NDTV-CSDS सर्वे: क्या टीपू सुल्तान विवाद का कर्नाटक चुनाव में दिखेगा असर?

बीजेपी का दावा है कि टीपू सुल्तान की हत्या ब्रिटिश और मराठा सेनाओं ने नहीं, बल्कि दो वोक्कालिगा नेताओं ने की थी. बीजेपी इन चुनावों में सावरकर बनाम टीपू सुल्तान का मुद्दा बनाकर वोक्कालिगा समुदाय को अपने साथ मिलाने की कोशिश कर रही है.

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टीपू सुल्तान मैसूर के दूरदर्शी शासक थे.

नई दिल्ली:

कर्नाटक (Karnataka Assembly Elections 2023) के मैसूर में 17वीं सदी के शासक टीपू सुल्तान (Tipu Sultan Controversy) की मौत पर राजनीतिक लड़ाई वास्तव में आम आदमी तक नहीं पहुंच पाई है. NDTV के लोकनीति-सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ डेवलपिंग सोसाइटीज (CSDS) के साथ साझेदारी में हुए नए पब्लिक सर्वे में पाया गया है कि तीन में से सिर्फ एक मतदाता को इस मामले की जानकारी है. जबकि 29 प्रतिशत लोगों का मानना ​​है कि इस मुद्दे को उठाना उचित था.

इस सर्वे के मुताबिक, 74 फीसदी लोगों ने माना कि टीपू सुल्तान विवाद से सांप्रदायिक तनाव बढ़ रहा है. जबकि 22 फीसदी लोग इससे इनकार करते हैं. वहीं, 4 फीसदी लोगों ने कोई राय नहीं दी. सर्वे से पता चलता है कि टीपू सुल्तान विवाद को तर्कसंगत मानने वाले लोग मुख्य रूप से बीजेपी समर्थक हैं. जबकि इस विवाद का विरोध करने वाले ज्यादातर लोगों का झुकाव कांग्रेस की ओर है.

बीजेपी का दावा है कि टीपू सुल्तान की हत्या ब्रिटिश और मराठा सेनाओं ने नहीं, बल्कि दो वोक्कालिगा नेताओं ने की थी. बीजेपी इन चुनावों में सावरकर बनाम टीपू सुल्तान का मुद्दा बनाकर वोक्कालिगा समुदाय को अपने साथ मिलाने की कोशिश कर रही है. पुराने मैसूर के कुछ हिस्सों में अब भी यह दावा किया जाता है कि दो वोक्कालिगा प्रमुखों उरी गौड़ा और नान्जे गौड़ा ने टीपू सुल्तान की हत्या की थी. पहली बार यह दावा मैसूर में हुए एक नाटक में किया गया था. वोक्कालिगा नेता और पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव सीटी रवि और मंत्री अश्वथ नारायण और गोपालैया शामिल जैसे बीजेपी नेता यह भी दावा करते हैं कि उरी गौड़ा और नान्जे गौड़ा के होने के बारे में ऐतिहासिक सबूत मौजूद हैं. 

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इस दावे को लेकर इतिहासकार आपत्ति दर्ज कराते रहे हैं. लेकिन, कई बीजेपी नेताओं ने इस दावे को सही ठहराया है. वहीं, कांग्रेस बीजेपी के इस दावे का विरोध करती आई है. वोक्कालिगा समुदाय अब तक कांग्रेस और एचडी कुमारस्वामी के जनता दल सेक्युलर का समर्थक रहा है. दोनों पार्टियों नेता मानते आए हैं कि उरी गौड़ा और नान्जे गौड़ा नाम के लोग नहीं थे. ये महज काल्पनिक किरदार हैं.

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कैसे हुआ सर्वे?
सर्वे के लिए कर्नाटक के 21 विधानसभा क्षेत्रों के 82 मतदान केंद्रों में कुल 2143 लोगों से बात की गई. दो मतदान केंद्रों में फील्डवर्क पूरा नहीं हो सका. सर्वे के फील्‍ड वर्क का को-ऑर्डिनेशन वीना देवी ने किया और कर्नाटक में नागेश के एल ने इसका मुआयना किया.

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विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों को 'प्रोबैबलिटी प्रपोर्शनल टू साइज (Probability Proportional to Size)' सैंपल का इस्तेमाल करके रैंडमली तरीके से चुना गया है. इसमें एक यूनिट के चयन की संभावना उसके आकार के समानुपाती होती है. हर निर्वाचन क्षेत्र से 4 मतदान केंद्रों को सिलेक्ट किया गया था. हर मतदान केंद्र सेसे 40 मतदाताओं को रैंडमली सिलेक्ट किया गया था.

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