"गंभीर अपराध": लखीमपुर खीरी केस में केंद्रीय मंत्री के बेटे की जमानत का यूपी सरकार ने विरोध किया

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि क्या हम मूकदर्शक बने रहें? कानून के तहत जमानत की मांग की सुनवाई करना और निर्णय देना हमारी शक्ति के तहत है. क्या जहां पूरी नाइंसाफी हुई हो, वहां भी हम जमानत न दें?

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लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा की जमानत अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई
नई दिल्ली:

लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा की जमानत अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है. जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जे के माहेश्वरी की बेंच में आज मामले की सुनवाई हुई. पिछली सुनवाई में ट्रायल जज ने रिपोर्ट में बताया था कि मामले का ट्रायल पूरा होने में कम से कम पांच साल लगेंगे. 

कुश्ती के मैदान में उसकी तस्वीरें : मुकुल रोहतगी

आज हुई सुनवाई के दौरान आशीष मिश्रा की ओर से मुकुल रोहतगी ने कहा कि वो एक साल से जेल में हैं. एक बार जमानत मिली लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी. ट्रायल को पांच साल से ज्यादा लगेंगे. उनको जमानत दी जानी चाहिए. रोहतगी ने कहा कि ट्रायल कोर्ट ने खुद कहा है कि ट्रायल 5 साल तक चलेगा. 218 गवाह, 27 FSL रिपोर्ट और भी मामले हैं. कुल मिलाकर ट्रायल में 7 से 8 साल लग सकते हैं. आरोपी मौके पर नहीं था, बल्कि एक कुश्ती मैदान में मौजूद था, जहां यूपी के वरिष्ठ मंत्री आने वाले थे. कुश्ती के मैदान में उसकी तस्वीरें हैं. उस समय मोबाइल फोन की लोकेशन भी वही की है. वह ड्राइविंग सीट पर नहीं था और एक अन्य सह-आरोपी को गाड़ी से बाहर आते देखा गया था.

मामला सोची समझी साजिश का नहीं : मुकुल रोहतगी

रोहतगी ने कहा कि ये मामला सोची समझी साजिश का नहीं है. ये मामला लोगों के हिंसा करने से हुआ. यूपी सरकार ने आशीष मिश्रा समेत सभी आरोपियों की जमानत का विरोध किया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम फिलहाल ये देख रहे हैं कि 200 से ज्यादा गवाह हैं. यूपी सरकार के जमानत का विरोध करने के आधार क्या है?

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कानून अपना काम करेगा : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मामले में चार्जशीट दाखिल हो चुकी है. कानून अपना काम करेगा. दोनों केसों में कुल 400 गवाह हैं. वो दोषी है या नहीं ये ट्रायल का विषय है. सवाल ये है कि इस समय जमानत दी जाए या नहीं. हम उसे एक निर्दोष व्यक्ति के रूप में नहीं मान रहे हैं, लेकिन जमानत दिए जाने पर आपकी क्या आशंकाएं हैं? जमानत का विरोध करने का आधार क्या है? चार्जशीट फ़ाइल हो चुकी है. चार्ज फ़्रेम हो चुका है. 

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आशीष मिश्रा को जमानत न दी जाए : यूपी सरकार

यूपी सरकार ने कहा कि इस मामले में आशीष मिश्रा को जमानत न दी जाए. लखीमपुर की घटना बहुत पीड़ा वाली थी और यह गम्भीर मामला है. अगर आशीष मिश्रा को जमानत मिलती है तो समाज में इसका गलत संदेश जाएगा. पीड़ितों की ओर से दुष्यंत दवे ने कहा कि उसको जमानत नहीं दी जा सकती. अगर जमानत मिली तो ये दुर्भाग्यपूर्ण होगा. ये कोल्ड ब्लेडेड मर्डर है. सोची समझी साजिश है.

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आरोपी और उसके मंत्री पिता ने पीड़ितों को डराया-धमकाया : दुष्यन्त दवे

दुष्यन्त दवे ने कहा कि यह बहुत गंभीर मामला है. आरोपी और उसके मंत्री पिता ने पीड़ितों को डराया-धमकाया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आरोपी के पिता मंत्री हैं, लेकिन इस मामले में आरोपी नहीं हैं. वकील दुष्यंत दवे ने कहा कि जघन्य अपराध के मामले में सुप्रीम कोर्ट को आरोपियों को जमानत नहीं देनी चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि क्या हम मूकदर्शक बने रहें? कानून के तहत जमानत की मांग की सुनवाई करना और निर्णय देना हमारी शक्ति के तहत है. क्या जहां पूरी नाइंसाफी हुई हो, वहां भी हम जमानत न दें? सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम ये नहीं कह रहे कि हर केस में जमानत हो. हम कह रहे हैं कि उचित केसों में जमानत दे सकते हैं.

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