कर्नाटक विधानसभा चुनावों की घोषणा हो चुकी है और इसी के साथ राजनीतिक पार्टियां अपने उम्मीदवारों की लिस्ट और चुनावी रणनीति को तैयार करने में जुटी हुई हैं. वहीं, एनडीटीवी से खास बातचीत के दौरान राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के प्रमुख शरद पवार ने कहा "कांग्रेस के पास अगले महीने कर्नाटक विधानसभा चुनाव जीतने का अच्छा मौका है."
बीजेपी वर्तमान में कर्नाटक में सत्ता में है और फिर से कर्नाटक विधानसभा चुनाव जीतना चाहती है, जहां वह 2008 में देश के दक्षिणी क्षेत्र में पहली बार सत्ता में आई थी. शरद पवार ने कहा कि कर्नाटक चुनाव को अगले साल होने वाले राष्ट्रीय चुनाव के परिप्रेक्ष्य से नहीं देखा जा सकता है, हालांकि BJP अपने अभियानों में राष्ट्रीय मुद्दों को राज्य के मुद्दों से जोड़ती है.
पवार ने NDTV को बताया, "मेरा आकलन (कर्नाटक चुनाव का) है कि दो प्रकार के चुनाव होते हैं - केंद्र सरकार के लिए एक राष्ट्रीय चुनाव और राज्यों के लिए एक चुनाव. मेरा व्यक्तिगत आकलन, और आप सहमत नहीं हो सकते हैं, यह है कि राज्य के चुनाव एक अलग 'खेल' है.” पवार ने कहा, "केरल, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश बीजेपी की सरकारें नहीं हैं. कर्नाटक में चुनाव है और मेरा आकलन है कि कांग्रेस जीतेगी."
एनसीपी प्रमुख ने कहा, "मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सरकार थी और कमलनाथ मुख्यमंत्री थे, हालांकि विधायक टूट गए और भाजपा ने बाद में सरकार बनाई ... राजस्थान, दिल्ली, पंजाब, पश्चिम बंगाल, ऐसे कई राज्य गैर-भाजपा हैं." पवार को खुद महाराष्ट्र में भाजपा को सत्ता से हटाने और उद्धव ठाकरे के शिवसेना गुट और कांग्रेस के साथ सरकार बनाने का अनुभव है. उनका गठबंधन अल्पकालिक था, क्योंकि वर्तमान मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में शिवसेना के विधायकों ने विद्रोह किया और भाजपा, ठाकरे के पूर्व सहयोगी के साथ सरकार बनाई.
एनसीपी नेता ने कहा, "नागालैंड में हमारे 6-7 लोग चुनकर आ गए. मैंने डिफ़ेंस मिनिस्टर और केंद्रीय मंत्री के तौर पर वहां की स्थितियां हैंडल की थीं. वहां की स्थिति सेंसेटिव है. कुछ लोग भारत के ख़िलाफ़ थे, जब कुछ ऐसी शक्तियां होती हैं, ऐसे छोटे राज्य में पॉलिटिकल इंटरेस्ट दूर रखकर नेशनल इंटरेस्ट को सामने रखकर कुछ कदम उठाने की ज़रूरत होती है. अलगाववाद की भूमिका लेकर एक अलग रास्ता देश के सामने रखने की कोशिश की है और आज भी करते हैं. ऐसे समय मिलकर वहां मज़बूती की हुकूमत देने की आवश्यकता है. लेकिन ठीक तरह से यदि यहां ध्यान नहीं देंगे तो इसकी क़ीमत देश को और ख़ास तौर से नॉर्थ ईस्ट को चुकानी पड़ेगी."
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