संसद में 61 घंटे ही हो पाई चर्चा, जनता को हो गया कई सौ करोड़ का नुकसान

सत्र के दौरान राज्य सभा में बिना विस्तृत चर्चा के 15 बिल पारित हुए या उन्हें वापस किया गया. लोक सभा में सदन की प्रोडक्टिविटी और नीचे रही.

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  • संसद का मॉनसून सत्र लगातार व्यवधानों के कारण केवल एक तिहाई समय तक ही सक्रिय रूप से चल पाया
  • राज्य सभा में 285 सवाल पूछने के बावजूद केवल 14 सवालों का ही जवाब सत्र के दौरान दिया गया था
  • लोक सभा स्पीकर ओम बिरला ने सदन की गरिमा बनाए रखने के लिए सभी सांसदों से समर्पित प्रयास करने का आह्वान किया
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संसद का मॉनसून सत्र बेहद हंगामेदार रहा. लगातार 20 दिनों तक इंडिया ब्लॉक से जुड़े विपक्षी दलों ने SIR के मुद्दे पर लोक सभा और राज्य सभा के अंदर और बाहर जमकर हंगामा और प्रदर्शन किया. इसकी वजह से दोनों सदनों की कार्यवाही काफी बाधित हुई. राज्य सभा के डिप्टी चेयरमैन हरवंश ने मॉनसून सत्र के आखिरी दिन अपने समापन भाषण में कहा, "कुल मिलाकर, सदन केवल 41 घंटे 15 मिनट ही चल पाया. इस सत्र की प्रोडक्टिविटी निराशाजनक रूप से सिर्फ 38.88 प्रतिशत रही, जो गंभीर आत्मचिंतन का विषय है."

'कोशिशों के बावजूद ये सत्र नहीं चल सका'

उपसभापति हरिवंश ने कहा, "कोशिशों के बावजूद ये सत्र व्यवधानों के की वजह से प्रभावित हुआ, इससे बार-बार कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी. इससे न केवल संसद का बहुमूल्य समय बर्बाद हुआ, बल्कि सार्वजनिक महत्व के कई मामलों पर चर्चा और विचार-विमर्श संभव नहीं हो सका."

इस सत्र के दौरान सांसदों के पास राज्य सभा में प्रश्नकाल के दौरान 285 सवाल, जीरो ऑवर सबमिशन और 285 स्पेशल मेंशन के जरिये अपनी बात कहने का मौका था. लेकिन, सदन में हंगामे की वजह से प्रश्नकाल के दौरान सिर्फ 14 सवाल पूछना संभव हो पाया और सिर्फ 7 जीरो ऑवर सबमिशन और 61 स्पेशल मेंशन टेकअप किए जा सके.

 लोक सभा में सदन की प्रोडक्टिविटी रही कम

इस सत्र के दौरान राज्य सभा में बिना विस्तृत चर्चा के 15 बिल पारित हुए या उन्हें वापस किया गया. लोक सभा में सदन की प्रोडक्टिविटी और नीचे रही. लोक सभा स्पीकर ओम बिरला ने सत्र के समापन पर कहा, "ये हमारे लिए चिंतनीय विषय रहा कि इस सत्र की कार्यसूची में 419 तारांकित प्रश्न शामिल किए गए थे, पर लगातार व्यवधान के कारण केवल 55 प्रश्न ही मौखिक उत्तर हेतु लिए जा सके. हम सभी ने सत्र के प्रारंभ में तय किया था कि हम इस सत्र में 120 घंटे चर्चा और संवाद करेंगे. लेकिन, लगातार गतिरोध व नियोजित व्यवधान के कारण हम मुश्किल से 37 घंटे ही इस सत्र में काम कर पाए."

  • लोकसभा में 120 घंटे की चर्चा का टारगेट था, जिसमें से सिर्फ 37 घंटे ही चर्चा हो पाई. 
  • एक महीने तक चले इस सत्र में लोकसभा में 12 और राज्यसभा में 14 विधेयक पास हुए.

कितना हुआ नुकसान?

अब अगर इस सत्र में नुकसान की बात करें तो ये कई सौ करोड़ में पहुंच जाता है. जैसा कि हमने आपको बताया था कि 120 घंटे के टारगेट में से महज 37 घंटे ही चर्चा हुई, ऐसे में हिसाब लगाएं तो ये आंकड़ा 1245000000 तक पहुंच जाता है. इसमें से लंच के कुछ घंटे निकाल भी दें तो नुकसान फिर भी कई सौ करोड़ का है. ये पूरा पैसा सीधे टैक्सपेयर्स की जेब से जाता है.

'हमारी कोशिश होनी चाहिए कि सदन शालीनता के साथ चले'

संसद का मॉनसून सत्र 21 जुलाई, 2025 को शुरू हुआ था. सत्र के दौरान सदन का बर्बाद होने पर चिंता जताते हुए लोक सभा स्पीकर ओम बिरला ने अपने समापन भाषण में कहा, "जनप्रतिनिधि के रूप में हमारे आचरण और कार्यप्रणाली को पूरा देश देखता है. जनता बहुत उम्मीदों के साथ चुनकर सदन में भेजती है. सहमति और असहमति होना लोकतंत्र की स्वाभाविक प्रक्रिया है, किंतु हमारा सामूहिक प्रयास होना चाहिए कि सदन गरिमा, मर्यादा और शालीनता के साथ चले. सदन में नियोजित गतिरोध कभी हमारी परंपरा नहीं रही है. हमें विचार करना होगा कि हम देश के नागरिकों को देश की सर्वोच्च लोकतांत्रिक संस्था के माध्यम से क्या संदेश दे रहे हैं. मुझे विश्वास है कि इस विषय पर सभी राजनीतिक दल और माननीय सदस्य गंभीर विचार और आत्म-मंथन करेंगे."

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