ISRO जासूसी केस में आरोपियों की जमानत पर नए सिरे से सुनवाई करे केरल हाईकोर्ट : SC

1994 के जासूसी मामले में इसरो वैज्ञानिक नम्बी नारायण को फंसाने से संबंधित मामले में पुलिस अधिकारियों- एस विजयन, थम्पी एस दुर्गादत्त और पूर्व खुफिया ब्यूरो के अधिकारियों आरबी श्रीकुमार व एस जयप्रकाश को केरल हाईकोर्ट से जमानत मिल गई थी.

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नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट ने केरल हाईकोर्ट को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के जासूसी मामले में नम्बी नारायण को कथित तौर पर फंसाने के मामले में आरोपियों की जमानत याचिकाओं पर नए सिरे से सुनवाई करने का निर्देश दिया है. केरल हाईकोर्ट ने इस मामले में आरोपी 5 पुलिसकर्मियों और IB अधिकारियों को अग्रिम जमानत दे दी थी. कोर्ट के इस फैसले को सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. इसपर सुनवाई करते हुए शीर्ष अदालत ने केरल हाईकोर्ट को आदेश जारी किया है.

1994 के जासूसी मामले में इसरो वैज्ञानिक नम्बी नारायण को फंसाने से संबंधित मामले में पुलिस अधिकारियों- एस विजयन, थम्पी एस दुर्गादत्त और पूर्व खुफिया ब्यूरो के अधिकारियों आरबी श्रीकुमार व एस जयप्रकाश को केरल हाईकोर्ट से जमानत मिल गई थी. इस मामले में आज की सुनवाई में सीबीआई की ओर से एएसजी एसवी राजू ने कहा- 'हम जांच की प्रक्रिया में हैं. हमें उनकी हिरासत में पूछताछ की जरूरत है. हाईकोर्ट जमानत देने में गलत था.' 

हाईकोर्ट ने कहा कि 25 साल बीत चुके हैं और जरूरी नहीं आरोपी सब कुछ याद रखें, अग्रिम जमानत दी जा सकती है. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस जैन कमेटी के आधार पर 25 साल बाद इन आरोपियों के खिलाफ जांच का आदेश दिया. जस्टिस जैन समिति की रिपोर्ट में टिप्पणी पर विचार नहीं किया गया. व्यक्तिगत आरोप और प्रत्येक अभियुक्त के खिलाफ आरोपों पर विचार नहीं किया गया.    

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इससे पहले इसरो जासूसी मामले में सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व वैज्ञानिक नम्बी नारायण को राहत दी थी. अदालत ने कहा कि नम्बी नारायण को गिरफ्तार करना गैरजरूरी था. उन्हें मानसिक रूप से प्रताड़ित किया गया. सुप्रीम कोर्ट ने केरल सरकार से कहा कि वह नम्बी को 50 लाख रुपए का मुआवजा देने का भी आदेश दिया था.
 

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