हिंदू समाज पार्टी के नेता कमलेश तिवारी हत्याकांड (Kamlesh Tiwari Murder) में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने मामले का ट्रायल लखनऊ से प्रयागराज ट्रांसफर किया. शीर्ष न्यायालय ने आरोपियों की याचिका पर यह फैसला दिया है. आरोपियों का कहना था कि लखनऊ में सांप्रदायिक माहौल के कारण स्वतंत्र और निष्पक्ष सुनवाई संभव नहीं हो सकती है. मार्च में हिन्दू समाज पार्टी के नेता कमलेश तिवारी की हत्या के आरोपी अशफाक हुसैन की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था. आरोपी अशफाक हुसैन ने यूपी के लखनऊ में चल रहे ट्रायल को दिल्ली ट्रांसफर करने की मांग की है.
अशफाक ने अपनी याचिका में कहा था कि वहां की कोर्ट में पेश होने पर उसकी जान को खतरा है. लिहाजा लखनऊ में चल रहे ट्रायल को दिल्ली ट्रांसफर किया जाए.
18 अक्टूबर 2020 को लखनऊ में कमलेश तिवारी की दो लोगों ने हत्या कर दी थी. मामले के मुख्य आरोपी अशफाक और मोइनुद्दीन उर्फ फरीद पठान को पुलिस ने गिरफ्तार किया था. कमलेश तिवारी की हत्या में पुलिस ने 13 लोगों को हत्या और साजिश रचने का आरोपी बनाया है. मुख्य आरोपियों में अशफाक और मोईनुद्दीन को गुजरात एटीएस ने पकड़ा था. बाकी के आरोपी पठान, रशीद, फैजान, मोहसिन, सलीम, शेख आसिफ, कामरान, कैफी, नावेद, रईस और जाफर सादिक को बाद में पकड़ा गया था.
पिछले साल 18 अक्टूबर में लखनऊ में हिंदू समाज पार्टी के अध्यक्ष कमलेश तिवारी की उसी के दफ्तर में गला रेत कर हत्या कर दी गई. कातिल भगवा कुर्ता और जींस पहन कर मिठाई का डब्बा लिए कमलेश के पास पहुंचे थे. उसी मिठाई के डिब्बे में चाकू, कट्टा भी था. जांच के बाद ये बात सामने आई कि कमलेश तिवारी के कत्ल के तार गुजरात से जुड़े थे. कमलेश तिवारी के एक आपत्तिजनक बयान की वजह से उन लोगों ने कमलेश का कत्ल किया था.
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