जमीयत उलेमा-ए-हिन्द ने Supreme Court से की मांग, 'बुलडोजर पर ब्रेक लगाने की मांग वाली याचिका पर जल्द हो सुनवाई'

दायर याचिका में कहा गया है कि  बिना जांच और ट्रायल के अदालती आदेश के बिना संपत्ति पर बुलडोजर चलाना अवैध है.

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याचिका में केन्द्र सरकार के साथ उतर प्रदेश, मध्य प्रदेश और गुजरात राज्यों को पक्षकार बनाया गया है
नई दिल्ली:

उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, गुजरात में आरोपियों की संपत्ति पर बुलडोजर चलाने के मामले पर जमीयत उलेमा-ए-हिन्द ने Supreme Court से जल्द सुनवाई की मांग की है. बुलडोजर पर ब्रेक लगाने की मांग वाली याचिका पर जल्द सुनवाई की मांग के साथ ही CJI एन वी रमना से इस मामले पर सुनवाई का आग्रह भी जमीयत की तरफ से किया गया है. बताते चलें कि दंगे जैसे मामलों के आरोपियों की संपत्ति पर बुलडोजर चलाने से रोकने की मांग वाला मामला हाल ही में जमीयत की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में रखा गया है.

दायर याचिका में कहा गया है कि बिना जांच और ट्रायल के अदालती आदेश के बिना संपत्ति पर बुलडोजर चलाना अवैध है. साथ ही इसे मौलिक अधिकार के खिलाफ भी बताया गया है.याचिका में कोर्ट से अनुरोध किया गया कि राज्यों को आदेश दे कि अदालत की अनुमति के बिना किसी आरोपी के घर या दुकान को गिराया नहीं जाए. किसी भी आपराधिक कार्यवाही में किसी भी आरोपी के खिलाफ कोई स्थायी प्रारंभिक कार्रवाई नहीं की जाए. साथ ही मांग की गयी है कि पुलिस कर्मियों को सांप्रदायिक दंगों और उन स्थितियों से निपटने के लिए ट्रेनिंग दी जाए.

आपराधिक जांच से ना जुड़े मंत्रियों, विधायकों और किसी को भी आपराधिक कार्रवाई के संबंध में सार्वजनिक रूप से या किसी आधिकारिक संचार के माध्यम से आपराधिक जिम्मेदारी थोपने से रोका जाए.याचिका में केन्द्र सरकार के साथ उतर प्रदेश, मध्य प्रदेश और गुजरात सरकार को पक्षकार बनाया गया है.एडवोकेट आन रिकार्ड कबीर दीक्षित के माध्यम से SC में याचिका दाखिल की गई है.जमीअत उलेमा-ए-हिन्द के क़ानूनी इमदादी कमेटी के सचिव गुलज़ार अहमद आज़मी के माध्यम से याचिका दाखिल की गई है.

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