांग्रेस नेता ने कहा कि "हां, मैं एक राजनेता हूं. लेकिन मैं भी एक इंसान हूं. मुझे दुख हुआ. मैं अतीत में नहीं जाना चाहता."
पायलट ने कहा, "सार्वजनिक जीवन में मैं भाषण में एक गरिमा बनाए रखता हूं.. लेकिन आपको आगे बढ़ना होगा, और मेरे हाथ में एक काम और एक मिशन है, हमें आगे बढ़ना है."
यह पूछे जाने पर कि क्या नेतृत्व में बदलाव कांग्रेस की वापसी का मार्ग प्रशस्त कर सकता है, सचिन पायलट ने कहा, "नेतृत्व का मुद्दा पार्टी पर निर्भर है. हम सभी को मिलकर काम करना होगा... अगर हम अभी काम करते हैं, तो हम सरकार बना सकते हैं... राजनीति बदल सकती है. एंटी-इनकंबेंसी प्रो-इनकंबेंसी में बदल सकती है. कई राज्यों में, हमने दोहराया है. कांग्रेस सरकारों ने दोहराया है."
पायलट और गहलोत के बीच की तनातनी, जिसने अक्सर राजस्थान में कांग्रेस को बैकफुट पर रखा था, राहुल गांधी की 'भारत जोड़ो यात्रा' के राज्य में प्रवेश करने से कुछ दिन पहले एक बार फिर से सामने आ गई. एक संयुक्त मोर्चे की तत्काल जरूरत के मद्देनजर, गहलोत और पायलट ने एकजुटता दिखाई और घोषणा की कि पार्टी हमारे लिए सर्वोच्च है.
पिछले महीने, NDTV को दिए एक विशेष साक्षात्कार में, गहलोत ने कहा था, "एक गद्दार मुख्यमंत्री नहीं हो सकता. हाईकमान सचिन पायलट को मुख्यमंत्री नहीं बना सकता है. एक आदमी जिसके पास 10 विधायक नहीं है, किसने विद्रोह किया. उन्होंने पार्टी को धोखा दिया, वह गद्दार है.
इस बयान ने कांग्रेस को सकते में डाल दिया था और पार्टी ने कहा था कि वह "कड़े फैसले" लेने में संकोच नहीं करेगी. कार्रवाई का वादा कोई नया नहीं था. गहलोत के वफादारों द्वारा खुले विद्रोह के बाद इसी तरह के बयान दिए गए और जल्द ही ठंडे बस्ते में डाल दिए गए.
विवाद के बीच, यात्रा के साथ महाराष्ट्र से गुजरते हुए राहुल गांधी ने घोषणा की कि दोनों नेता "कांग्रेस के एसेट" हैं. संकेत मिलने के एक दिन बाद, दोनों नेता संयुक्त रूप से मीडिया के सामने आए थे. उन्होंने कहा कि देश में तनाव के माहौल के बावजूद, "यात्रा की सफलता दर्शाती है कि लोग राहुल गांधी द्वारा उठाए गए मुद्दों का पूरा समर्थन कर रहे हैं."
'भारत जोड़ो यात्रा' का राजस्थान में बड़ा असर होने की उम्मीद है, जहां अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं. चूंकि राज्य में हर 5 साल में सरकार बदलने का ट्रैक रहा है, ऐसे में कांग्रेस इस बार इसे खत्म कर फिर से सरकार बनाने की पूरी कोशिश कर रही है.