मणिपुर सरकार ने म्यांमार के 718 नागरिकों के अवैध प्रवेश के बारे में असम राइफल्स से स्पष्टीकरण मांगा है. हालांकि जमीनी स्तर पर सक्रिय सुरक्षा बलों का दावा है कि इन सभी नागरिकों की गिनती और पहचान पक्की करने की प्रक्रिया चल रही है और अब तक उनके पास से कोई हथियार या गोला-बारूद नहीं मिला है. एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने एनडीटीवी को बताया, "यह कोई नई बात नहीं है कि जब भी उनकी तरफ सीमावर्ती क्षेत्रों में झड़पें होती हैं तो म्यांमार के ये ग्रामीण सैकड़ों की संख्या में सीमा पार कर आते हैं. हम उचित कार्रवाही करते हैं और प्रत्येक का हिसाब-किताब व्यवस्थित तरीके से किया जाता है, बायोमेट्रिक्स भी लिया जाता है और स्थिति शांत होने के बाद वे फिर से पार चले जाते हैं.”
उनके मुताबिक सीमा पार करने की यह पहली घटना नहीं है, बल्कि मणिपुर में तनावपूर्ण स्थिति के कारण हर घटना को हाईलाइट किया जा रहा है. उन्होंने आगे कहा, "चंदेल जिले के जिला आयुक्त और एसपी को सभी व्यक्तियों के बायोमेट्रिक्स और तस्वीरें रखने के लिए कहा गया है."
असम राइफल्स एक सीमा सुरक्षा बल है और इसे म्यांमार से लगी सीमा पर सुरक्षा के लिए तैनात किया गया है. हालांकि असम राइफल्स का प्रशासनिक नियंत्रण गृह मंत्रालय के पास है, वहीं भारतीय सेना असम राइफल्स का ऑपरेशनल नियंत्रण बनाए रखती है.
म्यांमार के नागरिकों को तुरंत भेजने की सलाह
मणिपुर के मुख्य सचिव विनीत जोशी ने सोमवार को असम राइफल्स को पत्र लिखकर रिपोर्ट मांगी थी और म्यांमार के नागरिकों को तुरंत वापस भेजने की सलाह भी दी थी. उन्होंने अपने पत्र में कहा, "718 शरणार्थियों के अवैध प्रवेश को राज्य प्रशासन द्वारा गंभीरता से लिया जा रहा है. इसके अंतरराष्ट्रीय प्रभाव हो सकते हैं, विशेषकर मौजूदा कानून और व्यवस्था के मुद्दों को देखते हुए."
'सख्त कार्रवाई की जाए'
राज्य के मुख्य सचिव के पत्र ने असम राइफल्स का ध्यान ऐसी पिछली घटनाओं की ओर आकर्षित किया है. जोशी ने कहा, “अतीत में इसी तरह के मुद्दों के संबंध में राज्य सरकार ने सीमा सुरक्षा बल होने के नाते असम राइफल्स को स्पष्ट रूप से सूचित किया था कि गृह मंत्रालय, भारत सरकार के निर्देश के अनुसार वैध वीजा/यात्रा दस्तावेजों के बिना किसी भी आधार पर मणिपुर में म्यांमार के नागरिकों के प्रवेश को रोकने के लिए सख्त कार्रवाई की जाए.”
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