कर्नाटक के CM ने पश्चिमी घाट को ईको-सेंसेटिव जोन घोषित करने का किया विरोध

केंद्रीय पर्यावरण, वन और श्रम मंत्री भूपेंद्र यादव की अध्यक्षता में आयोजित एक वर्चुअल मीटिंग में भाग लेते हुए बोम्‍मई ने पश्चिमी घाटों पर कस्तूरीरंगन रिपोर्ट पर राज्य का पक्ष प्रस्तुत किया. 

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बोम्मई ने कहा कि इससे क्षेत्र के लोगों की आजीविका पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा.
बेंगलुरु:

कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई (Karnataka CM Basavaraj Bommai) ने शनिवार को पश्चिमी घाट (Western Ghats ) को पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील क्षेत्र (Ecologically Sensitive Zone) घोषित करने का विरोध किया है, क्योंकि इससे क्षेत्र के लोगों की आजीविका पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा. केंद्रीय पर्यावरण, वन और श्रम मंत्री भूपेंद्र यादव (Bhupender Yadav) की अध्यक्षता में आयोजित एक वर्चुअल मीटिंग में भाग लेते हुए बोम्‍मई ने पश्चिमी घाटों पर कस्तूरीरंगन रिपोर्ट (Kasturirangan Report) पर राज्य का पक्ष प्रस्तुत किया. 

बोम्मई ने कहा, "पश्चिमी घाट को पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील क्षेत्र घोषित करने से क्षेत्र के लोगों की आजीविका पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा. इसलिए कर्नाटक सरकार और क्षेत्र में रहने वाले लोग कस्तूरीरंगन रिपोर्ट को लागू करने का विरोध कर रहे हैं." 

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उन्‍होंने मीटिंग में भाग ले रहे लोगों का ध्यान इस तथ्य की ओर आकर्षित किया कि राज्य मंत्रिमंडल ने कस्तूरीरंगन रिपोर्ट का विरोध करने का निर्णय लिया था. यह निर्णय पश्चिमी घाट क्षेत्र के लोगों और अधिकारियों के साथ विस्तृत चर्चा के बाद लिया गया था. 

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बोम्‍मई ने कहा कि कर्नाटक व्यापक वन क्षेत्र वाले राज्यों में से एक है और राज्य सरकार ने पश्चिमी घाट की जैव विविधता की रक्षा के लिए अत्यधिक सावधानी बरती है. उन्‍होंने कहा कि वन संरक्षण अधिनियम के तहत पर्यावरण संरक्षण को प्राथमिकता दी गई है. ऐसे में स्थानीय लोगों की आजीविका को प्रभावित करने वाला एक और कानून लाना ठीक नहीं है." बोम्मई ने दावा किया कि कस्तूरीरंगन रिपोर्ट उपग्रह से ली गई तस्‍वीरों पर आधारित है, लेकिन जमीनी हकीकत अलग है. 

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मुख्यमंत्री कार्यालय ने अपने एक बयान में कहा कि केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव ने राज्य को आश्वासन दिया है कि केंद्रीय पर्यावरण एवं वन विभाग के अधिकारी कोई भी निर्णय लेने से पहले राज्य का दौरा करेंगे.
 

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