मध्यप्रदेश के धार जिले के कारम बांध के क्षतिग्रस्त होने की परिस्थितियां, कारण और जिम्मेदार अधिकारियों का उत्तरदायित्व तय करने, एवं भविष्य में इस तरह की घटनाएं फिर से ना हो, इस संबंध में सुझाव के लिए जल संसाधन विभाग के अपर सचिव आशीष कुमार की अध्यक्षता में 4 सदस्यीय जांच समिति का गठन किया गया है.
समिति में आशीष कुमार के अलावा राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान भोपाल के वैज्ञानिक डॉ. राहुल कुमार जायसवाल, जल संसाधन विभाग ब्यूरो ऑफ डिजाइन एण्ड हायडल के मुख्य अभियंता दीपक सातपुते और बांध सुरक्षा बोधी के संचालक अनिल सिंह रहेंगे. समिति अपनी रिपोर्ट पांच दिनों में राज्य सरकार को देगी.
गौरतलब है कि एमपी के धार जिले में एक बड़ा डैम हादसा टल गया. 11 अगस्त को डैम में लीकेज की खबर आई. इसके बाद दिन-रात ऑपरेशन कारम चलाकर बड़े हादसे को रोका गया. तीन दिनों तक मशीनें चलाकर पानी को नया रास्ता दिया गया. इस दौरान तीन कैबिनेट मंत्री, कलेक्टर, कमिश्नर, एसपी सहित पूरा प्रशासनिक अमला जुटा रहा. चट्टानों ने रास्ता रोका तो बारूद बिछाने की भी योजना थी.
भोपाल में भी शुक्रवार से ही तमाम विभागों के आला अधिकारियों के साथ मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान देर रात 2-3 बजे तक सिचुएशन रूम में बैठते, फिर तड़के से ही रणनीति बनती थी. प्रधानमंत्री, गृहमंत्री को भी पल-पल की जानकारी भेजी जा रही थी, तय हुआ कि बांध के पानी को बाइपास बनाकर खाली किया जाएगा.
जो रणनीति बनी वो ये कि बांध को खाली करना चाहिए, एकदम से पानी वॉल तोड़कर निकाला जाता तो कई बांधों में तबाही मचा सकता था. इसलिए तय किया कि बाइपास चैनल बनाकर पानी निकाला जाए पहले पानी कम निकले फिर बढ़े तो ऐसा कि वॉल कटता जाए को बड़ा हिस्सा निकल जाएगा, गांव को नुकसान नहीं पहुंचाएगा. 6 बजे से बाइपास का प्लान किया था, साढ़े 9 बजे पानी ने निकलना शुरू किया. कारम बांध की परिस्थिति से निकलना आपदा प्रबंधन का उच्चतम उदाहरण है.
तीन दिनों में ऑपरेशन कारम के तमाम किरदारों की मेहनत से गुरुवार को जो 15.49 MCM पानी था, वो रविवार रात 2.93 MCM बचा, यानी खतरा टल गया.