NCERT 12वीं पॉलिटिकल साइंस की टेक्‍स्‍टबुक ने शिक्षाविदों के बीच छेड़ी बहस, बाबरी मस्जिद का जिक्र हटाने सहित कई अहम बदलाव

NCERT द्वारा बारहवीं कक्षा की पॉलिटिकल साइंस की टेक्स्टबुक में बदलाव ने एक नई बहस छेड़ दी है. नई किताब में बाबरी मस्जिद ढांचे को गिराने से जुड़े संदर्भों को हटा दिया गया है.

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NCERT की 12वीं कक्षा की पॉलिटिकल साइंस की टेक्स्टबुक ने एक बहस छेड़ दी है. (प्रतीकात्‍मक)
नई दिल्‍ली :

देश में स्कूली शिक्षा में गुणात्मक सुधार के लिए नीतियों और स्कूलों के लिए मॉडल पाठ्यपुस्तकें तैयार और प्रकाशित करने वाले स्वायत्त संगठन राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (National Council of Educational Research and Training) ने बारहवीं कक्षा की पॉलिटिकल साइंस की किताब में कई अहम बदलाव किये हैं. "Politics in India Since Independence" नाम की पॉलिटिकल साइंस की किताब के नए एडिशन से अयोध्या में विवादित बाबरी मस्जिद ढांचे को गिराने और बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी के नेतृत्व वाली राम रथ यात्रा से जुड़े संदर्भों को हटा दिया गया है. शनिवार को न्‍यूज एजेंसी PTI के मुख्यालय में संपादकों के साथ खास बातचीत में NCERT के डायरेक्‍टर दिनेश प्रसाद सकलानी ने इस पर स्पष्टीकरण देते हुए कहा कि पाठ्यपुस्तकों में बदलाव निरंतर बदलाव की प्रक्रिया के तहत किया गया है. 

पॉलिटिकल साइंस की बारहवीं कक्षा की नई टेक्स्टबुक में अयोध्या की बाबरी मस्जिद को "तीन गुंबद वाली संरचना" (Three Dome Structure) बताया गया है. इसमें राम मंदिर मामले पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का उल्लेख किया गया है, जिसके जरिए नए राम मंदिर के निर्माण का काम प्रशस्त हुआ. नई किताब में लिखा है, "कई शताब्दी पुराने इस कानूनी और राजनीतिक विवाद ने देश की राजनीति को प्रभावित किया और इसकी वजह से कई तरह के राजनीतिक बदलाव सामने आए. इसकी वजह से देश में लोकतंत्र और धर्मनिरपेक्षता पर बहस की दिशा बदली. इन बदलावों की वजह से अयोध्या में नए राम मंदिर का निर्माण प्रशस्त हुआ".

टेक्स्टबुक में बदलाव निरंतर प्रक्रिया : NCERT मैनेजमेंट

इस बदलाव पर NCERT मैनेजमेंट ने कहा है कि टेक्स्टबुक में बदलाव निरंतर प्रक्रिया है, जो वक्त की जरूरत के हिसाब से किया गया है. NCERT के डायरेक्टर प्रो. दिनेश प्रसाद सकलानी के मुताबिक स्कूली पाठ्यक्रम में दंगों और हिंसा से जुड़े कंटेंट से छात्रों में हिंसक और हताश मनोवृति को बढ़ावा मिल सकता है.

दिनेश सकलानी ने PTI  को दिये इंटरव्यू में कहा,"हमें स्कूल की पाठ्यपुस्तकों में दंगों के बारे में क्यों पढ़ाना चाहिए? हम सकारात्मक नागरिक बनाना चाहते हैं, न कि हिंसक और अवसादग्रस्त व्यक्ति...क्या हमें अपने छात्रों को इस तरह पढ़ाना चाहिए कि वे आक्रामक हो जाएं, समाज में नफरत पैदा करें या नफरत का शिकार बनें? क्या यही शिक्षा का उद्देश्य है? क्या हमें ऐसे छोटे बच्चों को दंगों के बारे में पढ़ाना चाहिए... जब वे बड़े हो जाएंगे, तो वे इसके बारे में जान सकते हैं, लेकिन स्कूली पाठ्यपुस्तकों में क्यों? उन्हें बड़े होने पर यह समझने दें कि क्या हुआ और क्यों हुआ. बदलावों के बारे में शोर-शराबा व्यर्थ है."

दिनेश सकलानी ने स्कूली पाठ्यक्रम के भगवाकरण के आरोपों को खारिज कर दिया. उन्होंने कहा, "यदि सुप्रीम कोर्ट ने राम मंदिर, बाबरी मस्जिद या राम जन्मभूमि के पक्ष में फैसला दिया है तो क्या इसे हमारी पाठ्यपुस्तकों में शामिल नहीं किया जाना चाहिए, इसमें क्या समस्या है? अगर कोई चीज अप्रासंगिक हो गई है, तो उसे बदलना होगा. इसे क्यों नहीं बदला जाना चाहिए? मुझे यहां कोई भगवाकरण नहीं दिखता".

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विशेष विचारधारा से प्रेरित थीं किताबें : राजपूत 

पूर्व प्रधामनंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल के दौरान NCERT के निदेशक रहे शिक्षाविद जेएस राजपूत कहते हैं कि NCERT की किताबों में परिवर्तन आवश्यक होता है क्योंकि बच्चों को नए परिवर्तन से अवगत कराना और उसमें भागीदारी के लिए तैयार करना जरूरी है. उनके मुताबिक गतिशीलता शिक्षा का अभिन्न अंग है, किताबें बदलती हैं और आगे भी बदलती रहेगी. लेकिन इस दौरान बच्चों पर पाठ्यक्रम का बोझ कम हो, यह भी सुनिश्चित करना जरूरी है.

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NDTV ने जब पूछा कि पिछले कुछ दशक के दौरान देश में कुछ हिंसक घटनाक्रम या घटनाएं हुईं हैं, उन्‍हें क्या स्कूल के पाठ्यक्रम से हटाना जरूरी है तो जेएस राजपूत ने कहा,  "1970 के बाद जो स्कूल की किताबें लिखी गई वह एक विशेष विचारधारा से प्रेरित थीं... जब वैचारिक रुझान स्कूली किताबों में आ जाए तो उन्हें हटाना चाहिए. मैं जब NCERT के निदेशक के तौर पर नई किताब लिखवा रहा था, तब मैं कुछ इतिहासकारों के पास गया था. मैंने उनसे कहा कि आप किताबों में परिवर्तन करिए, लेकिन उन्होंने कहा मैं बीजेपी के साथ काम नहीं करूंगा. मैंने उनसे कहा कि मैं NCERT की तरफ से आया हूं, लेकिन वो तैयार नहीं हुए. मुझे फिर नए इतिहासकार लेने पड़े."

राजपूत के मुताबिक NCERT की किताबों में निरंतर नए तथ्यों को शामिल करना चाहिए, उनमें परिवर्तन करना आवशयक है और ये NCERT प्रबंधन का दायित्व भी है.

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अतीत की पूरी जानकारी दी जानी चाहिए : आचार्य 

दरअसल, लम्बे समय से बारहवीं कक्षा की राजनीति शास्त्र की किताबों में बाबरी मस्जिद ढांचा को गिराए जाने और अयोध्या से जुड़े कंटेंट को शामिल किया जाता रहा. अब 12th क्लास की पॉलिटिकल साइंस की किताबों में किये गए बदलाव पर कुछ एजुकेशन एक्सपर्ट सवाल उठा रहे हैं. उनकी दलील है कि इससे छात्रों को भारत के मॉडर्न हिस्ट्री के बारे में सही तरीके से पूरी जानकारी नहीं मिल पाएगी. 

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NCERT की पॉलिटिकल साइंस की किताब में बदलाव का विरोध करने वाले शिक्षाविदों का मानना है कि ये सवाल महत्वपूर्ण नहीं है कि आप दंगों को या हिंसा को पाठ्यक्रम में शामिल करें या न करें. ज्‍यादा महत्वपूर्ण ये है कि इन संवेदनशील विषयों को किस तरह से पढ़ाया जाए. 

देशभर के वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालयों के जाने माने संघ नेशनल प्रोग्रेसिव स्कूल्स कॉन्फ्रेंस (NPSC) की एग्जीक्यूटिव मेंबर और दिल्ली के ITL पब्लिक स्‍कूल की चेयरपर्सन सुधा आचार्य कहती हैं कि स्कूली बच्चों को देश के अतीत के बारे में पूरी जानकारी दी जानी चाहिए. 

एनडीटीवी से बातचीत में सुधा आचार्य ने कहा, "बच्चों को देश के इतिहास से जुड़े हर तरह के तथ्यों के बारे में बताना जरूरी है. अगर कोई हिंसक आंदोलन हुआ है या इतिहास में किसी मुद्दे पर सामाजिक तनाव हुआ तो इससे भविष्य में कैसे बचा जा सकता है, इससे क्या सीख ली जा सकती है. भविष्य के लिए ये सब बच्चों को बताना बेहद जरूरी है. हम बच्चों को इन तथ्यों के प्रति अलग नहीं कर सकते हैं. अगर हम "तीन गुंबद वाली संरचना" का जिक्र कर रहे हैं तो बाबरी मस्जिद लिखने में कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए".  

जाहिर है कि NCERT द्वारा बारहवीं कक्षा की पॉलिटिकल साइंस की टेक्स्टबुक में बदलाव ने इस मसले पर एक बहस छेड़ दी है और ये बहस जल्दी खत्‍म होगी, इसके आसार फिलहाल दिखाई नहीं देते. 

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