पहाड़ काट नहर बनाने वाली से आपदा में अवसर ढूंढने वाली महिला तक, PM मोदी के 'मन की बात' में इनका हो चुका है जिक्र

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 'मन की बात' में अलग-अलग मौकों पर मध्‍य प्रदेश की महिलाओं का जिक्र किया है. यह महिलाएं अपने जीवट और मेहनत के दम पर लगातार आगे बढ़ रही हैं और देश-दुनिया की दूसरी महिलाओं के लिए प्रेरणा बन रही हैं. 

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भोपाल:

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) के मासिक रेडियो कार्यक्रम 'मन की बात' (Mann Ki Baat) के 100 एपिसोड पूरे हो चुके हैं. 3 अक्‍टूबर 2014 को पहली बार 'मन की बात' कार्यक्रम प्रसारित हुआ था. उस वक्‍त से करीब 8 सालोंं का वक्‍त गुजर चुका है और इसके 100 एपिसोड प्रसारित हो चुके हैं. यह कार्यक्रम अपने मुद्दों और समाज के लिए बेहतरीन काम करने वाले लोगों की चर्चा के लिए जाना जाता है. पीएम मोदी ने इस कार्यक्रम के जरिए अलग-अलग मौकों पर मध्‍य प्रदेश की महिलाओं की चर्चा की है. ये महिलाएं अपने काम के जरिए न सिर्फ आम लोगों के लिए नजीर हैं, बल्कि उनका काम समाज के लिए भी काफी उपयोगी साबित हो रहा है.

पीएम मोदी ने विभिन्‍न मौकों पर 'मन की बात' के माध्‍यम से मध्‍य प्रदेश की पहाड़ को काटकर नहर बनाने वाली महिला का जिक्र किया है तो आपदा को अवसर में तब्‍दील करने वाली महिला का भी जिक्र किया है. अपने जीवट और मेहनत के दम पर यह महिलाएं लगातार आगे बढ़ रही हैं और देश-दुनिया की दूसरी महिलाओं के लिए भी प्रेरणा बन रही हैं. 

पहाड़ काटकर बनाई नहर 

मध्‍य प्रदेश के छतरपुर जिले के गांव अगरोठा की बबीता राजपूत ने बरसात का पानी रोकने के लिये छोटे-छोटे चेक डैम बनाए. इसके लिए प्रशिक्षण लिया और गांव के तालाब को भरने के लिए 107 मीटर लंबे पहाड़ को काटकर नहर बनाई, जिससे गांव के तालाब में पानी आया. गांव की महिलाओं को इस दुष्‍कर काम को करने में 18 महीने लगे. पीएम मोदी ने 28 फरवरी 2021  को 'मन की बात' कार्यक्रम में बबीता राजपूत का जिक्र किया था. प्रधानमंत्री ने कहा कि मध्यप्रदेश के अगरोठा गांव की बबीता राजपूत जो कर रही हैं, उससे प्रेरणा मिलेगी. बुंदेलखंड मध्यप्रदेश की एक छोटे से गांव की बबीताजी ने सूखी पड़ी झील को गांव की अन्य महिलाओं के साथ मिलकर उसे नहर से जोड़कर पुन: जीवित किया है. हमें उनसे सीख लेनी चाहिए. इस नहर से बारिश का पानी सीधे झील में जाने लगा. अब ये झील पानी से भरी रहती है. गांव की 200 महिलाओं की मदद से बबीता ने 107 मीटर लंबी खाई खोदकर पहाड़ को काट दिया. इससे गांव के लोग पानी के संकट से मुक्त हो गए.

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आपदा में ढूंढ लिया अवसर 

बालाघाट जिले की मीना राहंगडाले चिच गांव में कुछ आदिवासी महिलाओं के साथ एक राइस मिल में दिहाड़ी पर काम करती थीं. कोरोना में मिल बंद हो गई तो महिलाओं ने तय किया कि अब ये साथ मिलकर अपनी खुद की राइस मिल शुरू करेंगी. कोरोना के दौरान उन्‍होंने खुद पैसे इकठ्ठा करके छोटी मिल से बड़ी मिल बनाई. मीना राहंगडाले ने कोरोना जैसे काल में भी अपने लिए अवसर ढूंढ लिया. पीएम मोदी ने मन की बात कार्यक्रम में 31 जनवरी 2021 को बालाघाट जिले की चिचगांव की मीना राहंगडाले और अन्‍य आदिवासी महिलाओं की सराहना की. पीएम मोदी ने कहा कि उन्होंने मेहनत व लगन से उस राइस मिल को खरीद लिया, जिसमें कभी वो खुद मजदूरी करती थीं. कोरोना के चलते मिल का काम बंद हो गया, इस दल की मुखिया मीना राहंगडाले ने हिम्मत दिखाई. महिलाओं को एकजुट कर स्व-सहायता समूह बनाया. सबने बचाई पूंजी से पैसा जुटाया. साथ ही 'आजीविका मिशन' के तहत बैंक से कर्ज ले लिया. राइस मिल खरीद ली. आज वो खुद की राइस मिल चला रही हैं. 

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बटुए वाली दीदी का भी जिक्र 

भोपाल की ममता शर्मा को बटुए वाली दीदी के नाम से बुलाया जाता है. उन्‍होंने मुद्रा लोन लेकर अपना काम बढ़ाया. पीएम मोदी ने 28 नवंबर 2015 को मन की बात में ममता शर्मा के काम की तारीफ की थी. उन्होंने ममता शर्मा का उदाहरण देते हुए कहा कि मुझे भोपाल की ममता शर्मा के विषय में किसी ने बताया कि उनको इस प्रधानमंत्री मुद्रा योजना से बैंक से 40 हजार रूपए मिले हैं. वो बटुवा बनाने का काम कर रही हैं. इसके जरिए वो पिछले 14 सालों से अपना घर-परिवार चला रही हैं. ममता के यहां करीब 40 महिलाएं काम करती हैं, जिन्हें प्रशिक्षित कर वो उन्हें भी बनाने आगे बढ़ाने का काम कर रही हैं. 

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