देशभर में साढ़े 50 हजार रुपए की लागत से 8 हाईवे (Eight Nation Highway) बनने जा रहे हैं. मोदी सरकार करीब साढ़े 50 हजार करोड़ की लागत से 8 अहम हाईवे बनाने जा रही है. पीएम मोदी की अध्यक्षता वाली आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति ने देश भर में 50,655 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाले 936 किलोमीटर लंबे 8 अहम नेशनल हाई स्पीड कॉरिडोर परियोजनाओं (High Speed Corridor) को मंजूरी दे दी है. इससे न सिर्फ देश की अर्थव्यवस्था को गति मिलेगी बल्कि रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे. BOT, HAM, EPC मोड पर बनने वाले ये हाईवे कैसे बनेंगे, कैसे चलेंगे, समझिए.
रेल मंत्री ने कहा कि अयोध्या के सर्वांगीण विकास के लिए मेजर रिंग रोड का प्रोजेक्ट एप्रूव्ड हुआ हैं. गुवाहाटी शहर के लिए रिंग रोड, पुणे के लिए हाईवे के लिए एप्रूव्ड हुआ है. रायपुर और रांची के लिए पाथल गांव से गुमला के लिए कॉरिडोर बन रहा है. थराड से अहमदाबाद तक गुजरात मे दिल्ली मुंबई एक्सप्रेस और राजस्थान के हाईवे को कनेक्ट करने के लिए हाईवे भी इसमें शामिल है. खड़गपुर से मुर्शिदाबाद के लिए फोर लेन का हाईवे और आगरा से ग्वालियर को जोड़ने वाला हाईवे और कानपुर के चारों तरफ 6 लेन रिंग रोड भी इसमें शामिल है. इसमें गुवाहाटी में 121 किमी. का रिंग रोड और अयोध्या रिंग रोड भी शामिल है. विजन 2047 का विशेष ध्यान रखकर इन प्रोजेक्ट को बनाया गया हैं.
क्या है BOT, समझिए
88 किमी. लंबे आगरा-ग्वालियर नेशनल हाई-स्पीड कॉरिडोर को 4,613 करोड़ रुपये की कुल लागत से बनाया जाएगा. इसे पूरी तरह से एक्सेस-नियंत्रित 6-लेन कॉरिडोर के रूप में बिल्ड-ऑपरेट-ट्रांसफर (BOT) मोड पर विकसित किया जाएगा. 10,534 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाले बीओटी मोड पर विकसित 214 किमी 6-लेन कॉरिडोर गुजरात में अमृतसर-जामनगर और दिल्ली-मुंबई कॉरिडोर को जोड़ेगा.
- इससे पंजाब, हरियाणा, राजस्थान से महाराष्ट्र के मुख्य बंदरगाहों तक माल ढुलाई के लिए कनेक्टिविटी मिलेगी.
- इस परियोजना का मकसद थराद और अहमदाबाद के बीच की दूरी को 20 प्रतिशत और यात्रा के समय को 60 प्रतिशत तक कम करना है.
- यह प्रोजेक्ट उत्तर दक्षिण कॉरिडोर (श्रीनगर-कन्याकुमारी) आगरा-ग्वालियर सेक्शन में आवाजाही की क्षमता को दो गुना से ज्यादा बढ़ाने के लिए मौजूदा 4-लेन राष्ट्रीय राजमार्ग का पूरक होगा.
- इस कॉरिडोर से उत्तर प्रदेश (ताजमहल, आगरा किला, आदि) और मध्य प्रदेश (ग्वालियर किला ) के प्रमुख पर्यटन स्थलों तक कनेक्टिविटी बढ़ेगी.
- इससे आगरा और ग्वालियर के बीच की दूरी 7 फीसदी और यात्रा समय 50 प्रतिशत कम हो जाएगा, जिससे लॉजिस्टिक लागत भी बहुत कम हो जाएगी.
- 121 किलोमीटर लंबे उत्तरी गुवाहाटी बाईपास और मौजूदा गुवाहाटी बाईपास के चौड़ीकरण और सुधार को तीन सेक्शन में 5,729 करोड़ रुपये की कुल लागत से बिल्ड ऑपरेट टोल (BOT) मोड में विकसित किया जाएगा.
- प्रोजेक्ट के एक हिस्से के रूप में ब्रह्मपुत्र नदी पर एक अहम पुल का भी बनाया जाएगा.
- पुणे के पास 30 किमी ऊंचे नासिक फाटा-खेड कॉरिडोर 7,827 करोड़ रुपये की कुल लागत पर बिल्ड-ऑपरेट-ट्रांसफर (BOT) पर विकसित किया जाएगा.
- एलिवेटेड कॉरिडोर पुणे और नासिक के बीच NH-60 पर चाकन, भोसरी वगैहर इंडस्ट्रियल सेंटर्स से आने-जाने वालों को बिना बाधा हाई स्पीड कनेक्टिविटी देगा.
- यह कॉरिडोर पिंपरी-चिंचवड़ के आसपास होने वाली भीड़भाड़ को भी कम करेगा.
देश की आर्थिक समृद्धि की नींव बुनियादी ढांचे का विकास है. यह लोगों की क्वालिटी ऑफ लाइफ में सुधार के लिए जरूरी है. बुनियादी ढांचे के विकास पर खर्च किए गया हर रुपये का सकल घरेलू उत्पाद पर करीब 2.5-3.0 गुना प्रभाव होता है.
क्या है EPC, समझिए
इंजीनियरिंग, खरीद और निर्माण (EPC) मोड पर विकसित 47 किमी 6-लेन एक्सेस-कंट्रोल सेक्शन 3,298 करोड़ रुपये की लागत से कानपुर के चारों तरफ 6-लेन एनएच रिंग होगा, जिससे ट्रैफिक से निजात मिल सकेगी. इस प्रोजेक्ट से उत्तर प्रदेश, दिल्ली, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल के बीच माल ढुलाई के लिए लॉजिस्टिक दक्षता में सुधार होने की उम्मीद है.
क्या है HAM, समझिए
231 किलोमीटर लंबा खड़गपुर-मोरेग्राम नेशनल- हाई स्पीड कॉरिडोर 10,247 करोड़ रुपये की कुल लागत पर हाइब्रिड वार्षिकी मोड (HAM) में विकसित किया जाएगा. प्रेस विज्ञप्ति के मुताबिक, नया कॉरिडोर खड़गपुर और मोरेग्राम के बीच यातायात क्षमता को करीब पांच गुना बढ़ाने के लिए मौजूदा 2-लेन नेशनल हाईवे का पूरक होगा. यह एक तरफ पश्चिम बंगाल, ओडिशा, आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों और दूसरी तरफ देश के उत्तर-पूर्वी हिस्से के बीच यातायात के लिए बढ़िया कनेक्टिविटी देगा.
68 किमी. वाले अयोध्या रिंग रोड को भी हाइब्रिड वार्षिकी मोड (HAM) में कुल 3,935 करोड़ की लागत से बनाया जाएगा. रिंग रोड से शहर से गुजरने वाले नेशनल हाईवे पर भीड़ कम हो जाएगी, जिससे राम मंदिर जाने वाले तीर्थयात्री भी स्पीड में पहुंच सकेंगे. रायपुर-रांची नेशनल हाईस्पीड कॉरिडोर के 137 किलोमीटर लंबे पत्थलगांव और गुमला के कॉरिडोर को भी 4,473 करोड़ की लागत से हाइब्रिड वार्षिकी मोड (HAM) में बनाया जाएगा. इससे गुमला, लोहरदगा, रायगढ़, कोरबा और धनबाद में खनन क्षेत्रों और रायपुर, दुर्ग, कोरबा, बिलासपुर, बोकारो और धनबाद में स्थित औद्योगिक और विनिर्माण क्षेत्रों के बीच कनेक्टिविटी बढ़ेगी.