पिछले पांच साल में हाई कोर्टों में नियुक्त जजों में से 80 फीसदी सवर्ण, SC-ST के इतने जज बने

सरकार ने पिछले हफ्ते लोकसभा में बताया कि देश के हाई कोर्टों में 2018 से 2022 के बीच 540 जज नियुक्त किए गए. इनमें से 15 अनुसूचित जाति, सात अनुसूचित जनजाति, 57 अन्य पिछड़ा वर्ग और 27 अल्पसंख्यक वर्ग के थे.

विज्ञापन
Read Time: 3 mins
नई दिल्ली:

सरकार ने बताया है कि 2018 से 2022 के बीच हाई कोर्टों में नियुक्त जजों में से एससी के 15,एसटी के सात, ओबीसी के 57 और अल्पसंख्यक श्रेणी के 27 जज नियुक्त किए गए. यह जानकारी विधि मंत्रालय ने पिछले हफ्ते लोकसभा में संसद में दी. सरकार की ओर से पेश किए आंकड़ों के मुताबिक नियुक्त किए गए 540 जजों में से चार फीसदी अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति वर्ग के और करीब 11 फीसदी अन्य पिछड़ा वर्ग के थे. कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कांग्रेस के चरणजीत सिंह चन्नी और रॉबर्ट ब्रूस सी के सवाल के लिखित जवाब में यह जानकारी दी.

सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट में कितने जज नियुक्त हुए

सरकार ने बताया है कि 2014 से सुप्रीम कोर्ट में 69 जज नियुक्त किए गए और हाई कोर्टों में 1173 जज नियुक्त किए गए. सरकार की ओर से दिए गए जवाब के मुताबिक इन नियुक्तियों में श्रेणीवार प्रतिनिधित्व और या किसी जाति या श्रेणी के जजों का आंकड़ा मौजूद नहीं है. 

सरकार ने बताया है कि सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट में जजों को नियुक्ति संविधान के अनुच्छेद- 124, 217 और 224 के तहत की जाती है. इसमें किसी जाति या श्रेणी के लिए किसी तरह के आरक्षण का प्रावधान नहीं है. 

जजों की सामाजिक पृष्ठभूमि

सरकार ने बताया है कि 2018 से हाई कोर्ट में जज के रूप में नियुक्ति के लिए जिन नामों की सिफारिश की जाती है, उनकी सामाजिक पृष्ठभूमि की जानकारी देना अनिवार्य है. विधि मंत्रालय ने बताया है कि 2018 से 2022 के बीच 540 जजों की नियुक्ति की गई.  इनमें से 15 अनुसूचित जाति के थे और सात अनुसूचित जनजाति के और 57 अन्य पिछड़ा वर्ग के. इन जजों में से 27 अल्पसंख्यक समाज के थे. इनके अलावा बाकी के सभी जज सवर्ण जातियों के थे.  

सरकार ने इस लिखित जवाब में बताया है कि सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट में जजों की नियुक्ति की पहल चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया और संबंधित हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश करते हैं.इस जवाब में कहा गया है कि सरकार न्यायपालिका में सामाजिक विविधता को बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है. सरकार ने हाई कोर्टों के मुख्य न्यायाधीशों से अनुरोध किया है कि जजों की नियुक्ति की का प्रस्ताव भेजते समय अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों, अन्य पिछड़ा वर्ग, अल्पसंख्यकों और महिलाओं से जुड़े उम्मीदवारों पर उचित ध्यान दें. इसका मकसद हाई कोर्टों में जजों की नियुक्ति में सामाजिक विविधता सुनिश्चित हो सके.सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट में केवल उन्हीं लोगों को जज के रूप में नियुक्त किया जाता है,जिनके नाम की सिफारिश सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने की है.

ये भी पढ़ें: भारत-विरोधी बांग्लादेश के मोहम्मद यूनुस बेनकाब, चीन में दिया ‘7 सिस्टर्स' को लेकर भड़काऊ बयान

Featured Video Of The Day
Moradabad Band Controversy: बैंड-बाजा का 'नाम', क्यों मचा सियासी घमासान? | Shubhankar Mishra
Topics mentioned in this article