संजय वर्मा Exclusive: कनाडा से लौटे भारतीय उच्चायुक्त ने खोला ट्रूडो का कच्चा चिट्ठा, इनके अपमान से भड़का था भारत

कनाडा में भारत के हाई कमिश्नर रहे संजय वर्मा ने कहा, "कनाडा के जरिए कट्टरपंथी रिश्ते बिगाड़ना चाहते हैं. मैं खालिस्तानियों को सिख नहीं मानता हूं. वो खालिस्तानी हैं और आतंकवादी हैं. सिख दूसरों को नहीं मारते."

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संजय कुमार वर्मा 1988 बैच के भारतीय विदेश सेवा के अधिकारी हैं.

नई दिल्ली:

कनाडा में भारत के हाई कमिश्नर रहे संजय वर्मा (Sanjay Verma) ने जस्टिन ट्रूडो (Justin Trudeau) सरकार पर खालिस्तानियों को पनाह देने का आरोप लगाया है. कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के बयानों के बाद भारत सरकार ने संजय वर्मा को वापस बुला लिया था. गुरुवार को NDTV के साथ एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में संजय वर्मा ने जस्टिन ट्रूडो और कनाडा का पूरा कच्चा चिट्ठा खोला है. उन्होंने कहा, "कनाडा के जरिए कट्टरपंथी रिश्ते बिगाड़ना चाहते हैं. मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत का कोई हाथ नहीं है." संजय वर्मा ने कहा कि मैं खालिस्तानियों को सिख नहीं मानता हूं. वो खालिस्तानी हैं और आतंकवादी हैं. सिख दूसरों को नहीं मारते.

संजय कुमार वर्मा 1988 बैच के भारतीय विदेश सेवा के अधिकारी हैं. कनाडा से पहले उन्होंने जापान, सूडान, इटली, तुर्किए, वियतनाम और चीन में काम किया है. साल 2022 में वो कनाडा के हाई कमिश्नर नियुक्त हुए थे.

कैसे हैं भारत और कनाडा के रिश्ते?
संजय वर्मा ने कहा, "कनाडा और भारत का रिश्ता हमेशा से अच्छा था. आगे भी अच्छा रहेगा. इस समय थोड़ा सा विवाद हो गया है. ये वहां के PM जस्टिन ट्रूडो और उनकी टीम की सोच के कारण है. ऐसा नहीं है कि मामला अचानक से बढ़ गया है. कनाडा में बैठे खालिस्तानी और कट्टरपंथी हमेशा से ही भारत पर वार कर रहे थे. वो हमेशा से ये चाहते थे कि कनाडा और भारत के रिश्ते में खटास आए. लेकिन सरकारों का ये काम है कि वो ऐसी स्थितियों को अच्छे से संभाले और चीजों को बैलेंस करे. फिर रिश्तों के आगे लेकर जाए. आखिरकार हम दोनों जनतंत्र हैं. लेकिन, बदकिस्मती से ऐसा नहीं हो रहा है."

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निज्जर की हत्या में भारत सरकार का कोई रोल नहीं
संजय वर्मा ने कहा, "मैं बड़ी जिम्मेदारी के साथ कह रहा हूं...खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या कैसे हुई, किसने की और क्यों हुई? ये जांच का विषय है. जांच चल रही है... मेरे ख्याल से तब तक वो जांच खत्म नहीं हो जाती है, तब तक हम ये नहीं कह पाएंगे कि ये हत्या क्यों हुई और किसने की? एक ही चीज मैं कहना चाहूंगा भारत सरकार का उस हत्या में कोई हाथ नहीं है."

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ट्रूडो सरकार ने निज्जर की हत्या को लेकर शेयर नहीं किए सबूत
संजय वर्मा ने एक बार फिर दोहराया कि कनाडाई अधिकारियों ने निज्जर की हत्या को लेकर एक भी सबूत शेयर नहीं किया है. यह वास्तव में भारत था, जिसने जस्टिन ट्रूडो सरकार के साथ कनाडा की धरती पर सक्रिय कट्टरपंथी और चरमपंथी समूहों के बारे में डिटेल सबूत शेयर किए थे. लेकिन, वहां की सरकार ने इस पर कोई कार्रवाई नहीं की.

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बिना सबूत पूछताछ करना चाहती थी कनाडा की पुलिस
ट्रूडो सरकार ने संजय वर्मा को पर्सन ऑफ इंटरेस्ट कहा था. वहां की पुलिस उनसे पूछताछ करना चाहती थी. इसकी वजह पूछने पर संजय वर्मा ने कहा, "यहीं मैं उनसे जानना चाहता था. क्योंकि, जब आप किसी से पूछताछ करना चाहते हैं, तो सबसे पहले उन्हें बताएंगे कि आप क्यों पूछताछ करना चाहते हैं. आखिरकार उनके पास कौन से सबूत हैं, जिसकी वजह से वो मुझसे पूछताछ करना चाहते हैं. अगर वो मुझे दिखाते और मुझे बताते तो मैं समझता... लेकिन बिना सबूत दिखाए मुझे धमकाने की कोशिश की जा रही है, लेकिन आज का भारतीय डरने वाला नहीं है."

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खालिस्तानी भारतीय नहीं, बल्कि कनाडा के नागरिक 
कनाडा के हाई कमिश्नर रहे संजय वर्मा ने कहा कि कनाडा में रहने वाले खालिस्तानी आतंकी भारतीय नहीं, बल्कि कनाडा के नागरिक हैं. ये लोग कनाडा की जमीन से भारत के खिलाफ काम कर रहे हैं. हम सिर्फ इतना चाहते हैं कि कनाडा सरकार ऐसे लोगों के साथ काम नहीं करे. ये भारत की संप्रभुता और अखंडता को चुनौती दे रहे हैं.

संजय वर्मा ने कहा, "भारत से जब बच्चों को कनाडा भेजा जाता है, तो यह समझकर भेजा जाता है कि वो वहां सुरक्षित रहेंगे. कनाडा की सोसाइटी बिल्कुल भारत की सोसाइटी जैसी ही है. वो अपने मेहमानों का स्वागत करते हैं. लेकिन, अभी की सरकार से हमें ऐसा महसूस हुआ कि भारत का वहां स्वागत नहीं है." 

क्या कनाडा की सियासत में चल रहे मतभेद?
PM ट्रूडो ने वहां की संसद में कहा कि कोई निज्जर के मर्डर को लेकर कोई हार्ड सबूत नहीं है. इसपर इंटेलिजेंस काम कर रहे हैं. लेकिन पुलिस का वर्जन PM के वर्जन से अलग क्यों है? इस सवाल के जवाब में संजय वर्मा कहते हैं, "वहां के संस्थान, विभाग और पुलिस अपना अपना काम करती है. जहां तक सूचना इकट्ठा करने की बात है, तो ये दो तरह से की जाती है. एक ऐसी सूचना जो ओपन सोर्स से उपलब्ध है, जिसे हम अखबरों में पढ़ सकते हैं. सोशल मीडिया में पढ़ सकते हैं. दूसरी सूचना पब्लिक डोमेन में नहीं होती. इन सूचनाओं के लिए हमें बहुत उल्टे सीधे काम करने पड़ेंगे. हमने कूटनीति के किसी भी सिद्धांत को तोड़ा नहीं है. कनाडाई तो हमसे ज्यादा ये काम करते हैं. ये लोग तो इससे ज्यादा अंदर घुसकर काम करते हैं. हम लोगों के पास अभी भी ऐसी सूचनाएं हैं, जिसमें इनके राजनयिक हमारे समाज के अंदर घुसकर ऐसे कई काम किए हैं, जो किसी भी राजदूत को शोभा नहीं देता है."

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खालिस्तानी आतंकियों के बारे में डिटेल खंगालते रहेंगे
संजय वर्मा ने कहा, "हम खालिस्तानी आतंकियों के बारे में सूचनाएं इकट्ठा कर रहे थे और करते रहेंगे. क्योंकि ये हमारे दुश्मन हमारे देश की सुरक्षा का मसला है. कनाडा में कुछ मुट्ठीभर खालिस्तानी वहां का सिस्टम खराब कर रहे हैं. खालिस्तानी भारतीय लोगों को डराते-धमकाते हैं. ताकि भारत के लिए अलग इमेज बने."

प्रत्यर्पण के केस खुद कार्रवाई नहीं करता कनाडा
विदेश मंत्रालय की प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया गया कि 26 आरोपियों के प्रत्यर्पण के केस हमने उन्हें 10-12 सालों में सौंपे हैं. भारत सरकार चाहती है कि वहां की सरकार इन लोगों को पकड़े और हमें सौंपे. ऐसा क्यों नहीं किया जाता? इसके जवाब देते हुए वर्मा ने कहा, "इसके दो पहलू हैं. कुछ मामलों में वो ज्यादा डिटेल मांगते हैं, जो हम देते भी हैं. लेकिन काम नहीं होता. दूसरा पहलू ये है कि कनाडा हमसे वो उम्मीद करता है, जो वो खुद नहीं करता. फिर ये प्रत्यर्पण की बातें क्यों होती हैं. इन 26 लोगों में ज्यादा कनाडा के नागरिक हैं. इसलिए कनाडा को कार्रवाई करनी चाहिए."

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क्या पाकिस्तान की तरह कनाडा में घूम रहे यहां के मोस्ट वॉन्टेड?
इसके जवाब में संजय वर्मा कहते हैं, "पाकिस्तान के बारे में तो जितना कहें उतना कम है. उसे तो हम बहुत अरसे से जानते हैं. लेकिन, कनाडा से हमारी ऐसी उम्मीदें नहीं हैं. क्योंकि वो हमारी तरह से प्रजातंत्र है. रूल ऑफ लॉ हमारी तरह फॉलो करते हैं. वहां भी कानून का पालन करते हैं. उस देश से ऐसी आशा नहीं थी. अफसोस की बात है कि जो हम देखते हैं कि वो कोशिश करते हैं कि भारत के वॉन्टेड लोग जो वहां पर रह रहे हैं, उन पर कोई आंच ना आए." 

क्या खालिस्तानियों के सपोर्ट से ट्रूडो को सियासी फायदा मिलेगा?
संजय वर्मा कहते हैं, "खालिस्तानी आतंकी हैं. वो बहुत छोटी संख्या में है. लेकिन, दूसरों को डराकर अपने साथ ले लेते हैं. मैं सिख भाई और बहनों से कहूंगा कि खालिस्तानी सिख है ही नहीं... दूसरों को अनैतिक तरीके से मारना ये तो सिख धर्म का सिद्धांत ही नहीं है. खालिस्तानियों को मैं सिख नहीं मानता. वो खालिस्तानी हैं. आतंकी हैं और कट्टरपंथी हैं. ऐसा नहीं है कि वो सभी लोग खालिस्तान का समर्थन करते हैं. इसलिए जहां तक सियासी फायदे का सवाल है, तो ऐसा किया जाता है. ट्रूडो की पार्टी और उनकी कैबिनेट इससे फायदा उठाती है."

संजय वर्मा ने कहा, "कनाडा में जस्टिन ट्रूडो और उनकी पार्टी की लोकप्रियता घटती जा रही है. पार्टी के अंदर भी तमाम चुनौतियां उभर रही हैं. उनकी पार्टी के कुछ लोग अपना नेता बदलना चाहते हैं."

क्या ट्रूडो सरकार हिंदुस्तान को तोड़ना का सपना देख रही?
कनाडा के पूर्व हाई कमिश्नर ने कहा, "अगर कनाडा की सरकार कट्टरपंथियों और खालिस्तानियों पर कोई एक्शन नहीं लेती, तो मैं मानूंगा कि आप उन्हें आगे बढ़ा रहे हैं. आप उन्हें प्रोत्साहित कर रहे हैं. जब तक वो वैसा करते रहेंगे और एक्शन नहीं लेंगे, तब तक मामला ऐसे ही चलता रहेगा. मैं ये मानूंगा कि भारतीय होने के नाते कि आप भारत पर हमला कर रहे हैं..."

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क्या भारत क्यूबेक मामले में दखल नहीं दे सकता?
कनाडा के क्यूबेक प्रॉविन्स में तमाम दिक्कतें चल रही हैं. वहां के लोग चाहते हैं कि कनाडा से अलग हो जाएं. ऐसे में क्या भारत वैसा नहीं कर सकता, जैसा कनाडा करता आया है? इस सवाल के जवाब में संजय वर्मा कहते हैं, "भारत एक जिम्मेदार प्रजातंत्र है. जिम्मेदार प्रजातंत्र दूसरे पर वार नहीं करता है. ये उनकी समस्या है. इस समस्या का समाधान उन्हें निकालना है. अगर कोई बाहर का देश ऐसा करता है, तो उन्हें कैसा लगेगा. ये उन्हें सोचने की जरूरत है. कनाडा को सोचना चाहिए कि भारत को क्या महसूस हो रहा होगा, जब उसकी अखंडता पर कोई बुरी नजर डालता है."

क्या कनाडा की जनता के पास ट्रूडो के अलावा कोई ऑप्शन नहीं?
उन्होंने कहा, "हमारे ख्याल से तो वहां 4 करोड़ लोग हैं. उनमें से एक लाख ही तो ऐसे हैं जो खालिस्तानी हैं. बाकियों से तो कोई परेशानी नहीं है. मेरे ख्याल से इन्हें थोड़ा आतंमचिंतन करना चाहिए. उन्हें देखना चाहिए कि कनाडा के लिए क्या अच्छा है. भारत से रिश्ता बनाना अच्छा है या नहीं. अगर इन्हें लगता है कि अच्छा नहीं है, तो ये लोग खुलकर बता दें. आज का भारत पुराना भारत नहीं है. नया भारत अपनी पहचान बना चुका है. अगर ये पहचान इन्हें पसंद नहीं है तो हम आगे सोचेंगे."

संजय वर्मा ने कहा, "हमें ये समझने की जरूरत है कि खालिस्तानियों ने वहां गए भारतीयों के लिए ऐसी परिस्थिति पैदा कर दी है, जो दुखदायी है. जिसकी हमें चिंता होनी चाहिए. कुछ मुट्ठीभर खालिस्तानी वहां के एक अच्छे समाज को खत्म कर रहे हैं. ये कट्टरपंथी पैसे का लालच देकर और डराकर भारतीयों को भारत विरोधी प्रदर्शन में ले जाते हैं. कुछ लोग इसलिए भी प्रदर्शन में आते है कि अगर वो भारत विरोधी प्रदर्शन में तस्वीर आ जाती है, तो वो लोग असाइलम के लिए एप्लाई कर पाएंगे. वहां का सिस्टम इस तरह की गलतियों को पकड़ भी नहीं पाता है. निज्जर ने भी यही किया था."

निज्जर की हत्या की निंदा पर भी दी सफाई
संजय वर्मा ने बीते दिनों एक इंटरव्यू में हरदीप सिंह निज्जर की हत्या की निंदा की थी. अब सफाई दी है. उन्होंने कहा, "किसी की भी जिंदगी अमूल्य है. उसके लिए और उसके परिवार के लिए. अगर उसकी हत्या की गई है तो वो निंदनीय है. हत्या किसलिए की गई और क्यों की गई ये जांच का विषय है. अगर कोर्ट अगर किसी अपराधी को फांसी पर चढ़ाती है, तो मैं उसकी निंदा नहीं करता. लेकिन अगर उसका खुलेआम मर्डर हुआ है, तो वो न्यायिक दृष्टिकोण से सही नहीं है."


बता दें कि कनाडा से रिश्तों में तनाव के बीच भारत ने 14 अक्टूबर को कार्यकारी हाई कमिश्नर स्टीवर्ट रॉस व्हीलर समेत 6 कनाडाई डिप्लोमैट्स को देश से वापस जाने का आदेश दे दिया. इन अधिकारियों को देश छोड़ने के लिए 19 अक्टूबर की रात 12 बजे तक का समय दिया गया है. उधर, कनाडा ने भी भारत के 6 डिप्लोमैट्स को देश छोड़कर जाने के लिए कहा. इसमें संजय वर्मा भी शामिल थे. 

ट्रूडो सरकार की एक चिट्ठी के बाद हुई कार्रवाई
यह कार्रवाई कनाडाई पीएम जस्टिन ट्रूडो सरकार की एक चिट्ठी के बाद हुई. इसमें भारतीय हाई कमिश्नर और कुछ दूसरे डिप्लोमैट्स को कनाडाई नागरिक की हत्या में संदिग्ध बताया गया था. हालांकि, कनाडाई नागरिक की जानकारी नहीं दी, लेकिन इसे खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या से जोड़कर देखा जा रहा है.

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