दिल्ली मेयर चुनाव मामला एक बार फिर से सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने उपराज्यपाल ऑफिस और पीठासीन अधिकारी को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. मामले की अगली सुनवाई सोमवार को होनी है. नोटिस जिनको जारी किए गए हैं, उनमें LG, प्रोटेम स्पीकर, दिल्ली सरकार और MCD कमिश्नर शामिल हैं. आम आदमी पार्टी ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष 5 मांगे रखी हैं. सत्या शर्मा को पीठासीन अधिकारी के पद से हटाया जाए, एक हफ्ते के अंदर एमसीडी का सदन बुलाया जाए, मेयर चुनाव पूरा होने तक कोई स्थगन न हो, बाकी के चुनाव मेयर की अध्यक्षता में हो, नामित पार्षदों को वोट देने का अधिकार न मिले.
वरिष्ठ अधिवक्ता ए.एम. सिंघवी ने कहा कि सदन का सत्र तीन बार बुलाया गया लेकिन महापौर का चुनाव नहीं हुआ. उन्होंने कहा, “हमें कई आपत्तियां हैं, जिनमें यह भी शामिल है कि एमसीडी की अस्थायी पीठासीन अधिकारी महापौर, उप महापौर और स्थायी समिति के सदस्यों के लिए एक साथ चुनाव कराने पर जोर दे रही हैं. यह दिल्ली नगर निगम अधिनियम के विपरीत है.”
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दरअसल दिल्ली में महापौर का चुनाव तीसरी बार टला है. ऐसे में आम आदमी पार्टी की उम्मीदवार शैली ओबरॉय ने फिर से एमसीडी में महापौर चुनाव को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की.
पिछली बार जब आम आदमी पार्टी की महापौर पद की उम्मीदवार डॉ शैली ओबरॉय ने अपनी याचिका सुप्रीम कोर्ट से वापस ली थी तो सीजेआई जस्टिस धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ की अगुआई वाली पीठ ने उनको ये छूट दी थी कि आपको भविष्य में कोई दिक्कत हो तो आप यहां आ सकते हैं. आप की याचिका में मुख्य आधार और प्रार्थना यही है कि सुप्रीम कोर्ट अपनी निगरानी में महापौर का चुनाव सुनिश्चित कराए ताकि उपराज्यपाल और केंद्र सरकार संवैधानिक प्रक्रिया और कानूनी प्रावधानों को अपने हाथों में लेते हुए कोई मनमानी न कर सके.