नौसेना में 'निशंक' ओर 'अक्षय' की बेमिसाल यात्रा आखिरी पड़ाव पर, युद्धपोतों ने 33 साल दी सेवाएं

अपने  तीन दशक के स्वर्णिम काल के दौरान इन पोतों को कई अवसर पर सुरक्षा  स्थितियों एवम्  रक्षा अभियान के दौरान तैनात किया गया है.

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भारतीय नौसेना तीन दशक से अधिक की सेवा के बाद अग्रिम पंक्ति के दो जहाजों को विदाई देगी
नई दिल्ली:

भारतीय नौसेना शुक्रवार को अग्रिम पंक्ति के अपने दो युद्धपोतों को सेवामुक्त कर देगी जो लगभग 33 साल से देश के समुद्री हितों की रक्षा करने की इन जहाजों की शानदार यात्राओं का अंत होगा. निशंक और अक्षय (INS Nishank and Akshay ) नाम के ये युद्धपोत (Warship) लंबे समय से देश की सेवा कर रहे थे. नौसेना में एक युद्धपोत को जीवंत प्राणी का दर्जा प्राप्त होता है. नोसेना में किसी युद्धपोत की विदाई एक अंत्यत भावुक अवसर होता है. पूर्व सोवियत संघ में निर्मित आइएनएस निशंक जो की वीर श्रेणी मिसाइल कोर्वेट का चोथा जहाज़ है. युद्धपोत निशंक को पूर्वी ओर पश्चिमी तटों पर विदेशी नौसेनिक जहाज़ को नेस्तनाबूत करने का गौरव प्राप्त है. अपनी सतह पर मार करने वाली शक्तिशाली ओर अचूक मिसाइलों से सुस्सजित इस युद्धपोत में दुश्मन के दिल में डर पैदा करने की क्षमता है. 

अक्षय जो की 23वें गश्ती पोत जत्थे का हिस्सा है , जिसकी सर्वोच्च भूमिका पनडुब्बीरोधी तटीय गश्ती करना रहा है. यह महाराष्ट्र् के अत्यंत प्रभावी नौसेनिक अधिकारी के कमान में रहा है. यह युद्धपोत लम्बी दूरी वाले टारपिडो ओर पनडुब्बी को विध्वंस करने वाले रोकेटों से सुसजित है.

अपने  तीन दशक के स्वर्णिम काल के दौरान इन पोतों को कई अवसर पर सुरक्षा  स्थितियों एवम्  रक्षा अभियान के दौरान तैनात किया गया है. 1999 के कारगिल युद्ध के दौरान ऑपरेशन तलवार  और 2001 में हुए ऑपरेशन पराक्रम उनमें से एक है.  साथ ही साथ इन पोतों ने  2017 में हुए उरी - पठानकोट हमलों के दौरान अपनी सराहनीय भूमिका निभायी है और  देश के ख़िलाफ़ कोई भी मुंहतोड़ जवाब देने के लिए हमेशा सजग , सतर्क ओर तत्पर रहा है.  

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3 जून को होने वाले कार्यक्रम में  विशिष्ठ अतिथि के रूप में वाइस एडमिरल आर के पटनायक (सेवानिवृत) जो कि आईएनएस अक्षय के प्रथम कमांडिंग ऑफिसर और वाइस एडमिरल एस पी एस चिमा (सेवानिवृत) जो कि आई एन एस निशंक के  प्रथम कमांडिंग ऑफिसर थे, उपस्थित रहेंगे. . इस समारोह में पूर्व सैनिकों और कार्यरत सैनिकों के साथ उनके परिवार भी शामिल होंगे जिन्होंने इन पोतों के इतिहास को गौरवशाली बनाने में अपनी भूमिका अदा की है.
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