केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार को गांधीनगर में 26वीं पश्चिमी क्षेत्रीय परिषद की बैठक की अध्यक्षता की. इस दौरान उन्होंने कहा कि भारत द्वारा अपनी अभिन्न कानून संहिता अपनाने और 'औपनिवेशिक' विरासतों को अस्वीकार करने के बाद कोई भी मामला दो साल से अधिक समय तक नहीं चलेगा.
अमित शाह ने गुजरात, महाराष्ट्र और गोवा के मुख्यमंत्रियों और दादरा तथा नगर हवेली और दमन-दीव के प्रशासक से कहा, "मोदी सरकार द्वारा हाल ही में संसद में पेश किए गए 3 नए विधेयकों - भारतीय न्याय संहिता विधेयक 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता विधेयक 2023 और भारतीय साक्ष्य विधेयक 2023 के पारित होने के बाद कोई भी मामला 2 साल से अधिक समय तक जारी नहीं रह सकता है. इसके परिणामस्वरूप 70% नकारात्मक ऊर्जा खत्म हो जाएगी."
बैठक में उन्होंने कहा, "सभी राज्यों को इन कानूनों के कार्यान्वयन के लिए आवश्यक बुनियादी ढांचे और क्षमता बनाने की दिशा में काम करना चाहिए."
बैठक में महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री और अन्य मंत्री, पश्चिमी क्षेत्र के राज्यों के मुख्य सचिव, केंद्रीय गृह सचिव, सचिव, अंतर-राज्य परिषद सचिवालय और राज्यों और केंद्रीय मंत्रालयों तथा विभागों के अन्य वरिष्ठ अधिकारी शामिल थे.
इस बैठक का हिस्सा रहे एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, "बैठक में समझाया गया कि एक बार नए कानून लागू होने के बाद हम न केवल 'औपनिवेशिक' विरासतों को अस्वीकार करने में सक्षम होंगे, बल्कि ये भी सुनिश्चित करेंगे कि देश भर में कानून व्यवस्था प्रबंधन की एक समान प्रणाली लागू हो."
एनडीए और यूपीए सरकार के कामकाज की तुलना करते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि 2014 और 2023 के बीच जोनल काउंसिल की कुल 23 बैठकें और इसकी स्थायी समितियों की 29 बैठकें हुईं, जबकि 2004 से 2014 तक जोनल काउंसिल की 11 बैठकें, वहीं परिषद और स्थायी समितियों की 14 बैठकें हुईं थी."
अमित शाह ने इस बात का भी जिक्र किया कि केंद्र जोनल काउंसिल के कामकाज को बहुत महत्व देता है और इसीलिए 2014 और 2023 के बीच राज्यों की मदद से 1143 मुद्दों का समाधान किया गया, जो कुल मुद्दों का 90 प्रतिशत से अधिक है, जो जोनल काउंसिल के महत्व को दर्शाता है.
गृह मंत्री ने बैठक में कहा, "पहले भले ही जोनल काउंसिल की भूमिका सलाह देने की रही हो, लेकिन पिछले कुछ सालों में, वे विभिन्न क्षेत्रों में आपसी समझ और सहयोग के स्वस्थ बंधन को बढ़ावा देने में एक महत्वपूर्ण कारक साबित हुए हैं."
उन्होंने कहा कि जोनल काउंसिल, केंद्र और राज्यों के बीच संपूर्ण सरकारी दृष्टिकोण के साथ मुद्दों को हल करने के लिए सहकारी संघवाद का एक महत्वपूर्ण मंच है, जो संविधान की भावना के अनुसार सर्वसम्मति से समाधान में विश्वास करता है.