बीजेपी के सामने बड़ी चुनौती 10 मई को होने वाले कर्नाटक विधानसभा चुनाव की आ गई है. कर्नाटक में बीजेपी के सामने अपनी सरकार बचाने की बड़ी चुनौती है. यहां बीजेपी ने अपने उम्मीदवारों की लिस्ट सबसे अंत में जारी की. बीजेपी ने 224 में से 189 उम्मीदवारों की पहली सूची जारी की है. जैसे ही लिस्ट जारी हुई उस पर विरोध तेज हो गया.पूर्व मुख्यमंत्री जगदीश शेट्टार जैसे बड़े लिंगायत नेता का टिकट कट गया. वे अब बगावती तेवर दिखा रहे हैं. वे अपनी सीट से हर हाल में चुनाव लड़ने की बात कह रहे हैं. यह बीजेपी के लिए चुनौती होगी.
कर्नाटक में 11 मौजूदा विधायकों के भी टिकट कटे हैं. पहली लिस्ट में 52 नए चेहरे हैं. बताया टिकट बंटवारे से पूर्व मुख्यमंत्री येदियुरप्पा खुश हैं, क्योंकि उनके बहुत सारे लोगों को टिकट दिए गए हैं. बहुत सारे लोगों के बेटों को टिकट दिए गए हैं. वे खुद चुनाव नहीं लड़ रहे हैं.
कर्नाटक चुनाव में बीजेपी किसी को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित नहीं कर रही है. ऐसे में बसवराज बोम्मई अपने आप को कहां पाते हैं? प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर यह चुनाव लड़ा जाएगा. बीजेपी के लिए समस्या कर्नाटक में भी है.
दिल्ली में बीजेपी की लिस्ट जारी होते ही कर्नाटक में इसका विरोध होता दिखा. 11 मौजूदा विधायकों के टिकट कटेंगे तो हंगामा तो मचेगा. येदियुरप्पा, ईश्वरप्पा और अंगारप्पा ने पार्टी आलाकमान की बात मानते हुए चुनावी राजनीति से दूर रहने का ऐलान किया था. लेकिन 67 साल के लिंगायत नेता जगदीश शेट्टार ने पार्टी आलाकमान की बात मानने से साफ इनकार कर दिया. उन्होंने कहा कि, "मैं चुनाव लड़ूंगा. पार्टी को मुझसे कंसल्ट करना चाहिए."
हिजाब के खिलाफ मुहिम चलाने वाले उडुपी के विधायक रघुपति भट्ट को भी समझ में नहीं आ रहा कि संघ और पार्टी लाइन को आगे बढ़ाने के बावजूद उन्हें टिकट क्यों नहीं दिया गया. उन्होंने कहा कि, ''जिस तरह का व्यवहार उन लोगों ने मेरे साथ किया है, मैं बहुत दुखी हूं. अब तक बीजेपी के किसी नेता ने मुझे कॉल नहीं किया. यह ठीक नहीं है.''
बीजेपी ने एक एक्सपेरिमेंट और किया है. कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष डीके शिवकुमार के खिलाफ बीजेपी विधायक आर अशोक को टिकट दिया है. वे अपनी पुरानी सीट पद्मनाभ नगर के साथ-साथ कनकपुरा से भी चुनाव लड़ेंगे. अगर इन दोनों नेताओं की तुलना करें तो जहां आर अशोक मरसू उपजाति के वोक्कालीग्गा हैं वहीं डीके शिवकुमार गंगगाटकर उपजाति के वोक्कालीग्गा हैं. कनकपुरा में मरसू उपजाति का वजूद न के बराबर है. कनकपुरा से बीजेपी कभी न तो जीती, न ही वहां बीजेपी का जनाधार है. वहां साल 2008 से डीके शिवकुमार लगातार जीत रहे हैं. उससे पहले 1983 से जनता दल के उम्मीदवार वहां से जीतते रहे थे.
डीके शिवकुमार ने कहा कि, ''हमारे खिलाफ जो भी उम्मीदवार उतारे हैं उनको हम शुभकामना देते हैं. कौन विख्यात और कौन है स्ट्रांग, यह तो चुनाव के नतीजे से पता चलेगा, लेकिन मुझे इस बात की खुशी है कि बीजेपी हमसे बहुत ज्यादा भयभीत है इसलिए हमें टारगेट कर रही है.''
कांग्रेस के मुख्यमंत्री पद के दावेदार ओबीसी कोरबा नेता सिद्धारमैया के खिलाफ लिंगायत नेता वी सोमनन्ना को बीजेपी ने उतारा है.
बीजेपी के उम्मीदवारों की लिस्ट से साफ है कि पार्टी कर्नाटक में विधानसभा चुनाव गुजरात की ही तरह प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर लड़ेगी. नए चेहरों को मौका दिया गया है. जातीय समीकरण बनाए रखने की कोशिश की गई है. ऐसे में अब देखना है कि बीजेपी का यह एक्सपेरिमेंट गुजरात के वोटरों की तरह कर्नाटक के वोटरों को कितना रास आता है.
कर्नाटक में बीजेपी समस्या से कैसे निपटेगी और उसे इसका चुनावी खामियाजा कैसे भुगतना पड़ सकता है, यह एक बड़ा सवाल है.