प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पुलिस के लिए 'एक देश, एक यूनिफॉर्म' के विचार का प्रस्ताव रखा. विभिन्न बलों के बीच एकरूपता को लेकर अपनी बात रखते हुए पीएम ने कहा कि यह केवल एक विचार है और वह इसे राज्यों पर थोपने का प्रयास नहीं कर रहे हैं. उन्होंने राज्यों से सुझाव के तौर पर इस बारे में विचार करने का आग्रह किया. पीएम मोदी ने कहा, "पुलिस के लिए 'वन नेशन, वन यूनिफॉर्म" केवल एक विचार है. मैं इसे आप पर इसे थोपने की कोशिश नहीं कर रहा हूं. बस इस पर विचार करें. यह हो सकता है. पांच, 50 या 100 साल में यह हो सकता है. लेकिन हमें इसके बारे में विचार करना चाहिए."
यहां राज्यों के गृह मंत्रियों के दो दिवसीय ‘‘चिंतन शिविर'' को वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने अपराध और अपराधियों पर नकेल कसने के लिए राज्यों के बीच निकट सहयोग की वकालत की. उन्होंने कहा कि सहकारी संघवाद ना सिर्फ संविधान की भावना है बल्कि यह केंद्र और राज्यों की जिम्मेदारी भी है. पीएम ने कहा कि उनका मानना है कि देशभर में पुलिस की पहचान एक जैसी हो सकती है. उन्होंने सभी राज्य सरकारों से पुराने कानूनों की समीक्षा करने और आज के संदर्भ में उनमें सुधार करने का आग्रह किया. उन्होंने कानून-व्यवस्था और सुरक्षा की उभरती चुनौतियों के समाधान के लिए सभी एजेंसियों के बीच समन्वित कार्रवाई की भी गुजारिश की.मोदी ने कहा कि पुलिस के बारे में अच्छी धारणा बनाए रखना ‘‘बहुत महत्वपूर्ण'' है और इस राह में जो खामियां विद्यमान हैं, उन्हें दूर किया जाना चाहिए.
प्रधानमंत्री ने कहा कि यद्यपि संविधान के हिसाब से कानून-व्यवस्था राज्यों का विषय है लेकिन यह देश की एकता और अखंडता से भी उतना ही जुड़ा हुआ है. उन्होंने कहा, ‘‘हर एक राज्य एक दूसरे से सीखे, एक दूसरे से प्रेरणा ले और आंतरिक सुरक्षा के लिए मिलकर काम करे. आंतरिक सुरक्षा के लिए राज्यों का साथ मिलकर काम करना संवैधानिक अनिवार्यता है और साथ ही देश के प्रति जिम्मेदारी भी है.''पीएम ने कहा कि सभी एजेंसियों को, वह चाहे केंद्र की हों या राज्यों की, सभी को एक दूसरे का सहयोग करना चाहिए ताकि दक्षता बढ़े, बेहतर परिणाम सामने आए और आम जन को सुरक्षा मिले. उन्होंने कहा कि कानून एवं व्यवस्था का सीधा संबंध विकास से है, अत: शांति बनाए रखना हर किसी की जिम्मेदारी है.
पीएम मोदी ने कहा कि कानून-व्यवस्था के पूरे तंत्र के लिए भरोसेमंद होना बहुत महत्वपूर्ण है और इसके लिए आम जन से पुलिस का संबंध और संवाद बेहतर होना चाहिए ताकि उनके बारे में अच्छी धारणा बने.पिछले वर्षों में भारत सरकार के स्तर पर कानून व्यवस्था से जुड़े सुधार हुए हैं, जिसने पूरे देश में शांति का वातावरण बनाने का काम किया है.उन्होंने कहा, ‘‘हमें प्रौद्योगिकी के लिए एक साझा मंच के बारे में सोचने की जरूरत है जिसे सभी के द्वारा साझा किया जा सके. राज्यों की सर्वश्रेष्ठ प्रथाओं को भी एक दूसरे से साझा किया जा सकता है. साइबर अपराध हो या फिर ड्रोन प्रौद्योगिकी का हथियारों और मादक पदार्थों की तस्करी में उपयोग, इनके लिए हमें नई प्रौद्योगिकी पर काम करते रहना होगा. स्मार्ट प्रौद्योगिकी से कानून-व्यवस्था को स्मार्ट बना पाना संभव होगा.''फर्जी खबरों के प्रवाह का उल्लेख करते हुए मोदी ने कहा कि ऐसी खबरों की सच्चाई सामने लाया जाना आवश्यक है और इसमें प्रौद्योगिकी की बड़ी भूमिका है.उन्होंने कहा, ‘‘ऐसी खबरों को जाचंने की प्रक्रिया या तंत्र के बारे में लोगों को जागरूक किया जाना जरूरी है ताकि किसी और से साझा करने से पहले वह उसे जांच सकें.''इस शिविर में राज्यों के गृह मंत्रियों के अलावा वहां के गृह सचिव, पुलिस महानिदेशक और केंद्रीय सुरक्षा बलों के महानिदेशक भी शामिल हुए.
यह दो दिवसीय चिंतन शिविर प्रधानमंत्री द्वारा अपने स्वतंत्रता दिवस भाषण में घोषित ‘पंच प्राण' के अनुसार आंतरिक सुरक्षा से संबंधित मामलों पर नीति निर्माण को राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य प्रदान करने का एक प्रयास है. इसका उद्देश्य सहकारी संघवाद की भावना से केंद्र और राज्य स्तर पर विभिन्न हितधारकों के बीच योजनाओं के क्रियान्वयन में अधिक तालमेल बिठाना है.शिविर में पुलिस बलों के आधुनिकीकरण, साइबर अपराध प्रबंधन, आपराधिक न्याय प्रणाली में सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) के बढ़ते उपयोग, भूमि सीमा प्रबंधन, तटीय सुरक्षा, महिला सुरक्षा, मादक पदार्थों की तस्करी जैसे मुद्दों पर विचार-विमर्श किया जा रहा है. (भाषा से भी इनपुट)
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