"कभी चर्चा नहीं की...": असम पुलिस के "धर्मांतरण" पत्र पर हिमंत बिस्वा सरमा

यह पत्र 16 दिसंबर को जारी किया गया था और इसकी प्रतियां विशेष पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) जीपी सिंह और गृह विभाग के प्रधान सचिव नीरज वर्मा को भी भेजी गईं थीं.

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असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने आज असम पुलिस के विवादित पत्र से खुद को अलग कर लिया.
गुवाहाटी:

असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने आज असम पुलिस के उस विवादित पत्र से खुद को अलग कर लिया, जिसमें धर्मांतरण और चर्च की साख पर आंकड़े मांगे गए थे. आज देश में क्रिसमस मनाया जा रहा है और इसी बीच, असम पुलिस की विशेष शाखा (special branch) से जिला प्रशासन को धर्म परिवर्तन और चर्चों की संख्या के बारे में जानकारी मांगने वाला एक पत्र मीडिया में लीक हो गया. इसके बाद विवाद शुरू हो गया. विवाद इतना बढ़ा कि ​​​​कि मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा को भी सामने आकर खुद को मामले से अलग करने करना पड़ा.

असम में विशेष शाखा के पुलिस अधीक्षक (एसपी) ने पत्र (इसकी एक प्रति एनडीटीवी के पास उपलब्ध है )लिखकर जिला एसपी से 22 दिसंबर तक पिछले वर्ष के भीतर स्थापित चर्चों की संख्या के बारे में जानकारी मांगी. इसके अलावा मौजूदा चर्च, पिछले छह वर्षों में धर्म परिवर्तन के उदाहरण और धर्मांतरण गतिविधियों में शामिल लोगों की जानकारी मांगी गई.

मुख्यमंत्री सरमा ने कहा, "मुझे लगता है कि हमें इस तरह की जानकारी नहीं मांगनी चाहिए, जैसे कि असम में कितने चर्च हैं. इससे एक विशेष धार्मिक समुदाय की भावनाएं आहत हो सकती हैं .... मैं असम सरकार की स्थिति स्पष्ट करना चाहूंगा कि हम नहीं चाहते कि किसी चर्च पर या किसी अन्य धार्मिक संस्था पर कोई सर्वे हो...संक्षेप में, मैं अपने आप को पत्र से पूरी तरह से अलग कर लेता हूं. कभी किसी सरकारी मंच पर इस पर चर्चा नहीं हुई. पत्र पूरी तरह अनुचित है. एक असमिया के रूप में, असम के नागरिक के रूप में, हम सभी समुदायों के साथ शांति और सद्भाव से रहना चाहते हैं. मुझे लगता है कि डीजीपी तुरंत सुधारात्मक उपाय करेंगे."

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यह पत्र 16 दिसंबर को जारी किया गया था और इसकी प्रतियां विशेष पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) जीपी सिंह और गृह विभाग के प्रधान सचिव नीरज वर्मा को भी भेजी गईं थीं. इस साल अक्टूबर में, असम पुलिस ने डिब्रूगढ़ और कार्बी आंगलोंग जिलों में मिशनरी गतिविधियों में शामिल होकर पर्यटक वीजा मानदंडों का उल्लंघन करने के लिए तीन स्वीडिश नागरिकों और बाद में सात जर्मन नागरिकों को हिरासत में लिया था. वीजा नियमों का उल्लंघन करने पर प्रत्येक पर 500 डॉलर का जुर्माना लगाने के बाद उन्हें निर्वासित कर दिया गया. यह घटना ऐसे समय में सामने आई है, जब पूर्वोत्तर के दो ईसाई बहुल राज्यों मेघालय और नागालैंड में अगले दो महीनों के भीतर विधानसभा चुनाव होने हैं.

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