भारत के वैक्सीन टास्क फोर्स के प्रमुख ने आज NDTV को दिए एक एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में कहा कि भारत में नेजल वैक्सीन उन लोगों को नहीं दिया जाएगा, जिन्होंने बूस्टर डोज ली है. नेज़ल वैक्सीन iNCOVACC को पिछले हफ्ते कोविन प्लेटफॉर्म पर पेश किया गया था. डॉ एनके अरोड़ा ने एनडीटीवी को बताया, 'यह (नेजल वैक्सीन) पहले बूस्टर के रूप में अनुशंसित है. उदाहरण के लिए यदि किसी व्यक्ति को पहले से ही एहतियाती खुराक मिल चुकी है तो यह उस व्यक्ति के लिए नहीं है. यह उन लोगों के लिए है जिन्होंने अभी तक एहतियाती खुराक नहीं ली है.'
डॉ. अरोड़ा NTAGI के कोविड वर्किंग ग्रुप के अध्यक्ष हैं, जो टीकाकरण पर राष्ट्रीय तकनीकी सलाहकार समूह का संक्षिप्त रूप है. यह नए टीकों को पेश करने और टीकाकरण कार्यक्रम को मजबूत करने की दिशा में काम करता है.
उनसे जब पूछा गया कि क्या जिस व्यक्ति ने बूस्टर खुराक ली है वह नेजल वैक्सीन ले सकता है तो उन्होंने NDTV को बताया, ‘कार्यक्रम के हिस्से के रूप में नहीं. कोविन चौथी खुराक स्वीकार नहीं करेगा.‘
डॉ. अरोड़ा ने कहा, ‘मान लें कि आप एक और चौथी खुराक लेना चाहते हैं, एक अवधारणा है जिसे ‘एंटीजन सिंक‘ कहते हैं, इसके अनुसार यदि किसी व्यक्ति को विशेष प्रकार के एंटीजन के साथ बार-बार प्रतिरक्षित किया जाता है तो शरीर प्रतिक्रिया देना ही बंद कर देता है या खराब प्रतिक्रिया देता है. इसलिए शुरुआत में mRNA वैक्सीन छह महीने के अंतराल पर दिए जाते हैं और बाद में लोग तीन महीने का अंतराल ले रहे हैं, लेकिन उस मामले में इससे बहुत अधिक मदद नहीं मिली है. इसलिए फिलहाल चौथी खुराक लेने का कोई मूल्य नहीं है.‘
डॉ. अरोड़ा ने कहा, एंट्री प्वाइंट (वैक्सीन का) श्वसन तंत्र है - नाक और मुंह, जहां प्रतिरक्षा प्रणाली बाधाओं का निर्माण करती है, जिससे वायरस को सिस्टम में आसानी से प्रवेश न मिले, यह लड़ने में मदद करने वाला है सिर्फ कोविड ही नहीं बल्कि सभी श्वसन तंत्र के वायरस और संक्रमण के लिए यह ऐसा मंच है जो उनसे लड़ने में बहुत उपयोगी साबित होने वाला है.‘
डॉ. अरोडा से यह भी पूछा गया कि क्या नेजल वैक्सीन की बूस्टर खुराक के बाद लोगों को बूस्टर लेने की आवश्यकता होगी? इस पर उन्होंने कहा, ‘इस समय वैज्ञानिक उत्तर है कि इस बात का कोई सबूत नहीं है कि और टीकों की आवश्यकता होगी या नहीं. यहां तक कि उन देशों में भी जहां लोगों ने तीन टीके लिए हैं. टीके की चार या पाँच खुराकें विशेष रूप से उत्तरी अमेरिका और यूरोप में ये एमआरए वैक्सीन, लेकिन वे लगातार संक्रमण से पीड़ित हैं.'
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