Maneka Gandhi Sultanpur Seat Result: 9 बार जीतकर संसद पहुंचीं, लेकिन इस बार हार की ओर ये सांसद

शुरुआती रुझान से ही मेनका पीछे चल रही थीं. सपा के उम्मीदवार राम भुआल निषाद 26 हजार से ज्यादा वोटों से बढ़ बनाए हुए हैं. 10 लाख 30 हजार से कुछ अधिक पड़े मतों में से 4.50 लाख से ऊपर वोट पाने वाले की सिर पर जीत का सेहरा बंधेगा.

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मेनका गांधी ने सुल्तानपुर से 2019 का इलेक्शन जीता था.
नई दिल्ली:

लोकसभा चुनाव के नतीजे (Lok Sabha Election Result 2024) कुछ घंटों में साफ हो जाएंगे. अभी तक के रुझानों में केंद्र में तीसरी बार नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) के नेतृत्व में NDA की सरकार बनती दिख रही है. लेकिन BJP बहुमत से 30 सीटें दूर है. यानी BJP को सरकार बनाने के लिए सहयोगी दलों के भरोसे रहना होगा. INDIA अलायंस की हवा में BJP को यूपी में अच्छी-खासी सीटों का नुकसान हुआ है. BJP के कई नेता भी पीछे चल रहे हैं. इनमें स्मृति ईरानी से लेकर मेनका गांधी जैसे बड़े नाम शामिल हैं. मेनका गांधी सुल्तानपुर सीट से काफी पीछे चल रही हैं. शुरुआती रुझान से ही मेनका पीछे चल रही थीं. सपा के उम्मीदवार राम भुआल निषाद (Rambhual Nishad )26 हजार से ज्यादा वोटों से बढ़ बनाए हुए हैं. 10 लाख 30 हजार से कुछ अधिक पड़े मतों में से 4.50 लाख से ऊपर वोट पाने वाले की सिर पर जीत का सेहरा बंधेगा. मेनका गांधी (Maneka Gandhi) 9 बार चुनाव जीतकर संसद पहुंच चुकी हैं. लेकिन इस चुनाव में INDIA की हवा में उनकी हार करीब-करीब तय मानी जा रही है. 

सुल्तानपुर में 25 मई को छठे फेज में वोटिंग हुई थी. 55. 61% वोट पड़े थे. साल 2019 के मुकाबले इस बार 0.77 प्रतिशत मतदान कम रहा. बीते चुनाव की बात करें तो पुलवामा के बाद राष्ट्रवाद और मोदी वेव थी, बावजूद इसके मेनका गांधी को बड़ी मुश्किल से यह जीत मिल पाई थी. वो महज 14 हजार वोटों से जीत पाई थीं. उनकी जीत में निषाद, कुर्मी, यादव और दलित मतदाता निर्णायक थे. इस बार सपा ने सुल्तानपुर में निषाद कार्ड चला.
 

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एक तरफ सपा ने राम भुआल निषाद को उम्मीदवार बनाया. वहीं, बहुजन समाज पार्टी ने कुर्मी कॉर्ड खेलते हुए उदय राज वर्मा को खड़ा किया. संविधान बचाने, लोकतंत्र की रक्षा, बेरोजगारी और महंगाई का मुद्दा यहां भी छाया रहा. वोटिंग के दौरान ध्रुवीकरण भी हुआ.

अभी तक के रुझानों में साफ है कि सपा प्रत्याशी राम भुआल निषाद वोटरों में बड़ा डेंट लगाते दिखे. उन्होंने इसके साथ ही सपा के कोर वोटर यादव मतदाताओं को भी बखूबी साधा. दूसरी ओर, बसपा ने कुर्मी वोटों पर डेंट लगाया. अंतिम समय में बड़ी संख्या में कुर्मी व दलित वोट भी गठबंधन के नाम पर डायवर्ट हो गए. ऐसे में यहां का मुकाबला दिलचस्प हो गया है.

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सुल्तानपुर संसदीय सीट की अपनी खासियत है. बीजेपी के देवेंद्र बहादुर एकमात्र नेता हैं, जो इस सीट से दूसरी बार सांसद चुने गए थे. उनके अलावा अब तक कोई ऐसा नहीं कर पाया है. यानी इस सीट पर किसी एक नेता को कभी दबदबा नहीं रहा. आजादी के बाद कांग्रेस इस सीट से 8 बार चुनाव जीत चुकी है. हर बार अलग चेहरा चुनाव जीतकर सांसद बना. बीजेपी को यहां 4 बार जीत हासिल हुई है. बसपा को 2 बार जीत मिल चुकी है.

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