किसान आंदोलन के दौरान पुलिस की कार्रवाई से किसी किसान की मौत नहीं हुई: सरकार

केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर (Narendra Tomar) ने शुक्रवार को कहा कि साल भर से चल रहे कृषि विरोध के दौरान पुलिस कार्रवाई में किसी किसान की मौत नहीं हुई.

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कांग्रेस सहित कई आन्य दल प्रदर्शन के दौरान हुई किसानों की मौत के मामले को लगातार उठा रहे हैं
नई दिल्ली:

केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर (Narendra Singh Tomar) ने शुक्रवार को कहा कि साल भर से चल रहे कृषि विरोध के दौरान पुलिस कार्रवाई में किसी किसान की मौत नहीं हुई. कग्रेस नेता धीरज प्रसाद साहू और आप नेता संजय सिंह के संयुक्त प्रश्न के उत्तर में तोमर ने राज्यसभा में एक लिखित उत्तर में कहा, "किसान आंदोलन (Farmers Protest) में मृतक किसानों के परिवारों को मुआवजे आदि का विषय है. संबंधित राज्य सरकारों के साथ. किसान आंदोलन (Farmers Agitation) के दौरान पुलिस की कार्रवाई से किसी किसान की मौत नहीं हुई.

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ज्ञात हो कि विभिन्न किसान संगठन तीनों केंद्रीय कानूनों के खिलाफ दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे थे. आंदोलन का नेतृत्व कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा ने सरकार द्वारा उनकी प्रमुख मांगों को मान लिए जाने के बाद गुरुवार को आंदोलन स्थगित किए जाने की घोषणा की थी.

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राज्यसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा, ‘‘किसान आंदोलन में मृतक किसानों के परिवारों को मुआवजा, इत्यादि का विशेष राज्य सरकार से संबंधित है. किसान आंदोलन के दौरान किसी भी किसान की मृत्यु पुलिस कार्रवाई के फलस्वरुप नहीं हुई है.'' कांग्रेस के धीरज प्रसाद साहू और आम आदमी पार्टी के संजय सिंह द्वारा संयुक्त रूप से पूछे गए एक सवाल के जवाब में तोमर ने यह जानकारी दी.

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उनसे पूछे गया था कि क्या सरकार किसानों के विरोध के दौरान मरने वाले किसानों के परिवारों को आजीविका या आर्थिक क्षतिपूर्ति प्रदान करने की योजना बना रही है या इसके लिए कोई प्रावधान किया है. उल्लेखनीय है कि कांग्रेस सहित कुछ अन्य विपक्षी दल प्रदर्शन के दौरान हुई किसानों की मौत के मामले को लगातार उठा रहे हैं और उनके परिजनों को मुआवजा दिए जाने की मांग कर रहे हैं.

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पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसान बड़ी संख्या में पिछले साल नवंबर से तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे और इन्हें वापस लिए जाने की मांग कर रहे थे.सरकार ने 29 नवंबर को वर्तमान संसद सत्र के पहले दिन एक विधेयक के माध्यम से तीनों कानूनों को निरस्त कर दिया था. न्यूनतम समर्थन मूल्य से संबंधित एक अन्य सवाल के जवाब में तोमर ने कहा कि देश की बदलती आवश्यकताओं के अनुसार फसल पैटर्न को बदलने, एमएसपी को अधिक प्रभावी एवं पारदर्शी बनाने तथा जीरो बजट आधारित कृषि को प्रोत्साहित करने के लिए एक औपचारिक समिति का गठन किया जाना सरकार के विचाराधीन है.

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ज्ञात हो कि एमएसपी को कानूनी स्वरूप देना भी किसानों की एक प्रमुख मांग रही है. कृषि कानूनों को निरस्त करने संबंधी फैसले की घोषणा करते वक्त प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले दिनों एमएसपी के लिए एक समिति गठित किए जाने की बात कही थी. स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों के अनुरूप एमएसपी को कानूनी गारंटी दिए जाने संबंधी एक सवाल के जवाब में केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय किसान आयोग ने एमएसपी कम से कम 50 प्रतिशत लाभ उत्पादन की भारित औसत लागत निर्धारित करने की सिफारिश की थी, जिसे 2018-19 में लागू किया गया है.

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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