वाराणसी में पीएम नरेंद्र मोदी को कौन दे रहा है चुनौती, जानें मैदान में हैं कितने उम्मीदवार

साल 2024 के चुनाव में नरेंद्र मोदी के खिलाफ कुल 41 लोगों ने पर्चा दाखिल किया था. बाद में एक उम्मीदवार ने अपना पर्चा वापस ले लिया. वहीं बाकी के 33 लोगों के पर्चे जांच के दौरान खारिज हो गए.अब पीएम मोदी के खिलाफ छह उम्मीदवार चुनाव मैदान में बचे हैं.

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नई दिल्ली:

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) तीसरी बार वाराणसी (Varanasi Lok Sabha Constituency) से लोकसभा का चुनाव (lok Sabha Election 2024) लड़ रहे हैं. पौराणिक शहर काशी के नाम से मशहूर वाराणसी में प्रधानमंत्री मोदी 2014 और 2019 का चुनाव जीत चुके हैं.इस बार उनके खिलाफ छह उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं. इससे पहले 2014 के चुनाव में उनके खिलाफ 41 उम्मीदवार चुनाव मैदान में थे. वहीं 2019 के चुनाव में 26 उम्मीदवारों ने चुनाव मैदान में उन्हें चुनौती दी थी. इस बार के चुनाव में प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ रहे उम्मीदवारों में कांग्रेस (Congress) के अजय राय (Ajay Rai) और बसपा (BSP) के अतहर जमाल लारी (Ather Jamal Lari)प्रमुख हैं. लोकसभा चुनाव के सातवें और अंतिम चरण में एक जून को वाराणसी में मतदान कराया जाएगा.

पीएम नरेंद्र मोदी वाराणसी से कबसे चुनाव लड़ रहे हैं?

साल 2014 के चुनाव में नरेंद्र मोदी ने आम आदमी पार्टी के प्रमुख और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को तीन लाख 72 हजार से अधिक वोटों के अंतर से हराया था. वहीं 2019 के चुनाव में उन्होंने अपने जीत का अंतर बढाते हुए चार लाख 59 हजार कर लिया था. इस बार उनके सामने सपा की शालिनी यादव थीं. यादव अब बीजेपी में शामिल हो चुकी हैं. मोदी के सामने 2019 और 2014 के चुनाव में भी कांग्रेस के अजय राय खड़े थे. वो तीसरे स्थान पर रहे थे.

अपना नामांकन पत्र दाखिल करते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी.

साल 2024 के चुनाव में नरेंद्र मोदी के खिलाफ कुल 41 लोगों ने पर्चा दाखिल किया था. बाद में एक उम्मीदवार ने अपना पर्चा वापस ले लिया. वहीं बाकी के 33 लोगों के पर्चे जांच के दौरान खारिज हो गए.अब पीएम मोदी के खिलाफ छह उम्मीदवार चुनाव मैदान में बचे हैं. आइए जानते हैं इन उम्मीदवारों के बारे में.

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कांग्रेस के अजय राय

इंडिया गठबंधन में वाराणसी सीट कांग्रेस के खाते में गई है.कांग्रेस ने वाराणसी के चुनाव मैदान में पीएम मोदी के खिलाफ अजय राय को उतारा है. अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से राजनीति शुरू करने वाले अजय राय बीजेपी और सपा में भी रह चुके हैं.वो चार बार वाराणसी के कोलअसला और एक बार पिंडरा विधानसक्षा क्षेत्र से विधायक रह चुके हैं.कोलअसला से वे तीन बार बीजेपी के टिकट और एक बार निर्दलीय और पिंडरा से कांग्रेस के टिकट पर विधायक चुने गए.राय इस समय उत्तर प्रदेश कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष भी हैं. 

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वाराणसी में चुनाव प्रचार करते अजय राय.

साल 2009 के लोकसभा चुनाव में सपा ने राय के बीजेपी के वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी के खिलाफ उम्मीदवार रहा था. लेकिन उन्हें तीसरे स्थान से ही संतोष करना पड़ा था. नरेंद्र मोदी के खिलाफ 2014 और 2019 के चुनाव में भी राय तीसरे स्थान पर ही रहे थे. नामांकन के साथ दायर हलफनामे में राय ने अपने खिलाफ 18 मामले दर्ज होने की जानकारी दी है.

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बसपा के अतहर जमाल लारी

समाजवादी रूझान वाले अतहर जमाल लारी को बहुजन समाज पार्टी ने अपना उम्मीदवार बनाया है.उन्होंने अपना राजनीतिक करियर जनता पार्टी से शुरू किया था. वो वाराणसी में लोकसभा और विधानसभा का चुनाव कई दफा लड़ चुके हैं.लारी ने  1984 और 2004 का लोकसभा चुनाव भी वाराणसी से लड़ा, लेकिन सफलता नहीं मिली. बसपा में आने से पहले वो जनता दल, अपना दल और कौमी एकता दल में रह चुके हैं. वो मूल रूप से गोरखपुर के रहने वाले हैं. वो वाराणसी में रहकर कपड़े के कारोबार से जुड़े हुए हैं.साल 2022 के विधानसभा चुनाव में सपा का समर्थन करने वाले लारी बाद में बसपा में शामिल हो गए थे.

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युग तुलसी पार्टी के कोलीशेट्टी शिव कुमार

कोलीशेट्टी शिव कुमार तेलंगाना के हैदराबाद के रहने वाले हैं. वो आंध्र प्रदेश के त्रिमुला वेंकटेश्वर मंदिर के प्रबंधन का कामकाज देखने वाले तिरुमला तिरुपति देवस्थानम बोर्ड के बोर्ड के सदस्य रह चुके हैं. उनका दावा है कि वे हैदराबाद में तीन गोशालाएं चलाते हैं. इनमें 15 सौ से अधिक गाएं रहती हैं. उनका प्रमुख मुद्दा यह है कि केंद्र सरकार गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करे.उनका कहना है कि बीजेपी सनातन धर्म की बात तो करती है, लेकिन उसके लिए करती कुछ नहीं है. कोलीशेट्टी को शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद का भी समर्थन हासिल है.

कुमारशेट्टी के खिलाफ वाराणसी के भेलूपुर थाने में 16 मई की रात धोखाधड़ी और धमकी देने के दो मामले दर्ज कराए गए थे.कुमारशेट्टी इन मामलों को फर्जी बताया है. उनका दावा है कि बीजेपी नेताओं और चुनाव से जुड़े अधिकारियों ने उनपर पर्चा वापस लेने का दबाव बनाया था.

अपना दल (कमेरावादी) के गगन प्रकाश यादव

नरेंद्र मोदी की कैबिनेट सहयोगी अनुप्रिया पटेल की बहन डॉक्टर पल्लवी पटेल की पार्टी अपना दल (कमेरावादी) ने गगन प्रकाश यादव को अपना उम्मीदवार बनाया है. अपना दल (कमेरावादी) को हैदराबाद के सांसद असदउद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम की भी समर्थन हासिल है. उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में अपना दल (कमेरावादी) ने सपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था.पल्लवी ने इस चुनाव में उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य को हराया था.लेकिन राज्य सभा चुनाव में मतभेद पैदा होने के बाद अपना दल (कमेरावादी) ने सपा से अपना संबंध तोड़ लिया था.नामांकन के साथ दाखिल हलफनामे में यादव ने अपने खिलाफ पांच मामलों की जानकारी दी है.

गगन प्रकाश यादव का यह पहला चुनाव है. लेकिन एक सड़क हादसे में उनके भाई के निधन के बाद से उनका चुनाव प्रचार रुका हुआ है. 

निर्दल चुनाव लड़ रहे हैं दिनेश कुमार यादव

दिनेश कुमार यादव पिछले 15 साल से वाराणसी की राजनीति में सक्रिय हैं. वो सिकरौल से तीन बार के पार्षद हैं. उनका दावा है कि वो बीजेपी के कार्यकर्ता थे. उनका कहना है कि वो लोकतंत्र की वजह से चुनाव मैदान में हैं. हालांकि बीजेपी उनके दावों से इनकार करती है. नामांकन के साथ दाखिल हलफनामे के मुताबिक यादव के खिलाफ कोई केस नहीं दर्ज है.

संजय कुमार तिवारी

निर्दलीय चुनाव लड़ रहे संजय दिल्ली में रहकर सामाजिक कार्य करते हैं. उनका दावा है कि वो कामगारों के लिए चले कई आंदोलनों का वो हिस्सा रहे हैं. वो अपने आप को बुद्धिजीवी और महात्मा गांधी के बताए रास्ते पर चलने वाला इंसान बताते हैं. मोदी का आलोचक बताने वाले तिवारी का कहना है कि उनका किसी राजनीतिक दल से कोई संबंध नहीं है.
 

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