भारत में अमेरिकी राजदूत एरिक गार्सेटी ने रविवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और जो बाइडेन के प्रयासों के कारण अमेरिका और भारत के संबंध नई ऊंचाइयों पर पहुंच गए हैं. गार्सेटी और उनके परिवार ने रविवार को पीएम मोदी से मुलाकात की. गार्सेटी ने कहा कि दोनों नेताओं ने वीजा, व्यापार, रक्षा सहयोग, अंतरिक्ष सहयोग, स्टूडेंट एक्सचेंज और निवेश सहित विभिन्न क्षेत्रों में रिकॉर्ड-तोड़ मील के पत्थर हासिल किए हैं.
एक्स पर एक पोस्ट में एरिक गार्सेटी ने कहा, "अपने परिवार के साथ पीएम मोदी के एक शानदार अंतिम मुलाकात थी. यह स्पष्ट है कि उन्होंने और राष्ट्रपति बाइडेन ने हमारी आकर्षक और परिणामी यूएस-भारत साझेदारी को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है- रिकॉर्ड वीजा, रिकॉर्ड व्यापार, रिकॉर्ड रक्षा सहयोग, रिकॉर्ड अंतरिक्ष सहयोग, रिकॉर्ड छात्र, रिकॉर्ड निवेश और बहुत कुछ."
अमेरिका-भारत साझेदारी अपरिहार्य हो गई
गार्सेटी ने भारत की अपनी आखिरी यात्रा के दौरान उनके गर्मजोशी भरे आतिथ्य के लिए प्रधानमंत्री मोदी और भारत के लोगों के प्रति आभार व्यक्त किया. उन्होंने जोर दिया कि अमेरिका-भारत साझेदारी अपरिहार्य हो गई है और आने वाले वर्षों में यह और मजबूत होती जाएगी. उन्होंने कहा, "एक पीढ़ी पहले जो अकल्पनीय लगता था, वह इन नेताओं और हमारे राष्ट्र के लोगों के काम की बदौलत आज से एक पीढ़ी बाद अपरिहार्य लगेगा. प्रधानमंत्री जी और सभी भारतीयों का धन्यवाद. आपके साथ इस अध्याय के सह-लेखन में मदद करना मेरे लिए प्रतिदिन खुशी भरा रहा है."
बेंगलुरु में शुक्रवार को अमेरिकी वाणिज्य दूतावास कार्यालय के उद्घाटन समारोह में भाग लेते हुए गार्सेटी ने कहा कि यह भारत में अमेरिका की कोई नई उपस्थिति नहीं है, बल्कि वह अपनी उपस्थिति का विस्तार कर रहा है.
उन्होंने कहा, "हम यहां कोई नई उपस्थिति शुरू नहीं कर रहे हैं. लेकिन कर्नाटक में हम अपनी मौजूदगी का विस्तार कर रहे हैं, यह एक प्रतिबद्धता है जो अमेरिका इस अद्भुत राष्ट्र के इस महान राज्य और शहर के लिए भी करता है. हमारे सभी माननीय गणमान्य व्यक्तियों को धन्यवाद."
अमेरिका और भारत के संबंध ऐतिहासिक
अमेरिकी राजदूत ने अमेरिका-भारत संबंधों के समृद्ध इतिहास पर भी रोशनी डाली, जिसकी शुरुआत सन 1776 में हुई थी, जब अमेरिका ने भारत के कोलकाता में अपना दूसरा वाणिज्य दूतावास खोला था. उन्होंने कहा कि हाल ही में बेंगलुरु में अमेरिकी वाणिज्य दूतावास कार्यालय का उद्घाटन भारत में अमेरिकी उपस्थिति के विस्तार का प्रतीक है, न कि एक नई शुरुआत का.
उन्होंने कहा कि, "हम इस बारे में बहुत लंबे समय से बात कर रहे हैं, है न? हम यह सुनिश्चित करने के लिए एक साथ काम कर रहे हैं कि यह शुरुआत एक ऐसा बीज बोए जो आने वाले दशकों तक फलता-फूलता रहे. आप जानते हैं कि भारत में हमारा रिश्ता नया नहीं है. बहुत से अमेरिकी नहीं जानते, और बहुत कम भारतीय जानते हैं कि दुनिया में हमारा दूसरा वाणिज्य दूतावास भारत में था. सबसे पहले 1776 में अमेरिका की स्वतंत्रता के बाद हमने फ्रांस के ल्योन में एक वाणिज्य दूतावास खोला और फिर दूसरा कोलकाता में खोला, जो कि उस समय एक नए अमेरिकी राष्ट्र के लिए भारत के महत्व को दर्शाता था. तब से हमने 5 पोस्ट बनाए हैं. अगर आप यहां और अहमदाबाद में हमारे वाणिज्यिक कार्यालयों को गिनते हैं तो 7, और यह अब दुनिया में कहीं भी अमेरिका का दूसरा सबसे बड़ा मिशन है. हम हर साल रिकॉर्ड तोड़ रहे हैं, रिकॉर्ड कर्मचारी, रिकॉर्ड वीज़ा, रिकॉर्ड छात्र, रिकॉर्ड सैन्य अभ्यास, समुद्र तल से अंतरिक्ष तक रिकॉर्ड जुड़ाव."