Analysis : क्या ओवैसी के गढ़ में सेंध लगा पाएंगी BJP की माधवी लता? जानें वोटिंग ट्रेंड के संकेत

हैदराबाद संसदीय सीट एआईएमआईएम का गढ़ माना जाता है. पिछले चार दशकों से इस सीट पर एआईएमआईएम के उम्मीदवार ही जीतते रहे हैं. असदुद्दीन ओवैसी से पहले उनके पिता यहां से सांसद रहे हैं.

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हैदराबाद:

लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections 2024) के चौथे चरण के तहत सोमवार को 10 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेश के 96 निर्वाचन क्षेत्रों में मतदान हुआ. इन सीटों पर औसतन 67 प्रतिशत वोटिंग हुई. 96 लोकसभा सीटों में से 17 सीटें तेलंगाना की भी थी, जिन पर 64.93 फीसदी मतदान हुआ. तेलंगाना में हैदराबाद सबसे हॉट सीट मानी जाती है, जहां इस बार ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के अध्यक्ष और मौजूदा सांसद असदुद्दीन ओवैसी का मुकाबला बीजेपी की प्रत्याशी माधवी लता और कांग्रेस के उम्मीदवार मोहम्मद वलीउल्लाह समीर से है.

हैदराबाद संसदीय सीट अनारक्षित है. ये एआईएमआईएम का गढ़ माना जाता है. पिछले चार दशकों से इस सीट पर एआईएमआईएम के उम्मीदवार ही जीतते रहे हैं. असदुद्दीन ओवैसी ने पिछले चार बार यहां से जीत हासिल की है, वहीं उससे पहले उनके पिता सुल्तान सलाउद्दीन ओवैसी जीतते रहे थे.

हैदराबाद में इस बार 46.08 प्रतिशत लोगों ने ही अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया. कम वोटर टर्नआउट के बाद चुनावी नतीजों को लेकर कई तरह की अटकलें लगाई जाने लगी हैं. एआईएमआईएम और बीजेपी दोनों इस उम्मीद में है कि टर्नआउट वोटर की ज्यादा तादाद उनके पक्ष में हो. 

पिछले तीन लोकसभा चुनावों की बात करें तो साल 2019 में 44.84 प्रतिशत, 2014 में 53.30 प्रतिशत और 2009 में 52.47 फीसदी लोगों ने मतदान किया था.

वहीं हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी के वोट शेयर की बात करें तो पिछले चार चुनावों में उनका वोट प्रतिशत लगातार बढ़ा है. 2004 में 37.39, 2009 में 42.14, 2014 में 52.94 तो वहीं 2019 में ओवैसी ने 63.95 फीसदी लोगों का वोट हासिल किया था. ऐसे में हैदराबाद में असदुद्दीन ओवैसी को हराना इतना आसान नहीं होगा.

असदुद्दीन ओवैसी ने इस बार चुनाव प्रचार में आरक्षण और संविधान को प्रमुख मुद्दा बनाया. उन्होंने रैलियों में कहा कि चुनाव जीतने के बाद केंद्र सरकार संविधान में संशोधन करेगी और अल्पसंख्यकों के आरक्षण छीन लेगी. वहीं वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर भारत-चीन गतिरोध का जिक्र करते हुए केंद्र सरकार पर झूठ फैलाने का आरोप लगाते हुए कहा कि मैं चुनौती देता हूं कि चीन ने हमारे क्षेत्र पर कब्जा कर लिया है. ओवैसी ने आरोप लगाया कि भाजपा उम्मीदवार और भगवा पार्टी हैदराबाद का सांप्रदायिक सौहार्द और शांति बिगाड़ना चाहती है.

बीजेपी ने चुनावी मैदान में इस बार पुराने प्रत्याशी को बदलकर अपने सबसे चर्चित चेहरों में से एक माधवी लता पर दांव खेला है. इस लोकसभा चुनाव में हिंदुवादी चेहरे के तौर पर माधवी लता की हर तरफ चर्चा हो रही है. माधवी लता का असदुद्दीन ओवैसी से सीधा मुकाबला है, जो लगातार पांचवीं बार हैदराबाद से चुनाव लड़ रहे हैं.

पहली बार चुनाव मैदान में हैं माधवी लता

कोम्पेला माधवी लता के पास 221.37 करोड़ रुपये की पारिवारिक संपत्ति है, जो उन्हें तेलंगाना के सबसे अमीर उम्मीदवारों में से एक बनाती है. 49 वर्षीय भाजपा उम्मीदवार सिकंदराबाद में रहती हैं. वो हाल ही में भाजपा में शामिल हुईं और पहली बार चुनाव मैदान में हैं. उन पर एक आपराधिक मामला भी दर्ज है.

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अपने चुनाव प्रचार के दौरान माधवी लता अक्सर केसरिया वस्त्र में नजर आती थी. रामनवमी जुलूस के दौरान एक मस्जिद की ओर काल्पनिक तीर चलाने के इशारे के लिए पुलिस ने उन पर मामला भी दर्ज किया था. एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि मदरसों में पढ़ने वाली मुस्लिम महिलाएं हिजाब पहन सकती हैं, लेकिन आम स्कूलों में धार्मिक ड्रेस कोड की इजाजत नहीं दी जा सकती. 

राज्य की 17 लोकसभा सीट पर कुल 525 उम्मीदवार अपनी किस्मत आजमा रहे हैं. इनमें भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की तेलंगाना इकाई के अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री जी. किशन रेड्डी, पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव बंदी संजय कुमार और वरिष्ठ नेता ई. राजेंद्र शामिल हैं. वहीं कांग्रेस ने बीआरएस से आए दानम नागेंद्र और के. काव्या समेत अन्य नेताओं को चुनाव मैदान में उतारा है. पिछले आम चुनाव में बीआरएस (तब टीआरएस) ने नौ, भाजपा ने चार, कांग्रेस ने तीन और एआईएमआईएम ने एक सीट पर जीत हासिल की थी.

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