मोरबी पुल हादसा : गुजरात हाईकोर्ट ने फिर से मोरबी नगरपालिका को फटकारा, शाम तक मांगी स्टेटस रिपोर्ट

अब अगर अधिकारी कोर्ट के आदेशों का पालन करते हैं तो शाम तक उम्मीद है मोरबी पुल हादसे पर स्टेटस रिपोर्ट दाखिल हो जाएगी. इस स्टेटस रिपोर्ट से पता चलेगा कि आखिर पुल कैसे गिरा?

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30 अक्टूबर को मोरबी में पुल गिरने से 140 से अधिक लोगों की मौत के मामले में गुजरात उच्च न्यायालय ने आज दो नोटिसों के बावजूद स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने में देरी को लेकर मोरबी नगरपालिका को चेतावनी दी. अदालत ने कहा, "कल आप स्मार्ट तरीके से काम कर रहे थे, अब आप मामले को हल्के में ले रहे हैं. इसलिए, या तो आज शाम तक अपना जवाब दाखिल करें, या 1 लाख रुपये का जुर्माना अदा करें."

मोरबी नगरपालिका के वकील ने कहा कि नगरपालिका के प्रभारी और डिप्टी कलेक्टर चुनाव ड्यूटी पर हैं. नोटिस डिप्टी कलेक्टर को भेजा जाना चाहिए था, लेकिन यह 9 नवंबर को नगर निकाय को दिया गया था. इस कारण से अदालत के सामने पेश होने में देरी हुई. अब अगर अधिकारी कोर्ट के आदेशों का पालन करते हैं तो शाम तक उम्मीद है मोरबी पुल हादसे पर स्टेटस रिपोर्ट दाखिल हो जाएगी. इस स्टेटस रिपोर्ट से पता चलेगा कि आखिर पुल कैसे गिरा?

आपको बता दें कि अदालत ने खुद इस हादसे पर ध्यान दिया था और कम से कम छह विभागों से जवाब मांगा था. मुख्य न्यायाधीश अरविंद कुमार और न्यायमूर्ति आशुतोष जे शास्त्री इस मामले की सुनवाई कर रहे हैं. मंगलवार को अदालत ने 150 साल पुराने पुल के रखरखाव के लिए जिस तरीके से ठेका दिया गया, उस पर सीधा जवाब मांगा था. गुजरात उच्च न्यायालय ने पुल के मरम्मत का ठेका देने के तरीके की आलोचना की है.

प्रधान न्यायाधीश अरविंद कुमार ने सुनवाई के दौरान राज्य के शीर्ष नौकरशाह और मुख्य सचिव से कहा कि सार्वजनिक पुल के मरम्मत कार्य का टेंडर क्यों नहीं निकाला गया? बोलियां क्यों नहीं आमंत्रित की गईं?" अदालत ने आगे कहा, इतने महत्वपूर्ण कार्य के लिए एक समझौता मात्र डेढ़ पेज में कैसे पूरा हो गया?" क्या बिना किसी टेंडर के अजंता कंपनी को राज्य की उदारता दी गई थी?" 

30 अक्टूबर को गुजरात के मोरबी में मच्छु नदी पर स्थित ब्रिटिश शासन युग के पुल के टूटने की घटना में 140 लोगों से अधिक की जान चली गई थी. पुलिस ने मोरबी पुल का प्रबंधन करने वाले ओरेवा समूह के चार लोगों सहित नौ लोगों को 31 अक्टूबर को गिरफ्तार किया था. पुल के रखरखाव तथ्ज्ञा संचालन का काम करने वाली कंपनियों के खिलाफ मामला दर्ज किया है.

वहीं उच्च न्यायालय ने सात नवंबर को कहा था कि उसने पुल गिरने की घटना पर एक समाचार रिपोर्ट का स्वत: संज्ञान लिया है और इसे एक जनहित याचिका के रूप में दर्ज किया है. अदालत ने अपने आदेश में कहा था, ‘‘प्रतिवादी एक और दो (मुख्य सचिव और गृह सचिव) अगले सोमवार तक एक स्थिति रिपोर्ट दाखिल करेंगे. राज्य मानवाधिकार आयोग इस संबंध में सुनवाई की अगली तारीख तक रिपोर्ट दाखिल करेगा.''

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