जेलेंस्की, पुतिन, बाइडनः मोदी की 3 झप्पियों में भारत की कूटनीति की क्रोनोलॉजी समझिए

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को यूक्रेन की यात्रा की. इस दौरान उन्होंने कीव में राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की से मुलाकात की और उन्हें गले लगाया. दोनों देशों ने कई क्षेत्र में साथ काम करने के लिए समझौते भी किए हैं.

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नई दिल्ली:

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 23 अगस्त की ऐतिहासिक यूक्रेन यात्रा ने पूरी दुनिया का ध्यान भारत की ओर खींचा है.प्रधानमंत्री मोदी ने यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की को गले लगाया. मोदी ने अभी पिछले महीने ही मॉस्कों में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को भी गले लगाया था.उस समय इसकी जेलेंस्की ने आलोचन की थी.पीएम मोदी ऐसे ही अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन को भी गले लगा चुके हैं.कीव की यात्रा के दौरान पीएम मोदी ने फिर दोहराया कि रूस के साथ जारी युद्ध को खत्म करने का रास्ता बातचीत ही है. 

दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र से उम्मीद

पीएम मोदी जब पिछले महीने रूस की यात्रा पर गए थे तो उन्होंने राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को गले लगाया था.इसकी जेलेंस्की ने खुलकर आलोचना की थी. उन्होंने कहा था कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के नेता के दुनिया के सबसे खूनी अपराधी से मॉस्को में गले लगाना शांति स्थापित करने की कोशिशों के लिए बड़ी निराशा की बात है.जिस दिन मोदी रूस में थे उस दिन रूस ने यूक्रेन में बच्चों के एक अस्पताल पर हमला किया था. इसमें तीन बच्चों समेत 37 लोग मारे गए थे.

पीएम मोदी शुक्रवार को जब कीव गए तो वे युद्ध में मारे गए बच्चों पर मल्टीमीडिया प्रदर्शनी देखने राष्ट्रीय संग्रहालय गए.वहां उन्होंने बच्चों की मौत पर दुख जताते हुए वहां उनकी याद में एक खिलौना रखा.

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रूसी राष्ट्रपति पुतिन को गले लगाने के बाद जेलेंस्की को भी पीएम ने गले लगाया. इस पर वहां मौजूद एक विदेश पत्रकार ने विदेश मंत्री एस जयशंकर से सवाल पूछा. इस पर जयशंकर ने कहा कि दुनिया के हमारे हिस्से में जब लोग मिलते हैं,तो वे एक-दूसरे को गले लगाते हैं,यह आपकी संस्कृति का हिस्सा नहीं हो सकता है,लेकिन मैं आपको आश्वस्त कर सकता हूं कि यह हमारी संस्कृति का हिस्सा है.

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पीएम मोदी ने किस लिए की यूक्रेन की यात्रा

पीएम मोदी की यूक्रेन यात्रा को संतुलन साधने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है.अब इस बात की चर्चा तेज है कि भारत रूस और यूक्रेन के बीच मध्यस्थता की भूमिका निभाना चाहता है.यूक्रेन ने भी कहा है कि शांति सम्मेलन बातचीत, कूटनीति और अंतरराष्ट्रीय कानून के आधार पर शांति को बढ़ावा देने की कोशिशों के लिए काम कर सकता है.दरअसल यूक्रेन में शांति के लिए इस साल जून में स्विट्जरलैंड में एक शांति सम्मेलन हुआ था. इसमें भारत ने भी भाग लिया था. एक ऐसा ही सम्मेलन इस साल के अंत में अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव से पहले हो सकता है. इस सम्मलेन में रूस के शामिल होने को लेकर विदेश मंत्री जयशंकर ने कीव में गोल-मोल जवाब दिया.

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पोलैंड और यूक्रेन की पीएम मोदी की इस यात्रा से भारत ने भारत पश्चिमी देशों और रूस से दोस्ती में संतुलन दिखाने की कोशिशें की हैं.इससे पहले भारत ने यूक्रेन पर रूसी हमले के बाद रूस के खिलाफ कुछ बोलने से परहेज किया. उसने हमेशा से बीच का रास्ता अपनाया. यूक्रेन पर हमले के बाद संयुक्त राष्ट्र,सुरक्षा परिषद और मानवाधिकार परिषद में रूस के खिलाफ लाए गए प्रस्तावों से भारत ने दूरी बनाई थी. 

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रूस-अमेरिका-भारत-चीन

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब यूक्रेन में थे तो रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह अमेरिका में थे. इस दौरान भारत और अमेरिका ने सिक्योरिटी ऑफ सप्लाई अग्रीमेंट पर दस्तखत किए.इसके जरिए अब भारत और अमेरिका एक दूसरे की रक्षा जरूरतों को प्राथमिकता देंगे.

वहीं रूसी नौसेना के प्रमुख एडमिरल अलेक्सांद्र मोइसेयेव ने मोदी-जेलेंस्की की मुलाकात से ठीक एक दिन पहले  22 अगस्त को अपनी भारत यात्रा पूरी की.पीएम मोदी की यूक्रेन यात्रा की तारीखें सामने आने के बाद ही उन्होंने भारत का रुख किया था. भारत यात्रा के दौरान उन्होंने सीडीएस अनिल चौहान और नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश त्रिपाठी से मुलाकात की. इस दौरान समुद्री सुरक्षा और फ्रिगेट के निर्माण पर बात हुई. वहीं पीएम मोदी के पोलैंड पहुंचते ही चीन में नंबर दो माने जाने वाले प्रीमियर ली कियांग रूस पहुंच गए थे.वहां उन्होंने राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन से मुलाकात की थी. 

भारतीय कूटनीति में बदलाव

पीएम मोदी की यूक्रेन यात्रा भारतीय कूटनीति में आए एक बड़े बदलाव का प्रतीक है.इसके जरिए भारत ने रूस से सदाबहार दोस्ती की वजह से यूक्रेन के साथ सीमित पड़ी भागीदारी को बढ़ाकर संबंधों को मजबूत करने की कोशिश की है.इस यात्रा के दौरान दोनों देशों ने तय किया है कि वे कृषि, फूड इंडस्ट्री, फार्मा, सहायता और संस्कृति के क्षेत्र में मिलकर काम करेंगे.इसके लिए समझौते भी किए गए.भारत ने बार-बार जोर दिया कि रूस और यूक्रेन दोनों के साथ उसके रिश्ते स्वतंत्र हैं. ऐसे में रूस के साथ भारत की लंबी साझेदारी के बाद भी पीएम मोदी की इस यात्रा से मजबूत द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है.

अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत

मोदी की यूक्रेन यात्रा भारत की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बड़ी भूमिका निभाने की उसकी आकांक्षाओं के मुताबिक है.जी20 का आयोजन कर और अन्य अंतरराष्ट्रीय मंचों पर मौजूदगी दिखाकर वह दुनिया को यह यकीन दिलाने की कोशिश कर रहा है कि उसमें यूक्रेन संकट के इर्दगिर्द बातचीत को आकार देने की क्षमता है. रूस और यूक्रेन दोनों से कूटनीतिक संबंध विकसित कर भारत अपने आप को मध्यस्थ के रूप में स्थापित कर सकता है. ऐसे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यूक्रेन यात्रा भारत की विदेश नीति में एक महत्वपूर्ण क्षण है. 

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