मशहूर गीतकार और शायर जावेद अख्तर ने पाकिस्तान की सरजमीं पर खड़े होकर उसे ही बड़ी नसीहत दे दी है. जावेद अख्तर ने लाहौर में उर्दू शायर फैज अहमद फैज की याद में एक कार्यक्रम में खुले मंच से कह दिया कि मुंबई हमले की साजिश रचने वाले पाकिस्तान में खुलेआम घूम रहे हैं. इस पर उनकी खूब तारीफ हो रही है. जावेद अख्तर का वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. इस बीच NDTV ने जावेद अख्तर से इस बारे में खास बातचीत की. अख्तर ने अपने बयान को लेकर कहा कि जो सच है उसे झूठलाया नहीं जा सकता. बड़ी बात ये है कि पाकिस्तान के कार्यक्रम में जहां मैंने ये बात कही, वहां करीब 3 हजार लोग मौजूद थे. सबने मेरी बात पर तालियां बजाईं.
जावेद अख्तर ने कहा कि मैंने पाकिस्तान में ये बात कही दी... ये बड़ी बात नहीं है. मैं तो कहता ही रहता हूं. बड़ी बात जो लगी. वो ये है कि पाकिस्तान में पूरे हॉल में लोगों ने तालियां बजाईं. उन्होंने आगे कहा- 'तीन हजार लोगों को ऐसे देखना... बड़ा बदलाव है. मतलब इनका बस चले, तो हिन्दुस्तान के साथ आज ही रिश्ते अच्छे कर दें. इन लोगों को हिन्दुस्तान के आम लोगों के लिए बहुत प्यार और इज्जत है.' जावेद अख्तर ने आगे कहा कि आम हिन्दुस्तानियों को भी इसका पता होना चाहिए कि आम पाकिस्तानी और पाकिस्तानी फौज में क्या फर्क है.
NDTV से बातचीत में जावेद अख्तर ने कहा कि हिन्दुस्तान में ये समझ है और इस समझ को और ज्यादा मजबूत करने की जरूरत है. एक वाकया याद करते हुए जावेद अख्तर कहते हैं- 'मेरे एक साथी थे, जिन्होंने पाकिस्तान के म्यूजिक का एक कैसेट देखा. उन्होंने बड़ी हैरानी से मुझे बताया कि जावेद साहाब लाहौर में भी वैसी सड़कें हैं, जैसी हमारे यहां हैं...' ये तो हाल है लोगों का. हमें इस सोच को बदलना होगा.
जावेद साहब पाकिस्तान के लाहौर में आयोजित 'फैज फेस्टिवल' में पहुंचे थे. उर्दू शायर फैज अहमद फैज की याद में यहां 17 से 19 फरवरी तक कार्यक्रम आयोजित किया गया था. इसमें उन्होंने कहा, 'हम तो बंबई के लोग हैं, हमने देखा हमारे शहर पर कैसे हमला हुआ था. वो लोग (आतंकी) नॉर्वे से तो नहीं आए थे, ना इजिप्ट से आए थे. वो लोग अभी भी आपके मुल्क में घूम रहे हैं. तो ये शिकायत अगर हर हिंदुस्तानी के दिल में है तो, आपको बुरा नहीं मानना चाहिए.'
कार्यक्रम के दौरान एक महिला ने सवाल किया- 'जावेद साहब क्या आप हिन्दुस्तान जाकर वहां के लोगों को बताते हैं कि पाकिस्तान बड़ा फ्रेंडली, लविंग और पॉजिटिव मुल्क है. हम बम नहीं मारते, फूल भी पहनाते हैं और प्यार भी करते हैं?'
इसपर जावेद अख्तर ने जवाब दिया, 'आप...आज जो कह रही हैं, उसमें बहुत सच्चाई है, लेकिन ये बहुत दुख की बात है कि लाहौर और अमृतसर शहर का जो सेंटर है उनमें 30 किलोमीटर का डिस्टेंस है. पता नहीं कितने लोग इस बात को जानते हैं. उसके बावजूद इन दोनों शहरों में और पूरे मुल्कों में एक-दूसरे के बारे में जो लाइल्मी (जानकारी का अभाव) है वो हैरतअंगेज है.'
उन्होंने आगे कहा, 'आप ऐसा न समझिए कि आप हिन्दुस्तान के बारे में सब जानती हैं. मैं ऐसा नहीं कहूंगा कि आम हिन्दुस्तानी आपके बारे में सब जानता है. आपमें कैसे-कैसे लोग यहां बैठे हैं उन के बारे में उसे पता है, लेकिन आपको भी नहीं पता... और ये लाइल्मी दोनों तरफ से है. मैं कभी-कभी बड़ा हैरान होता हूं, मैं सुनता हूं जो बात.'
वहीं, एक युवक ने जावेद अख्तर से पूछा- 'आपने कहा कि दोनों मुल्कों में लाइल्मी है. इसकी एक वजह तो है जो इसकी सबसे बड़ी वजह है. आपको क्या लगता है कि ऐसा क्या काम करना चाहिए कि आज की जो युवा पीढ़ी है जो सबसे बड़ी स्ट्रेंथ है. उसके अंदर टॉलरेंस का एलीमेंट अंडरस्टैंड कराया जा सके.'
जावेद अख्तर ने इसके जवाब में कहा- 'भारत और पाकिस्तान दोनों मुल्कों में ऐसे लोग हैं जो चाहते हैं कि इस रीजन में अमन हो, दोस्ती हो, ट्रेड हो, कल्चरल एक्सचेंज हो. वो जितना बन पड़ता है, उतनी कोशिश भी करते हैं. लेकिन अल्टीमेटली बरसरे इक्तिदार लोग (सत्ता में बैठे लोग) होते हैं, ये उनके ही हाथ में होता है. आप सारी कोशिश कर लें वो एक वाकया सारी कोशिशों पर पानी फेर देगा. मेरा मानना है कि दोनों तरफ की अवाम को ये प्रेशर बनाना चाहिए कि चलो जो कुछ भी है ये ठीक होना चाहिए.'
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