- MP सरकार ने आरक्षण पर विवादित टिप्पणी करने वाले IAS संतोष वर्मा को पद से हटा दिया है और जांच जारी है.
- संतोष वर्मा पर फर्जी दस्तावेजों के आधार पर इंटेग्रिटी सर्टिफिकेट हासिल कर IAS बनने का आरोप है.
- उनके जातीय विवादित बयान के बाद सवर्ण संगठनों और ब्राह्मण समुदाय ने प्रदर्शन कर उनकी गिरफ्तारी की मांग की थी.
मध्य प्रदेश में IAS अधिकारी और अजाक्स अध्यक्ष संतोष वर्मा के विवादित बयानों और फर्जी दस्तावेज़ों के आरोपों पर बड़ा कदम उठाया गया है. मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने संज्ञान लेते हुए GAD को सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए हैं. राज्य सरकार ने संतोष वर्मा को कृषि विभाग से हटाकर GAD पूल में भेज दिया है और IAS सेवा से बर्खास्त करने का प्रस्ताव केंद्र को भेजने का निर्णय लिया है.
इस बीच, ब्राह्मण संगठनों ने 14 दिसंबर को मुख्यमंत्री निवास के घेराव का ऐलान किया है. आंदोलन की शुरुआत 13 दिसंबर से होगी.
फर्जी कागजों से पाया प्रमोशन
राज्य प्रशासनिक सेवा से भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) में प्रमोशन के लिए फर्जी और जाली आदेश तैयार किए जाने का मामला सामने आया है. इस संबंध में अलग-अलग अदालतों में आपराधिक प्रकरण लंबित हैं. फर्जी दस्तावेजों और धोखाधड़ी के आधार पर प्राप्त IAS पदोन्नति को गलत मानते हुए राज्य सरकार ने संतोष वर्मा को आईएएस सेवा से बर्खास्त करने का प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजने का निर्णय लिया है.
कारण बताओ नोटिस के जवाब से असंतुष्ट
सूत्रों के मुताबिक कारण बताओ नोटिस पर उनका जवाब असंतोषजनक पाया गया है और वे लगातार अमर्यादित बयान दे रहे हैं. ऐसे में उनके खिलाफ आरोप पत्र जारी करने का निर्णय लिया गया है. राज्य सरकार ने संतोष वर्मा को कृषि विभाग में उप सचिव के पद से हटाते हुए सामान्य प्रशासन विभाग के पूल में रख दिया है, जहां उन्हें फिलहाल कोई विभाग या कार्य आवंटित नहीं किया गया है.
जातीय टिप्पणी के चलते आए सुर्खियों में
2012 बैच के आईएएस संतोष वर्मा कृषि विभाग में उपसचिव के पद पर तैनात थे. जातीय भेदभाव और आरक्षण पर बोलते-बोलते संतोष वर्मा ने एक बयान दिया जिससे बवाल मचा हुआ था. उन्होंने कहा था किसी परिवार में आरक्षण तब तक जारी रखा जाना चाहिए, जब तक उनके बेटे को कोई ब्राह्मण पिता अपनी बेटी का दान न कर दे और उनके बीच संबंध स्थापित न हो जाए. रोटी-बेटी का रिश्ता होने तक सामाजिक पिछड़ेपन के आधार पर आरक्षण जारी रखा जाना चाहिए.
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यह बयान सोशल मीडिया पर वायरल होते ही बवाल मच गया था. सवर्ण संगठनों और ब्राह्मण समुदाय ने संतोष वर्मा के खिलाफ मोर्चा खोला हुआ था. उन्होंने जातीयता का जो जहर बोया, उसके खिलाफ प्रदर्शन हुए और उनकी गिरफ्तारी की मांग तक की गई. संतोष वर्मा के बयान को संविधान विरोधी बताया गया.
मुख्यमंत्री ने लिया संज्ञान
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने संतोष वर्मा के ब्राह्मण समुदाय की बेटियों को लेकर दिए गए विवादित बयान पर भी सख्त रुख अपनाया है. उन्होंने सामान्य प्रशासन विभाग (GAD) को निर्देश दिए हैं कि इस मामले में कड़ी कार्रवाई की जाए.
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संतोष वर्मा सवालों के घेरे में रहे
संतोष वर्मा पर 2021 में प्रमोशन के फर्जी डॉक्यूमेंट बनाने का आरोप लगा. उन पर आरोप था कि आईएएस कैडर मिलने के बाद विभागीय प्रोन्नति समिति (DPC) की रिपोर्ट पर विशेष जज विजेंद्र रावत के दस्तखत की नकली प्रति बनाई गई. इंदौर में 27 जून 2021 को उन पर केस कर आधी रात को पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार किया था. सस्पेंशन के बाद संतोष वर्मा ने कई महीने जेल में बिताए और बाद में जमानत पर रिहा किए गए.
महिला से रिश्तों का मामला भी उछला
संतोष वर्मा का एक महिला के साथ रिश्तों का मामला भी कुछ महीनों पहले उछला था. उसने यौन शोषण का आरोप लगाया. महिला का आरोप था कि सिविल सेवा की तैयारी के दौरान मिलने के बाद उनका संबंध बन गया. वो पति और पत्नी की तरह सरकारी आवास में रहते थे. लेकिन बाद में खुलासा हुआ कि संतोष वर्मा पहले से शादीशुदा हैं. महिला ने 2016 में थाने में शिकायत दर्ज कराई, जिसमें यौन शोषण और धोखेबाजी का आरोप लगाया गया.













