जम्मू-कश्मीर परिसीमन मामला: SC का दखल देने से इंकार, लेकिन करेगा परीक्षण; केंद्र और J&K प्रशासन से मांगा जवाब

सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर परिसीमन प्रक्रिया को चुनौती दी गई है. याचिका में परिसीमन अधिसूचना पर रोक लगाने की मांग की गई है. ये याचिका जम्मू-कश्मीर निवासियों ने दाखिल की है. 

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याचिका में केंद्र द्वार जम्मू-कश्मीर विधानसभा सीटों की संख्या बढ़ाने का भी विरोध किया गया है.
नई दिल्ली:

जम्मू-कश्मीर के चुनाव क्षेत्रों के प्रस्तावित परिसीमन प्रक्रिया पर रोक लगाने से सुप्रीम कोर्ट ने इनकार कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने 2020 में जारी की गई अधिसूचना को अब चुनौती देने के लिए याचिकाकर्ता से कहा कि आप दो साल से अब तक कहां सो रहे थे? हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने मामले पर केंद्र और जम्मू कश्मीर प्रशासन और निर्वाचन आयोग से छह हफ्ते में जवाब तलब किया है. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और जम्मू-कश्मीर सरकार के 6 हफ्ते में आने वाले जवाब पर याचिकाकर्ताओ को जवाबी हलफनामा दाखिल करने के लिए कहा है. इसके लिए और 2 हफ्ते का समय दिया गया है. यानी कुल आठ हफ्ते दिए गए हैं. 

सुप्रीम कोर्ट इस मामले पर अगली सुनवाई 30 अगस्त को करेगा. परिसीमन आयोग की 25 अप्रैल को सौंपी गई फाइनल रिपीट के मुताबिक परिसीमन के जरिए जम्मू कश्मीर विधानसभा के लिए  83 सीटो की जगह 90 हो जाएंगी. इनपर विधानसभा और पांच नई प्रस्तावित लोकसभा सीटों पर चुनाव होगा. 

सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर केंद्र शासित प्रदेश में परिसीमन करने के सरकार के फैसले को चुनौती दी गई है. याचिका में कहा गया है कि यs परिसीमन जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन एक्ट 2019 की धारा 63 और संविधान के अनुच्छेद 81, 82,170, 330, 332 के खिलाफ है. इसके अलावा याचिका में जम्मू कश्मीर परिसीमन आयोग के गठन को भी असंवैधानिक बताया गया है. याचिका में सवाल उठाया गया है कि संविधान के अनुच्छेद 170 के तहत देश मे अगला परिसीमन 2026 में होना ही है ऐसे में अलग से जम्मू कश्मीर में परिसीमन क्यों किया जा रहा है? ये याचिका जम्मू-कश्मीर के निवासी हाजी अब्दुल गनी खान और डॉ मोहम्मद अयूब मट्टू द्वारा दायर की गई है. 

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