बंगाल सरकार के आयोग की ओर से पेगासस केस में जांच के खिलाफ याचिका, SC सुनवाई को तैयार

सुप्रीम कोर्ट ने पेगासस मामले की जांच के लिए 27 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट के रिटायर जज जस्टिस आर वी रविंद्रन की अध्यक्षता में जांच के आदेश जारी किए थे .

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(प्रतीकात्मक तस्वीर)
नई दिल्ली:

पश्चिम बंगाल सरकार के आयोग द्वारा पेगासस मामले (Pegasus Case) की जांच के खिलाफ याचिका पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) जल्द सुनवाई को तैयार हो गया है. भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना ने गुरुवार को कहा कि वो इस मामले की सुनवाई करेंगे. दरअसल, याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि इस मामले की सुनवाई या तो शुक्रवार को हो या फिर कोर्ट खुलने पर तीन जनवरी को. याचिका में कहा गया कि राज्य सरकार के जस्टिस लोकुर आयोग ने कोर्ट के आदेशों के बावजूद जांच जारी रखी है. CJI रमना ने कहा कि पश्चिम बंगाल सरकार ने कहा था कि वो आगे नहीं बढेंगे. 

बता दें कि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने पेगासस मामले की जांच के लिए 27 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट के रिटायर जज जस्टिस आर वी रविंद्रन की अध्यक्षता में जांच के आदेश जारी किए थे . हालांकि, सुनवाई के दौरान पश्चिम बंगाल ने भरोसा दिलाया था कि वो जांच में आगे नहीं बढ़ेंगे, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के कमेटी गठित करने के आदेश के बाद जस्टिस लोकुर कमेटी ने जांच जारी रखी है. इस संबंध में आयोग ने कुछ लोगों को नोटिस भी भेजा है. इसी के खिलाफ NGO  ग्लोबल विलेज फाउंडेशन ने सुप्रीम कोर्ट से सुनवाई करने की मांग की है. 

दरअसल, पेगासस जासूसी आरोपों की जांच के लिए पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा जांच आयोग के गठन को चुनौती देने वाली याचिका दाखिल की गई थी. सुप्रीम कोर्ट ने मामले को पेगासस मामले की SIT जांच वाली याचिकाओं के साथ टैग किया था. 25 अगस्त को  पश्चिम बंगाल सरकार ने अदालत को भरोसा दिलाया था कि सुप्रीम कोर्ट में मामले के लंबित रहने तक न्यायिक आयोग जांच शुरु नहीं करेगा. सुप्रीम कोर्ट ने 18 अगस्त को पेगासस जासूसी आरोपों की जांच के लिए पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा जांच आयोग के गठन को चुनौती देने वाली याचिका पर केंद्र और पश्चिम बंगाल सरकार को नोटिस भेजकर जवाब मांगा था. 

इस मामले में NGO ग्लोबल विलेज फाउंडेशन ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है. इसमें कहा गया है कि जब सुप्रीम कोर्ट खुद इस मामले की सुनवाई कर रहा है तो आयोग का गठन क्यों किया गया?  याचिका में पश्चिम बंगाल सरकार के 27 जुलाई के नोटिफिकेशन को रद्द करने की मांग की गई है. याचिका में कमीशन पर रोक लगाने का आदेश देने की गुहार भी लगाई गई है. 

याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील सौरभ मिश्रा ने पीठ से कहा था कि उन्होंने राज्य सरकार द्वारा जांच आयोग गठित करने की अधिसूचना को अधिकार क्षेत्र के आधार पर चुनौती दी है.  याचिका में कहा गया है कि जब सुप्रीम कोर्ट खुद इस मामले की सुनवाई कर रहा है तो ममता सरकार द्वारा आयोग का गठन क्यों किया गया? 

दरअसल ममता सरकार ने 27 जुलाई को अधिसूचना जारी कर पेगासस जासूसी मामले की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस मदन बी लोकुर की अध्यक्षता में एक आयोग का गठन किया था. राज्य सरकार की इस जांच कमेटी में हाईकोर्ट के दो रिटायर्ड जज भी शामिल हैं - ये कमेटी पश्चिम  बंगाल में फोन हैकिंग, ट्रैकिंग और फोन रिकॉर्डिंग के आरोपों की जांच कर रही है.

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