सुप्रीम कोर्ट के दखल के बाद 39 महिला अफसरों को परमानेंट कमीशन

इन महिला अफसरों का कहना है कि सेना बेबुनियाद मुद्दों के आधार बनाकर उनकी 20 साल से ज्‍यादा सर्विस पर सवाल खड़े कर रही है. इससे उनको बेहद धक्का लगा है. यह सेना की महिला विरोधी मानसिकता को भी दिखाता है.

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कोर्ट के निर्देश पर सरकार ने फिर से पुनर्विचार किया. तो 39 स्थायी कमीशन की पात्र पाई गई.
नई दिल्‍ली:

सेना ने 39 महिला अफसर को परमानेंट कमीशन दिया है. सेना ने इन महिलाओं को सुप्रीम कोर्ट के 22 अक्टूबर को दिये निर्देश के मुताबिक 29 अक्टूबर 2021 से स्थाई कमीशन दिया है. सेना को अब 12 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट में होने वाली सुनवाई में लिखित हलफनामा देकर बताना होगा कि आखिर वह बचे 25 महिला अफसरों को  क्यों परमानेंट कमीशन नहीं दे रही है? दरअसल, सेना की 72 महिला अफसरों ने सेना के खिलाफ अवमानना का मामला सुप्रीम कोर्ट में दर्ज कराया था. इन महिलाओं का मानना है कि सुप्रीम कोर्ट ने 25 मार्च 2021 को फैसला सुनाया था कि जिन महिलाओं के स्पेशल सेलेक्शन बोर्ड में 60 फीसदी कट ऑफ ग्रेड  मिले हैं और जिनके खिलाफ डिसिप्लिन और विजिलेंस मामले नहीं हैं, उन महिला अधिकारियों को सेना परमानेंट कमीशन दे. 

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इन 72 में से एक महिला अफसर ने सर्विस से रिलीज करने की अर्जी दी है, बाकी बचे 71 मामलों पर कोर्ट के निर्देश पर सरकार ने फिर से पुनर्विचार किया है. उनमें से 39  स्थायी कमीशन की पात्र पाई गई हैं. अब उन 71 में से 39 को स्थायी कमीशन दिया गया है. सेना ने 71 में से सात महिला को मेडिकल अनफिट पाया है, जबकि 25 महिलाओं को लेकर सेना का तर्क है कि उनके खिलाफ अनुशासनहीन का गंभीर मुद्दा है और उनकी ग्रेडिंग खराब है. वहीं इन महिला अफसरों का कहना है कि सेना बेबुनियाद मुद्दों के आधार बनाकर उनकी 20 साल से ज़्यादा सर्विस पर सवाल खड़े कर रही है. इससे उनको बेहद धक्का लगा है. यह सेना की महिला विरोधी मानसिकता को भी दिखाता है.

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जिन महिलाओं को सेना ने परमानेंट कमीशन नहीं दिया है, उनका कहना है कि सेना ने महिलाओं को अपनी मर्जी से कुछ भी नहीं दिया है. सब कुछ उनको कोर्ट में लड़कर लेना पड़ा है. जब दिल्ली हाईकोर्ट ने 12 मार्च 2010 में सेना में महिलाओं को स्थाई कमीशन देने का आदेश दिया तो इस आदेश को वायु सेना और नौसेना ने मान लिया पर थल सेना इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट चली गई. फिर 17 फरवरी    2020 और 25 मार्च 2021 को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद उन्हें महिलाओं को परमानेंट कमीशन देना पड़ा. इसी तरह पहले इन 72 महिलाओं को भी स्थाई कमीशन देने से मना किया, फिर कोर्ट के दखल के बाद 39 को कमीशन देना ही पड़ा. 

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इन महिला अफसरों के वकील मेजर सुधांशु शेखर पांडेय कहते हैं कि सेना किसी ना किसी वजह से इनको स्थाई कमीशन नहीं दे रही है, पर अगली सुनवाई में उनको बाकी बची महिलाओं को भी परमानेंट कमीशन देना ही पड़ेगा. मेजर पांडेय ने एनडीटीवी से यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट में जब हमने 72 महिलाओं की तरफ अवमानना याचिका दाखिल की तो उसमें से जिन 36 महिलाओं ने याचिका में हस्ताक्षर किये थे. इनमें से सेना ने जानबूझकर केवल 20 महिलाओं को ही परमानेंट कमीशन दिया, बाकी 16 को स्थाई कमीशन देने से मना कर दिया. सेना के खिलाफ कोर्ट में जाने की वजह से इन महिलाओं को अब निशाना बनाया जा रहा है. अब सेना की इन 25 महिला अफसरों की आखिरी उम्मीद फिर से सर्वोच्च न्यायालय पर ही टिकी है कि वही इनको सेना में न्याय दिलायेगी.

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