आम लोगों की सेवा के वादे पर खरे उतरे CJI चंद्रचूड़, पहले ही दिन सफाई कर्मी के खिलाफ अपील पर तमिलनाडु सरकार को लगाई फटकार

देश के नए चीफ जस्टिस (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ ने दिल्ली यूनिवर्सिटी से LLB की. 1998 में उन्हें बॉम्बे हाईकोर्ट में सीनियर एडवोकेट के रूप में नामित किया गया था. वे इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रह चुके हैं. वे सुप्रीम कोर्ट के मौजूदा सिटिंग जज हैं. वे सबरीमाला, समलैंगिकता, आधार और अयोध्या से जुड़े मामलों की सुनवाई में शामिल रहे हैं.

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चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ का कार्यकाल 10 नवंबर 2024 तक होगा.

नई दिल्ली:

देश के नए चीफ जस्टिस (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ ने बुधवार को पद और गोपनीयता की शपथ ले ली. राष्ट्रपति भवन में एक समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने CJI डीवाई चंद्रचूड़ को शपथ दिलाई. वह भारत के 50वें मुख्य न्यायाधीश हैं. इसके बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में स्थित बापू की मूर्ति पर माल्यार्पण किया. उन्होंने CJI की कुर्सी पर बैठने से पहले अपने केबिन में तिरंगे को नमन भी किया.

CJI के तौर पर अपने पहले ही दिन जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि वह आम आम आदमी के लिए काम करेंगे और अदालती कार्यवाही में उन्होंने इसे साबित भी किया. उन्होंने एक सफाई कर्मचारी के खिलाफ तमिलनाडु सरकार की अपील पर फटकारते हुए कहा कि ये क्या हो रहा है? तमिलनाडु सरकार एक सफाईकर्मी के खिलाफ अपील में यहां तक आई है? इतनी शक्तिशाली सरकार और एक सफाई कर्मचारी के खिलाफ यहां तक आ गई गई?  सॉरी, डिसमिस.

शपथ लेने के बाद चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने मीडिया से कहा, 'देश के आम लोगों की सेवा करना मेरी पहली प्राथमिकता है. रजिस्ट्री और न्यायिक प्रक्रिया में सुधार करूंगा. मेरे शब्द नहीं, मेरा काम बोलेगा.' चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ का कार्यकाल 10 नवंबर 2024 तक होगा.

इतने वर्षों में ये पहला मौका रहा जब चीफ जस्टिस ने अपने कार्यकाल की शुरुआत बापू को इस प्रतिमा के सामने श्रद्धा सुमन अर्पित कर की. इससे पहले पहली बार जस्टिस रंजन गोगोई ने शपथ ग्रहण करने के बाद राजघाट जाकर बापू को समाधि पर श्रद्धा सुमन अर्पित किए थे. लेकिन पहली बार किसी CJI ने कोर्ट परिसर में बैठे बापू को नमन कर अपने कार्यकाल की शुरुआत की. 

जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ का जन्म 11 नवंबर 1959 को हुआ था. उन्‍होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी से LLB की. 1998 में उन्हें बॉम्बे हाईकोर्ट में सीनियर एडवोकेट के रूप में नामित किया गया था. वे इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रह चुके हैं. मई 2016 में उन्हें सुप्रीम कोर्ट में जज बनाया गया. वे सुप्रीम कोर्ट के मौजूदा सिटिंग जज हैं. वे सबरीमाला, समलैंगिकता, आधार और अयोध्या से जुड़े मामलों की सुनवाई में शामिल रहे हैं.

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