मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में एक बच्चे के खुदकुशी करने के बाद राज्य सरकार ऑनलाइन गेमों पर शिकंजा कसने जा रही है. तेलंगाना, आंध्रप्रदेश, तमिलनाडु और कर्नाटक की तर्ज पर नया कानून बनाने के लिये ड्राफ्ट तैयार किया जा रहा है. जिसमें ऑनलाइन गेम चलाने वाली कंपनियों को जांच के दायरे में लाकर सजा का भी प्रावधान होगा.
भोपाल के सह्याद्री परिसर में रहनी वाली एलीजा शहर के एक बड़े स्कूल में दूसरी कक्षा में पढ़ती है. पढ़ने में होशियार है, लेकिन ऑनलाइन गेम भी पसंद हैं. हालांकि एलीजा को स्कूल जाना ही अच्छा लगता है, लेकिन कोरोना ने सब बंद कर रखा है. ऐसे में ऑनलाइन गेम्स से मन बहला लेती है. वहीं ऑनलाइन क्लास में माता-पिता बच्ची की सेहत को लेकर फिक्रमंद हैं. एलीजा कहती हैं कि मोबाइल से क्लास अच्छी नहीं लगती है. आंखें दुख जाती हैं, लेकिन जबर्दस्ती बैठना पड़ता है और पीठ भी दुख जाती है.
वहीं उनके पिता फहीम खान का कहना है कि जब से कोरोना हुआ है, बच्चे लैपटॉप पर पढ़ते हैं. मोबाइल भी देना होता है. बच्चों के कमर में दर्द होता है और चश्मा दिलाना पड़ता है. इस दौरान वह गेम्स भी खेलने लगते हैं. हम भी कितनी देर देखेंगे. कुछ दिनों पहले खबर पढ़ी कि बच्चों ने सुसाइड कर लिया, अगर सरकार कानून बना रही है तो अच्छा है. लेकिन सरकार इसे इंप्लमेंट नहीं करती.
बता दें कि भोपाल में ऑनलाइन गेम की लत की वजह से एक ग्यारह साल के बच्चे की खुदकुशी के बाद राज्य सरकार भी जागी है. अब इसके खिलाफ कानून बनाने के लिये ड्राफ्ट तैयार हो रहा है. जिसमें ऑनलाइन गेमिंग, गेंबलिंग और बैटिंग को अपराध घोषित कर इंटरनेट पर ये खेल चलाने वाली वेबसाईट और ऐप पर पाबंदी लग सकेगी. इसके साथ ही बच्चों को नुकसान पहुंचाने वाले ऑनलाइन गेम चलाने पर जेल की सजा और जुर्माने का भी प्रावधान होगा.
मध्यप्रदेश के गृहमंत्री डॉ नरोत्तम मिश्र ने बताया कि यह बहुत गंभीर विषय है. जो फायर गेम वाली घटनाएं हैं, बहुत दुखद है. इस पर सख्ती से रोक लगाने के लिए एक ड्राफ्ट तैयार कर लिया गया है. बहुत जल्दी उसको मूर्त रूप दिया जाएगा.
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जमीनी हकीकत ये है कि ऑनलाइन गेम इंटरनेट पर धड़ल्ले से चल रहे हैं. जिनको देखकर नादान बच्चे खुदकुशी जैसे कदम उठा रहे हैं या फिर जानलेवा खतरनाक स्टंट करने पर आमादा हैं. इन पर काबू करने के लिये अब सरकार का हस्तक्षेप जरूरी हो गया है.
गौरतलब है कि अमेरिका से ज्यादा ऑनलाइन गेम के खिलाड़ी भारत में हो गये हैं. लेकिन दुर्भाग्य ये है कि ऑनलाइन जुआ और गेम्स 1867 यानी लगभग डेढ सौ साल पहले बने पब्लिक गैम्ब्लिंग एक्ट यानी सार्वजनिक द्यूत अधिनियम के आधार पर रोकने की कोशिश है, कोरोनाकाल में खिलाड़ी तेजी से बढ़े हैं लेकिन इसके लिये कानून बनाने की रफ्तार रेंग रही है.
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