नरेन्द्र मोदी ने रविवार को राष्ट्रपति भवन में लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ली. पीएम मोदी ने 71 अन्य नेताओं को भी अपनी कैबिनेट में शामिल किया. इसमें बिहार से बनाए गए आठ मंत्री भी शामिल हैं. मंत्रिमंडल में इस हिस्सेदारी के जरिए प्रधानमंत्री ने जहां बिहार में जातीय समीकरण साधने की कोशिश की है, वहीं क्षेत्रीय संतुलन पर भी जोर दिया है. इससे पहले 2019 में 6 और 2014 में बिहार से 7 मंत्री बनाए गए थे.
नए मंत्रिमंडल में बिहार से आठ लोगों को मंत्री बनाकर पीएम ने इस प्रदेश को केंद्रीय मंत्रिमंडल में बड़ी हिस्सेदारी दी है. इसमें भाजपा के चार, जदयू के दो और लोजपा (रामविलास) तथा हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के एक-एक सांसद हैं, इनमें से चार कैबिनेट मंत्री बनाए गए हैं.
वहीं 2014 में एनडीए में बीजेपी, एलजेपी और आरएलएसपी शामिल थी, इनमें 7 मंत्रियों में से बीजेपी के 5 और एलजेपी तथा आरएलएसपी के एक-एक मंत्री शामिल थे. उस समय बीजेपी से रविशंकर प्रसाद, राजीव प्रताप रूडी, राधामोहन सिंह, अश्विनी चौबे और रामकृपाल यादव शामिल थे. वहीं एलजेपी के रामविलास पासवान और आरएलएसपी से उपेंद्र कुशवाहा मंत्री बनाए गए थे.
मोदी कैबिनेट में इस बार बिहार से दो पुराने चेहरे नित्यानंद राय और गिरिराज सिंह को बनाए रखा गया है. वहीं भाजपा से ही दो अन्य नेता राज्यसभा सदस्य सतीश चंद्र दूबे और मुजफ्फरपुर से सांसद राज भूषण चौधरी को राज्य मंत्री के रूप में शपथ दिलाई गई है.
इस मंत्रिमंडल में भी बिहार में जातीय समीकरण का पूरा ख्याल रखा गया है. केंद्रीय मंत्रिपरिषद में बिहार में जातीय समीकरण के अनुसार उच्च जाति और पिछड़ी जाति से तीन-तीन जबकि दलित समुदाय से दो नेताओं को केंद्रीय मंत्रिपरिषद में स्थान दिया गया है. पांच मंत्री दलित, पिछड़े, अति पिछड़े वर्ग से आते हैं. इनमें पासवान जाति से चिराग पासवान, मुसहर जाति से जीतन राम मांझी, अति पिछड़ी जाति से जदयू के रामनाथ ठाकुर और भाजपा के राजभूषण चौधरी को मंत्री बनाया गया है.
इसके अलावा, पिछड़े वर्ग से भाजपा के नित्यानन्द राय तथा सवर्ण जातियों में भूमिहार से गिरिराज सिंह, ललन सिंह और ब्राह्मण जाति से सतीश चंद्र दुबे को मंत्री बनाया गया है. हालांकि राजपूत जाति से आने वाले किसी सांसद को मंत्रिमंडल में स्थान नहीं दिया गया है.
मंत्री बनाने में एनडीए ने क्षेत्रीय संतुलन को भी बनाये रखने का ख्याल रखा है. उत्तर बिहार से छह मंत्री बनाये गए हैं, जबकि पूर्वी बिहार और मगध क्षेत्र से एक-एक को स्थान दिया गया है.
इस मंत्रिमंडल में बिहार से सभी घटक दलों को स्थान दिया गया है. राष्ट्रीय लोक मोर्चा के प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा चुनाव हार गए थे.