मोदी सरकार ने किसानों को दी नई सौगात, रबी की 6 फसलों का समर्थन मूल्य बढ़ाया, गेहूं की MSP 2425 रुपये प्रति क्विंटल तय

सरकार ने गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी MSP 150 रुपये प्रति क्विंटल बढ़ाकर 2,425 रुपये क्विंटल कर दिया है. रबी की 5 अन्य फसलों जौ, चना, मसूर, सरसों, कुसुम की MSP में भी बढ़ोतरी की है. 

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नई दिल्ली:

केंद्र सरकार ने बुधवार को  रबी की 6 फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में बढ़ोतरी की है. सरकार ने गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी MSP 150 रुपये प्रति क्विंटल बढ़ाकर 2,425 रुपये क्विंटल कर दिया है. रबी की 5 अन्य फसलों जौ, चना, मसूर, सरसों, कुसुम की MSP में भी बढ़ोतरी की है. केंद्रीय कैबिनेट की मीटिंग में ये फैसला लिया गया.

पहले गेहूं की MSP 2275 रुपये प्रति क्विंटल थी. जौ का न्यूनतम समर्थन मूल्य 130 रुपये बढ़ाकर 1950 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है. चने की MSP बढ़ाकर 210 रुपये बढ़ाकर 5650 रुपये कर दी गई है. मसूर की MSP पहले 6425 रुपये प्रति क्विंटल थी. इसमें 275 रुपये का इजाफा कर दिया गया है. अब मसूर की नई MSP 6700 रुपये प्रति क्विंटल है. सरसो-तिलहन की पुरानी MSP 5650 रुपये थी. सरकार ने इसमें 300 रुपये का इजाफा किया है. अब सरसो की नई MSP 5950 रुपये प्रति क्विंटल हो गई है. वहीं, कुसुम की MSP में 140 रुपये की बढ़ोतरी की है. अब कुसुम की नई MSP 5940 रुपये है.

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MSP क्या है और इसे क्यों लागू किया जाता है?
दरअसल, न्यूनतम समर्थन मूल्य वो गारंटेड प्राइस है, जो किसानों को उनकी फसल पर मिलता है. भले ही बाजार में उस फसल की कीमतें कम हो. इसके पीछे तर्क यह है कि बाजार में फसलों की कीमतों में होने वाले उतार-चढ़ाव का किसानों पर असर न पड़े. भारतीय खाद्य निगम यानी फूड कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (FCI) खाद्यान्नों की खरीद और उसके स्टोरेज के लिए जिम्मेदार है. FCI केंद्र सरकार की ओर से घोषित की गई MSP पर ही किसानों से खाद्यान्न खरीदती है. 

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हालांकि, MSP सरकार की नीति है, कानून नहीं. इसे सरकार घटा-बढ़ा सकती है. चाहे तो इसे बंद भी कर कर सकती है. किसानों को यही डर सताता है. 

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कब होता है MSP का ऐलान?
सरकार साल में दो बार यानी एक बार ख़रीफ की फसल और एक बार रबी की फसल के दौरान MSP का ऐलान करती है. ख़रीफ की फसल उन फसलों को कहते हैं, जिन्हें जून-जुलाई में बोते हैं और अक्टूबर के आसपास काटते हैं. जबकि रबी की फसल सर्द‍ियों के मौसम में अक्टूबर से दिसंबर तक लगाई जाती है. रबी की फसलों में गेंहू, आलू, मटर, चना, अलसी, सरसो और जौ प्रमुख रूप से शाम‍िल हैं.

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MSP में अभी कितनी फसलें शामिल?
सरकार अभी 22 फसलों के लिए MSP तय करती है. इसमें 7 प्रकार के अनाज धान, गेहूं, मक्का, बाजरा, ज्वार, रागी और जौ शामिल हैं. 5 प्रकार की दालें चना, अरहर/तुअर, उड़द, मूंग और मसूर की MSP भी सरकार तय करती है. 7 तिलहन रेपसीड-सरसो, मूंगफली, सोयाबीन, सूरजमुखी, तिल, कुसुम, निगरसीड का न्यूनतम समर्थन मूल्य केंद्र सरकार तय करती है. वहीं, 3 व्यावसायिक फसलें कपास, खोपरा और कच्चे जूट की MSP भी तय की जाती है. जबकि गन्ने के लिए उचित पारिश्रमिक मूल्य का पालन किया जाता है.

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सरकार सभी फसलों पर MSP देती है, ये कैसे तय होता है?
फसलों का उचित दाम दिए जाने के लिए केंद्र सरकार ने 1965 में कृषि लागत और मूल्य आयोग यानी कमीशन फॉर एग्रीकल्चर कॉस्ट एंड प्राइज (CACP) का गठन किया था. CACP ही MSP तय करता है. देश में पहली बार 1966-67 में MSP की दर से फसलों की खरीदी की गई थी. 


14 जून को खरीफ की 14 फसलों की बढ़ाई गई थी MSP
मोदी कैबिनेट ने इससे पहले 14 जून को खरीफ की 14 फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (Minimum Support Price) यानी MSP बढ़ाने की मंजूरी दी थी. धान का MSP बढ़ाकर 2300 रुपये किया गया है. कपास की MSP 7121 रुपये की गई है. इसमें 501 रुपये बढ़ाया गया. 2013-14 में कपास की MSP 3700 रुपये थी. इसी तरह रागी की MSP 4290 रुपये, मक्के की MSP 2225 रुपये, मूंग की 8682 रुपये की गई. तूर दाल की MSP 7550 रुपये की गई है. उरद दाल की नई MSP 7400 और मूंगफली के तेल की MSP 6783 रुपये की गई है. 

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