मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति के मामले में केंद्र द्वारा सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया गया है. बता दें कि हाल ही में चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति प्रक्रिया में सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस को शामिल न करने के विरोध में इस याचिका को सुप्रीम कोर्ट में दर्ज किया गया था. अब केंद्र द्वारा इसी याचिका के जवाब में हलफनामा दिया गया है. इस याचिका में चुनाव आयुक्तों की भर्ति के लिए लाए गए नए कानून पर रोक लगाने की भी मांग की गई है.
केंद्र ने कहा है कि चयन पैनल में न्यायपालिका के किसी सदस्य की मौजूदगी से ECI की स्वतंत्रता उत्पन्न नहीं होती है. उच्च संवैधानिक पदाधिकारियों से निष्पक्षता से काम करने की अपेक्षा की जाती है. ऐसे में चुनाव आयुक्तों की क्षमता और पात्रता पर सवाल नहीं उठाया जाना चाहिए. याचिकाकर्ता राजनीतिक विवाद पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं.
नियुक्ति पर रोक की मांग के विरोध में केंद्र ने कहा, इस तरह की दलीलें पूरी तरह से गलत हैं. चुनाव आयोग बिना न्यायिक सदस्य के भी स्वतंत्र रूप से काम करता है. संवैधानिक पद पर बैठे लोग निष्पक्षता से ही काम करते हैं. बता दें कि मामले में अगली सुनवाई गुरुवार यानी 21 मार्च को होगी.
बता दें कि याचिकाकर्ता ने कोर्ट से मांग की थी कि वह फिलहाल इस नियुक्ति पर रोक लगाए. इसके लिए दलील ये दी गई थी कि कोर्ट पहले भी ऐसे फैसले ले चुका है. जानकारी के अनुसार इस याचिका की सुनवाई के दौरान जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा था कि दो बार ये मामला पहले भी आया था. हमने कहा था कि सामान्य तौर पर हम कानून पर रोक नहीं लगाते हैं. उन्होंने आगे कहा था कि हम अंतरिम आदेशों के माध्यम से कानूनों पर रोक नहीं लगाते हैं.
14 मार्च को हुआ था चुनाव आयुक्तों के नामों का ऐलान
गौरतलब है कि नौकरशाह सुखबीर सिंह संधू और ज्ञानेश कुमार को गुरुवार को देश का अगला चुनाव आयुक्त चुना गया था. दोनों नौकरशाहों को चुनाव आयुक्त बनाने का फैसला पीएम मोदी नीत पैनल ने किया था. इस पैनल में गृहमंत्री अमित शाह के साथ-साथ कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी भी थे. आपको बता दें कि सुखबीर संधू और ज्ञानेश कुमार 1988-बैच के सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी हैं. जहां संधू आईएएस के उत्तराखंड कैडर से हैं, वहीं कुमार केरल कैडर से हैं.
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