कोरोना काल में भी लालफीताशाही वयवस्था पर किस तरह हावी है इसकी मिसाल कर्नाटक में देखने को मिली. कर्नाटक के निजी अस्पतालों में तकरीबन 7 लाख वैक्सीन वैसे ही रखे हुए है. क्योंकि सरकारी अस्पतालों और हेल्थ सेंटर्स पर वैक्सीन मुफ्त में दी जा रही है. ज़्यादातर वैक्सीन नवंबर में एक्सपायर हो जाएंगी. लेकिन निजी अस्पतालों से इन्हें सरकारी अस्पतालों तक नहीं भेजा जा रहा है, क्योंकि ये सिर्फ केंद्र के जरीए ही हो सकता है.
सरकारी अस्पतालों में जहां कोविशील्ड और कोवैक्सीन मुफ्त मिल रही है. वहां डॉक्टर्स और नर्स ज़्यादा और वैक्सीन लेने वाले कम हैं. ऐसे में निजी अस्पतालों में जहां कोवैक्सीन की एक डोज़ 1410 और कोविशील्ड की 780 रुपये में दी जा रही हो तो वहां कौन जाएगा. निजी अस्पतालों में वैक्सीन की तक़रीबन 7 लाख डोज़ यूं ही पड़ी हैं. इनमें 5 लाख के आसपास कोवक्सीन हैं और इनकी मियाद इसी महीने खत्म होने वाली है.
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कर्नाटक निजी अस्पताल एवं नर्सिंग होम संघ अध्यक्ष डॉ प्रसन्ना कुमार का कहना है कि ज्यादातर वैक्सीन नवंबर में एक्सपायर होने जा रहे हैं. अब क्योंकि सरकारी अस्पतालों में आसानी से वैक्सीन उपलब्ध है, ऐसे में लोग प्राइवेट अस्पतालों की तरफ रुख नहीं करते.
कर्नाटक आयुक्त रणदीप सिंह ने बताया कि राज्य में तकरीबन 2 करोड़ 30 लाख लोगों को वैक्सीन की दूसरी डोज़ लग चुकी है. इनमें से 52 लाख लोग बेंगलुरु के हैं. ऐसे में 8 लाख डोज़ सरकारी अस्पतालो के लिए मददगार साबित हो सकती है. इन वैक्सीन्स का क्या होगा इस सवाल का फिलहाल मेरे पास जवाब नहीं है. सरकार से बातचीत करके हम इसका समाधान निकालेंगे.
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गौरतलब है कि कोविड वैक्सीन्स के एक्सपायर होने पर निजी अस्पतालों को तो आर्थिक नुकसान होगा ही क्योंकि उन्होंने इन्हें खरीदा है, लेकिन इससे कहीं ज्यादा नुकसान आम लोगों का होगा. कारण, इस मुश्किल घड़ी में जहां कई जगहों पर वैक्सीन की कमी है तो वहीं लालफीताशाही की वजह से वैक्सीन बर्बाद होने के कगार पर है.
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