महाराष्ट्र में स्थानीय चुनावों में OBC आरक्षण के मामले में राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme court)की शरण ली है. 15 दिसंबर के OBC के लिए 27 फीसदी आरक्षित सीटों को रद्द करने के फैसले को लेकर यह अर्जी दाखिल की गई है, इसमें फैसले को वापस लेने की मांग की गई है. सुप्रीम कोर्ट मामले की19 जनवरी को सुनवाई करेगा. केंद्र आदेशों को वापस लेने या संशोधित करने की अर्जी पहले ही दाखिल कर चुका है. गौरतलब है कि 15 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र में स्थानीय चुनावों में 27 फीसदी OBC के लिए आरक्षित सीटों के अध्यादेश को रद्द कर दिया था.
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अपने 6 दिसंबर के आदेश में किसी तरह की तब्दीली से इंकार करते हुए कहा कि राज्य चुनाव आयोग अपनी पिछली अधिसूचना में बदलाव करते हुए हफ्ते भर में नई अधिसूचना जारी करे.उस अधिसूचना में पिछड़े वर्गों के लिए 27 फीसदी आरक्षण के प्रावधान को रद्द करते हुए बाकी बची 73 फीसदी सीटें सामान्य श्रेणी के लिए रखे जाने की नई अधिसूचना एक हफ्ते में जारी करने का आदेश राज्य चुनाव आयोग को दिया है. 6 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र स्थानीय निकाय चुनाव में OBC उम्मीदवारों के लिए 27% आरक्षित सीटों पर रोक लगा दी थी. सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र राज्य चुनाव आयोग को चुनाव में 27 फीसदी आरक्षण के साथ आगे ना बढ़ने को कहा था .SC ने कहा कि ट्रिपल टेस्ट का पालन किए बिना OBC आरक्षण के लिए अध्यादेश लाने के राज्य सरकार के फैसले को स्वीकार नहीं किया जा सकता जो अनिवार्य है. अध्यादेश पर रोक लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि 27% OBC कोटा आयोग की स्थापना के बिना और स्थानीय सरकार के अनुसार प्रतिनिधित्व की अपर्याप्तता के बारे में डेटा एकत्र किए बिना लागू नहीं किया जा सकता. सामान्य वर्ग सहित अन्य आरक्षित सीटों के लिए शेष चुनाव कार्यक्रम आगे बढ़ सकता है. जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस सीटी रविकुमार की बेंच मामले की सुनवाई कर रही थी. याचिका में महाराष्ट्र के अध्यादेश को चुनौती दी थी, जिसने स्थानीय निकाय चुनावों में 27% ओबीसी कोटा पेश किया था और इसके परिणामस्वरूप राज्य चुनाव आयोग द्वारा उसी को प्रभावी बनाने के लिए अधिसूचना जारी की गई थी. कोर्ट ने कहा कि महाराष्ट्र सरकार ट्रिपल टेस्ट का पालन किए बिना अध्यादेश लाई
ट्रिपल परीक्षण हैं- (1) राज्य के भीतर स्थानीय निकायों के रूप में पिछड़ेपन की प्रकृति और निहितार्थ की कठोर अनुभवजन्य जांच करने के लिए एक आयोग की स्थापना; (2) आयोग की सिफारिशों के आलोक में स्थानीय निकाय-वार प्रावधान किए जाने के लिए आवश्यक आरक्षण के अनुपात को निर्दिष्ट करना, ताकि अधिकता का भ्रम न हो; और (3) किसी भी मामले में ऐसा आरक्षण अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति/अन्य पिछड़ा वर्ग के पक्ष में आरक्षित कुल सीटों के कुल 50 प्रतिशत से अधिक नहीं होगा
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पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि मध्य प्रदेश मामले की सुनवाई महाराष्ट्र में OBC आरक्षण के मामले के साथ ही होगी. सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा था OBC ओबीसी आरक्षण को लेकर एडवाइजरी तमाम राज्यों को जारी की जाए.SG तुषार मेहता ने कहा OBC आरक्षण को लेकर बनाई गई एडवाइजरी तमाम राज्यों को भेज दी गई है.सुप्रीम कोर्ट के OBC आरक्षण रद्द करने के फैसले के बाद मध्य प्रदेश में स्थानीय निकाय चुनाव निरस्त कर दिए गए हैं. दरअसल 17 दिसंबर 2021 को मध्य प्रदेश में में होने वाले स्थानीय निकाय चुनाव में OBC आरक्षण को सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया था.अदालत ने कहा था कि OBC के लिए आरक्षित सीटों को सामान्य सीट मानते हुए चुनाव कराए जाएं.सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को फटकार लगाते हुए कहा था कि ट्रिपल टेस्ट का पालन किए बिना आरक्षण के फैसले को स्वीकार नहीं किया जा सकता, जो अनिवार्य है.सुप्रीम कोर्ट ने राज्य चुनाव आयोग से कहा था कि कानून के दायरे में ही रहकर चुनाव करवाए. OBC के लिए निर्धारित सीटों को सामान्य सीटों में तब्दील करने की अधिसूचना जारी करे. अदालत ने कहा था कि कानून का पालन नहीं होगा तो भविष्य में सुप्रीम कोर्ट चुनाव को रद्द भी कर सकता है. सुप्रीम कोर्ट ने मामले में 17 जनवरी को सुनवाई तय की थी.